स्मार्ट शहर (Udaipur - Smart City - Developments Essay in Hindi)

प्रस्तावना:-उदयपुर शहर को बधाई हो क्योंकि उदयपुर गण जीत गया है। अपनी ललक और इच्छाशक्ति के बलबूते से उदयपुर के नागरिकों ने केंद्र सरकार को मजबूर कर दिया कि वह इस शहर को स्मार्ट सिटी परियोजना के पहले चरण के 20 प्रमुख शहरों में शामिल करे। समूचे देश से एक-एक शहर का नाम चुनती गई केन्द्र सरकार ने सोलहवें स्थान पर हमारे शहर के नाम पर स्मार्ट की मुहर लगाई हैं। गण की सहभागिता के साथ अब मुख्य बारी तन्त्र की है। गण की इस फतह को तन्त्र ही हकीकत की सतह को साकार करेगा। केंन्द्र सरकार ने ज्यों ही स्मार्ट शहरों में उदयपुर शहर का नाम घोषित किया तो, यह दिन हमारे लिए ऐतिहासिक हो गया।

शहर:- देशभर में 98 शहर स्मार्ट शहर में शामिल थे । इनमें से चुने गए 20 शहरों में हम 16 वें नम्बर पर थे। हमारा उदयपुर का चयन विकास व योजना के आधार पर हुआ। 2 साल बाद अगले चरण ओर 40 शहर चुने जाएंगे। कुल 100 शहर स्मार्ट शहर के रूप में होंगे विकसित। दूसरे चरण में 1 अप्रेल से शुरू होगा कर सुधार व 15 अप्रेल तक चयनित शहरों के प्रस्ताव देख हम अपने प्रस्तावों में कर सुधार सकेंगे।

सफर:- हमारे उदयपुर सिटी को स्मार्ट बनाने के लिए इस प्रकार यह क्रम 20 जुलाई 015 से 28 जनवरी 2016 तक चला-

  • 20 जुलाई 2015 को निगम की बोर्ड बैठक में स्मार्ट सिटी के चयन के लिए उदयपुर की दावेदारी का प्रस्ताव पास हुआ।
  • 27 अगस्त को उदयपुर, जयपुर, अजमेर और कोटा सहित देश के 98 शहरों को स्मार्ट सिटी में शामिल करने की घोषणा हुई।
  • 4 सितंबर को तस्वीर साफ हुई कि सबसे पहले शहर के एक पार्ट में 500 एकड़ को ही स्मार्ट सिटी का स्वरूप दिया जा सकेगा।
  • 6 सितंबर को गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया की मौजूदगी में बैठक में अंतिम निर्णय लिया कि सबसे पहले वाले सिटी में ही काम होगा।
  • 10 अक्टूम्बर को यह साफ हुआ कि 44 फीसदी लोग पर्यटन विकास से जुड़े काम को प्राथमिकता दे रहे है। निगम ने सुझाव पत्र के माध्यम से प्राथमिकताएं तय करवाई थी।
  • 15 नवंबर को ऑनलाइन सुझाव, कमेंट देने के मामले में उदयपुर देश के 98 शहरों में चौंथे स्थान पर आ गया हैं।
  • 18 नवंबर को निगम ने वॉल सिटी के लिए विजन स्टेटमेंट (विकास प्रस्ताव) को अंतिम रूप दिया है।
  • 24 नवंबर को अहम बैठक में वॉल सिटी की बिजली, पानी और सीवरेज व्यवस्था को विशेष सॉफ्टवेयर से जोड़कर हाईटेक करने का निर्णय लिया गया।
  • 30 नवंबर को तकनीकी सहयोग के लिए निगम और फिक्की (फैडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री) के बीच एमओयू हुआ।
  • 2 दिसंबर को कलेक्टर के चैम्बर में बैठक में डेनमार्क के राजदूत पीटर टेक्सोजेंसन ने भी सहयोग देने की घोषणा की।
  • 3 दिसंबर को स्वायत्त शासन के प्रमुख शासन सचिव डॉ. मंजीत सिंह की मौजदूगी में सर्किट हाउस में स्पेशल पर्पज व्हीकल (एसपीवी) का प्रस्ताव को अंतिम रूप दिया गया।
  • 7 दिसंबर को चीफ सेक्रेट्री सीएस राजन की अध्यक्षता में जयपुर में हुई बैठक में निगम ने प्लान पेश किया।
  • 9 दिसंबर को डेनमार्क के एक्सपर्ट की टीम ने निगम अधिकारियों के साथ वॉल सिटी का दौरा कर पुराने शहर को बसावट देखी।
  • 11 दिसंबर को स्मार्ट बनाने उदयपुर के 1221 करोड़ के प्लान को जयपुर में अंतिम रूप दिया गया।
  • 14 दिसंबर को डॉ. मंजीत सिंह ने उदयपुर, अजमेर और कोटा के लिए तैयार किए प्लान दिल्ली में शहरी विकास मंत्रालय को सौंपा। इसमें उदयपुर का 1221 करोड़, अजमेर का 1300 और कोटा का 1500 करोड़ का प्लान है। जयपुर का 2400 का प्लान अगले दिन सौंपा गया।
  • 28 जनवरी को हम टॉप 20 स्मार्ट सिटी में पहुंच गए।

