1947 − 1964 की प्रगति (Progress of 1947 − 1964) for NET, IAS, State-SET (KSET, WBSET, MPSET, etc.), GATE, CUET, Olympiads etc. Part 1 for NET, IAS, State-SET (KSET, WBSET, MPSET, etc.), GATE, CUET, Olympiads etc.

Get unlimited access to the best preparation resource for CTET-Hindi/Paper-1 : get questions, notes, tests, video lectures and more- for all subjects of CTET-Hindi/Paper-1.

भारत का संविधान ~NET, IAS, State-SET (KSET, WBSET, MPSET, etc.), GATE, CUET, Olympiads etc.: 1947 - 1964 की प्रगति (Progress of 1947 - 1964) for NET, IAS, State-SET (KSET, WBSET, MPSET, etc.), GATE, CUET, Olympiads etc. Part 1

आजादी मिलने के बाद, 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू हुआ। इस संविधान का निर्माण भारत की प्रतिनिधि सभा दव्ारा किया गया था। आज देश की शासन व्यवस्था संविधान के अनुसार ही संचालित होती है। भारतीय संविधान भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक, गणराज्य घोषित करता है। भारत के शासन की संप्रभुता उसकी जनता में निहित है। इस प्रकार जनता ही अप्रत्यक्ष रूप से शासन का नियमन और संचालन करती है। इसके लिए देश में प्रतिनिधि प्रणाली को अपनाया गया है। चूंकि बड़े देश में शासन का संचालन प्रत्यक्ष रूप से संभव नहीं हो पाता, इसलिए जनता शासन संबंधी अपना अधिकार अपने दव्ारा चुने गए प्रतिनिधियों में समाहित कर देती है। चुने गए प्रतिनिधि जनता के नाम पर शासन करते हैं, और अपने कार्य के लिए जनता के प्रति उत्तरदायी होते हैं। जनता प्रत्येक पांच वर्ष पर गुप्त मतदान के दव्ारा अपने प्रतिनिधि का चयन करती है। मतदान की यह प्रणाली कमोबेश सभी लोकतंत्रों में अपनायी गई है।

संविधान के अनुसार भारत में संसदीय प्रणाली की स्थापना की गई है। हमारे चुने गए प्रतिनिधि संसद और राज्य विधान मंडलों के सदस्य होते हैं। सरकार का गठन विधान मंडल के