कारण:- उदयपुर शहर को स्मार्ट शहर में आने के लिए निम्न कारण रहें हैं-

  • विश्व मानचित्र पर पर्यटकों का पंसदीदा शहर उदयपुर।
  • यहां खूबसूरत झीले और आधुनिकता की दौड़ में भी हेरिटेज संपदा सुरक्षित है।
  • उदयपुर शहर में 96 फीसदी घरों में पक्के शौचालय है।
  • यहां टेक्स वसूलने में निगम की सक्रियता, आतंरिक स्त्रोतों से रेवेन्यू में मजबूत स्थिति है।
  • यहां के लोगों ने स्मार्ट सिटी को लेकर बोर्ड बैठक में प्रस्ताव पास कर मजबूत दावेदारी पेश की।
  • यहां की जनता ने सुझाव देने में अहम भागीदारी निभाई है। समय रहते वॉल सिटी पर फोकस किया।
  • निगम, कंसल्टेट टीम और जिला प्रशासन के मध्य मजबूत सामंजस्य रहा हैं।
  • शहरी विकास मंत्रालय को योजना पेश करने से पहले बारीकी से खामियां दूर की गई।
  • गंभीरता के साथ जमीनी स्तर पर योजना को अंतिम रूप दिया गया।

चुनौतियों पर फोकस:-स्मार्ट शहर बनने के बाद हमें उदयपुर में निम्न बातों पर ध्यान देना होगा-

  • ट्रैफिक दबाव को कम करने रोड नेटवर्क और प्रभावी बनाना होगा एवं ट्रैफिक व्यवस्था को बेहतर बनाने में सहयोग करना होगा।
  • छोटे-छोटे पार्किंग स्थल विकसित करने होगें।
  • राजनेता की वर्चस्व की लड़ाई को छोड़ एकजुटता दिखानी होगी।
  • सफाई व्यवस्था को ओर अधिक प्रभावी बनाना होगा, अपने घर, मोहल्ले के साथ ही शहर को साफ रखना होगा व इसके के लिए आधुनिक मशीनें खरीदी जानी चाहिए।
  • निगम की आतंरिक कार्य प्रणाली को हाई टेक बनाकर जनता को राहत दी जानी चाहिए।
  • प्रत्येक नागरिक को स्मार्ट बनना होगा।
  • समय रहते लिगम में टैक्स जमा करावें।
  • सार्वजनिक संपत्तियों की सक्रियता से सुरक्षा करे।
  • झीले साफ सुधरी बनी रहे।
  • आसपास की पहाड़ियों और हेरिटज संपदा का हो संरक्षण।

खासियत:- हमारे उदयपुर शहर की खासयित यह है कि यहां पर खूबसूरत झीले और उनके ठीक किनारे पहाड़ियां और पुरानी हवेलियां है। अन्य शहरों के मुकाबले बेहतर सफाई व्यवस्था है। शहरवासियों की टूरिस्ट के साथ भी आत्मियता। ब्रांडगेज, इंटरनेशनल एयरपोर्ट और मजबूत रोड नेटवर्क है। एज्युकेशन हब की ओर अग्रसर होता उदयपुर शहर है।

तस्वीर:- स्मार्ट शहर बनने के बाद उदयपुर में यह मिलेगा:-

  • स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत 5 साल में कायापलटी जानी है। इसके तहत नागरिकों को मिलेगी बेहतरीन जीवनशैली और सुविधाएं।
  • उदयपुर को तीन साल में मिलेगे 100 - 100 करोड़ रुपए। सरकार पांच साल में कुल 50802 करोड़ रुपए खर्च करेगी।
  • उदयपुर में इस परियोजना के तहत 1526 करोड़ रुपए का निवेश प्रस्तावित है। पहले भीतरी शहर के 828 एकड़ एरिया को मॉडल के रूप में विकसित किया जाएगा। यानी स्मार्ट सिटी कैसा होगा, इसकी तस्वीर वॉल सिटी के विकास के साथ ही दिखने लगेगी।
  • वॉल सिटी में चयनित 18 वार्डो के 828 एकड़ क्षेत्र को विकसित किया जाएगा। पूरे क्षेत्र को सीवरेज लाइन से जोड़ा जाएगा।
  • मोबाइल, टेलीफोन और बिजली आदि की लाइनें बाहर नहीं दिखेगी। पूरी तरह से अलग लाइन होगी।
  • चौबीसों घंटे पानी-बिजली सुविधा मिलेगी।
  • गैस पाइप लाइन के जरिये गैस कनेक्शन जोड़े जाएंगे।
  • हैरिटेज क्षेत्र एक जैसा दिखे, इसके लिए जन भागीदारी से ऑफ व्हाइट कलर किया जाएगा।
  • रंगनिवास से भीतरी शहर में वाहनों का प्रवेश बंद होगा। अंदर जाने के लिए गोल्फ कार या तांगे का प्रबंध होगा। पार्किंग के लिए गुलाबबाग के पीछे की तरफ और बैलघर के पास जगह विकसित की जाएगी।
  • झीलें, हैरिटेज और भीतरी शहर के बाजार को प्रमुखता से पर्यटकों की आशाओं के अनुकूल बनाया जाएगा।

सरकारी दफ्तरों को वॉल सिटी से बाहर स्थानांतरित किया जाएगा।

गवर्नेंस: गुड गवर्नेंस खासकर ई-गवर्नेस। गवर्नेंस की प्रक्रिया में नागरिकों की भागीदारी भी सुनिश्चित होगी।

एनवायरमेंट: प्रदूषण से मुक्ति रहेगी।

स्वस्थ्य माहौल रहेगा।

सिक्युरिटी: आप सुरक्षित रहेगे। महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गो की सुरक्षा पर विशेष ध्यान रहेगा।

हैल्थ: स्वास्थ्य और शिक्षा सुविधाएं बेहद ऊंचे दर्जे की होगी। यानी न बीमारी की टेंशन और न ही पढ़ाई की। सभी सुविधाएं मुर्हया करवाई जाएगी।

आईटी: आईटी मजबूत आईटी कनेक्टिविटी और डिजिटलाइजेश। यानी पानी व बिजली के बिल-फीस जमा रिना, बुकिंग जैसे काम केवल एक क्लिंक पर।

प्रस्ताव:-राज्य सरकार ने उदयपुर के लिए 1221 करोड़ का प्रस्ताव भेजा था। इसमें एरिया बेस्ड विकास के लिए 880 करोड़ तथा सम्पूर्ण क्षेत्र विकास के लिए 341 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया था। अब जारी फाइनल प्लान में 1526 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। इसमें एरिया बेस्ड विकास के लिए 1104 और पैन सिटी सॉल्यूशन के लिए 432 करोड़ रुपए का प्रावधान है। केंद्र सरकार पहले साल 200 करोड़ रुपए देगी, एसके बाद हर साल 100 - 100 करोड़ रुपए आंवटित करेगी।

प्रोजेक्ट:- सबसे पहले महापौर ने स्थानीय स्तर पर स्मार्ट शहर संबंधी प्रोजेक्ट प्रस्तुत किया था। इसके बाद राज्य स्तरीय प्रोजेक्ट प्रजेंटेशन 7 दिसंबर को जयपुर में हुआ। स्मार्ट शहर की योजना को व्यवस्थित ढंग से दो भागों में विभाजित किया गया है।

  • एरिसा बेस्ड वर्ड सिटी- यह प्रोजेक्ट का पहला पार्ट है। इसमें शहर की चारदीवारी में आने वाले प्रमुख स्थानों व पर्यटन स्थलों को स्मार्ट बनाने की प्रभावी कार्ययोजना बनाई गई है।
  • स्मार्ट ट्रांसपोर्ट व 4 जी सिस्टम- यह प्रोजेक्ट का दूसरा पार्ट हैं। इसमें शहर के बाहर ट्रांसपोर्ट आदि की बेहतरीन व्यवस्था की जानी है। पानी, बिजली, मीटर सुविधा विकास आदि कार्यो का नियंत्रण एक स्थान से करने की कार्ययोजना है। इसके अुनसार ऑनलाइन कंपलेन पर समस्या का तुरंत निस्तारण होगा।

सिटीजन कंसल्टेशन: नागरिकों की राय, विजन जाना गया। रायशुमारी में 26 फीसदी नागरिकों ने पर्यटन, 22 ने पब्िलिक ट्रांसपोर्ट, 17 ने ठोस कचरा निस्तारण, 10 ने आईटी, आईसीटी, 8 प्रतिशत लोगों ने सुरक्षा, बिजली, शिक्षा, स्वास्थ्य, मकान आदि सुविधाओं पर फोकस का सुझाव दिया। शहर के एरिया भी विकास के लिए घोषित किए गए। तीसरे चरण में फाइनल रिर्पाट तैयार कर सरकार को भेजी गई।

विजन ऑफ द सिटी: प्रोजेक्ट में शहर का विजन बताया गया। रोजगार के अवसर सबसे अधिक पर्यटन क्षेत्र में बताए गए। क्वालिटी ऑफ लाइफ पर विशेष फोकस किया गया।

एरिया बेस्ड प्रपोजल: 34 वर्ग किलोमीटर एरिया में विकास की कार्ययोजना है। सीवरेज, बिजली, पानी, नाली से विकास की ठोस कार्य योजना तैयार की गई। झील व विरासत सरंक्षण हैरिवेंज वॉक पर बल दिया गया।

सिटी प्रपोजल: ट्रांसपोर्ट, पार्किंग व्यवस्था, सीसीटीवी कैमरे लगाने, साइकिल शेयरिंग जैसी योजनाएं चलाने पर जोर दिया गया। शहर का मल्टीफंक्शन एप्स तैयार किया जाएगा। इसपर शहर से जुड़ी प्रत्येक सूचना उपलब्ध रहेगी।

कॉस्टिंग एंड कनवर्जेस: स्मार्ट शहर के लिए तय किए गए कार्यों की संभावित खर्च राशि बताई गई । किस कार्य पर कितना खर्च होगा, इसका ब्यौरा प्रस्तुत किया गया।

इंम्पलीमेशन प्लान: स्मार्ट शहर योजना के क्रियान्वयन के लिए बोर्ड व कमेटी के गठन का प्रारूप पेश किया गया। कमेटी व बोर्ड कैसे कार्य करेगी इसकी भी विस्तुत जानकारी दी गई।

ऑन गोइंग प्राओरिटी इनीशिएटिव: इस पर पहले से प्रयास जारी हैं। शहर के विकास के लिए फिक्की, आईसीएलईआई जैसी संस्थाओं से विशिष्ट कार्यों के लिए हुए अनुबंधनों का जिक्र किया गया। सोलर सिटी मास्टर प्लान, कचरा निस्तारण प्रबंधन में संस्थाएं सहायता देगी।

परिणाम: प्रोजेक्ट में स्मार्ट सिटी के लिए उक्त सात प्रयास हो जाने पर पर्यटन में सालाना 10 प्रतिशत गोथ मानी गई है। ऐसे में 10 साल में रोजगार के 50 हजार नए अवसर मिलेंगे। सातों दिन चौबीसों घंटे पानी की सप्लाई मिलेगी। प्रदूषण 30 प्रतिशत तक घटेगा।

सेहरा:- लेकसिटी को स्मार्ट सिटी की श्रेणी में शुमार कराने में सबसे बड़ी भूमिका शहर के लोगों की रही। स्मार्ट शहर के लिए सरकार-प्रशासन ने सुझाव मांगे, तो इतने लोग उमड़े कि सुझाव देने में हम पूरे देश में अव्वल रहे हैं। ऑनलाइन व ऑफलाइन सुझाव में रिकॉर्ड सवा लाख लोगों यानी 15 प्रतिशत आबादी ने भागीदारी निभाकर लेकसिटी को स्मार्ट शहर बनाने की प्रतिबद्धता जताई। इसे यूं भी समझ सकते हैं कि औसतन प्रत्येक घर से एक व्यक्ति ने सुझाव दिया है। शहरवासियों की इसी जागरुकता ने केंद्र सरकार को ध्यान पुरजोर तरीके से खींचा और हमारा उदयपुर 16वें नंबर पर चयनित हुआ। हमारी ऐतिहासिक स्थल और पर्यटन विकास की प्रचूर संभावनाएं भी इस चयन का आधार बनी।

स्मार्ट शहर को लेकर जनता के बीच हुई परीक्षा में शामिल कुल 65 हजार में से 5 हजार लोग ऑनलाइन सम्मिलित हुए थे। कुल 12 अंको के पर्चे में जनता को क्रमवार 5 प्राथमिकताएं तय करनी थी। इनमें 44 प्रतिशत लोगों ने पर्यटन को पहले नंबर पर रखा था। नागरिकों ने 65 हजार फार्म भरे और सुझाव देकर प्रतिबद्धता जताईं। एक हजार करोड़ के बजट का प्रभावी प्रजेंटेशन दिया। हैरिटज और पर्यटन स्थलों सहित पर्यटन विकास की संभावनाओं की हमारे यहां प्रचुरता है।

Interest Areas for Udaipur Investment
सीधे सुझाव पत्र देने वालों की पसंदऑनलाइन सुझाव दाताओं की पसंद
पर्यटन विकास44 प्रतिशतर्प्यटन40 प्रतिशत
जल व सीवरेज26 प्रतिशतठोस अपशिष्ट प्रबंधन11 प्रतिशत
झील व विरासत14 प्रतिशतझील व विरासत11 प्रतिशत
सार्वजनिक परिवहन7 प्रतिशतसार्वजनिक परिवहन10 प्रतिशत
सुरक्षा व सुरक्षा उपाय6 प्रतिशतजल व सीवरेज8 प्रतिशत
अन्य2 प्रतिशतअन्य20 प्रतिशत

बजट:- केंद्र सरकार ने हिदयात दी है कि फाइनल प्रजेंटेशन में जो कुछ दिया गया है, उसी के अुनसार काम किया जाए। वह भी तय टाइम लाइन में। टाइम लाइन से काम नहीं हुआ तो बजट लेप्स हो जाएगा। जनता की रायशुमारी में मिले अंक की प्राथमिकता से काम करना होगा।

खूबसुरत शहर:- झीलों की नगरी खूबसूरत बदलावों की उम्मीदों को आंखों पर सजाए जिस ठहराव से गुजर रही थी, वह जड़ता टूट गई है। उदयपुर का देश की 20 स्मार्ट सिटी में शामिल होना शहरवासियों की कड़ी कोशिशों का सुफल है। आज झीलों की नगरी जोधपुर, अजमेर और कोटा को पीछे छोड़कर जयपुर के बराबर खड़ी है तो यह मेवाड़ को उम्मीदों से लबालब भर देने जैसा है। अब यह हमारे जज्बे, जिम्मेदारी और जवाबदेही की परीक्षा है कि हम स्मार्ट सिटी के इस लक्ष्य को खूबसुरत शहर में कैसे बदल डालें।

राज्य के शहरी विकास मंत्री राजपालसिंह शेखावत मानते हैं, उदयपुर में वर्ल्ड क्लास सिटी की प्रचुर संभावनाएं हैं। स्थानीय प्रशासन, मेंवाड़ के राजनीतिक नेतृत्व और इस इलाके के जीवट वाले विनम्र लोगों का यह शहर वाकई में अपने अंक में विश्व स्तरीय नगर की अपार संभावनाएं कई दशकों से समेटे है। लेकिन स्मार्ट शहर ने झीलों की नगरी की पलकों पर कुछ नए सपने सजा दिए हैं।

अब तक हमारे शहर जिस उम्रदराज प्रबंधन से गुजर रहे हैं, अब वह सामयिक नहीं रह गया है। इसे बेहतर बनाने के लिए सूचना और संचार तकनीक की जरूरत है। बेहतर सड़कें, साफ सुथरे शहर और खूबसूरत मुहल्लों की जरूरत है। स्थानीय निकायों और प्रशासन की सुस्त, सरकश और संवेदनहीन वीथियों में कामकाज की संस्कृति को बदलना समय की पुकार है। हमारा ट्रैफिक मैनेजमेंट बेहतर बने और परिवहन सेवाएं सुकून देने वाली हों।

आप इसे स्मार्ट शहर कहें, सायबर विले पुकारें, डिजिटल शहर, इलेक्ट्रॉनिक कम्युनिटी, फ्लेक्सी शहर, इन्फॉर्मेशन सिटी इंटेलीजेंट शहर, नॉलेज बेस्ड शहर, मेश शहर, टेले शहर या टेली टोपियों या फिर वायर्ड शहर कुछ भी कहें, उदयपुर को लेक से लेकर लाचार तक सुधारों के लिए जीवट के साथ काम करना होगा। इसे सबसे पहले प्रदेश को, फिर देश का और फिर दुनिया का सर्वश्रेष्ठ शहर बनाने का संकल्प लेना है। हमें अपने इर्दगिर्द यथास्थतिवाद की कालिख बहुत नजर आती है, लेकिन हम सब की कोशिशें इस कालिख को दमकता हुआ हीरा बना सकती हैं। शहर को केबल मुक्त बनाना। बेहतर बिजली, सड़क और जल सुविधाएं पुख्ता सीवरेज प्रबंधन। चौदह स्लम जोन को आधुनिक बनाना। इसके साथ ही दूसरी चुनौतियां पर भी गंभीरता से काम-काज करना होगा।

एसपीवी:- हमें विशेष प्रयोजन व्हीकल (एसपीवी) बनाने होंगे। यह सीमित दायित्व कंपनी होगी। इसमें राज्य सरकार व नगरीय निकायों की बराबर हिस्सेदारी होगी। निजी पार्टी हिस्सेदारी हो सकती है। लेकिन 49 फीसदी से अधिक नहीं। मंत्रालय 200 करोड़ रुपए की पहली किस्त इस वित्त वर्ष में जारी करेगा। अगले साल प्रति वर्ष 100 करोड़ रुपए जारी किए जाएगें। इस तरह अगले तीन साल में एसपीवी को केंद्र से 500 करोड़ और राज्य सरकार व शहरी निकायों से 250 - 250 करोड़ रुपए मिलेंगे। एसपीवी प्रस्ताव में दिए कार्यो को करने की योजना बनाएगी। उसे क्रियान्वित करेगी। उसका प्रबंधन करेगी और उसे संचालित भी करेगी। फंडजारी करने का अधिकार भी एसवीपी के हाथ में होगी। स्मार्ट शहर के कामकाज की मॉनिटरिंग करने वाली विशेष प्रयोजन साधन एसवीपी के चेयरमैन राज्य के पमुख शासन सचिव मंजीसिंह होगें। मेयर व कलक्टर भी इसमें शामिल होगें। स्मार्ट शहर में शामिल विभागों के प्रमुख इसमें सदस्य होंगे।

उपंसहार:- पूरी उम्मीद थी कि हम चुने जाएगेंं। आखिर सरकार ने जनता के सुझावों का सम्मान किया और हम खिताब पा गए। अब सारा जोर सभी बिन्दुओं पर एक-एक करके काम पूरे करने का है। इस परीक्षा में भी हम खरे उतरेंगे। प्रजेंटेशन व प्रोजेक्ट में बताए गए प्लान के अनुसार ही काम करना होगा। पूरी ताकत झोक देगें लेकिन जनता का सहयोग हर कदम पर चाहिए सुझाव पत्रों जैसा साथ मिलता रहे तो उदयपुर को दुनिया की बेहतरीन शहर बना देगे। स्मार्ट शहर के लिए हर साल मिलने वाले बजट का उपयोग न केवल विकास के दृष्टिकोण को मद्देनजर रखकर खर्च किया जाएगा बल्कि पर्यटन सिटी को फोकस करके भी योजना को मूर्त रूप दिया जाएगा। अगर जनता-प्रतिनिधि और अधिकारी मिलकर काम करें तो कुछ भी असंभव नहीं हैं। स्मार्ट शहर में शामिल होने के बाद अब जनता को भी और भी स्मार्ट नेस के साथ हर स्तर पर अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी।

Examrace Team at Aug 21, 2021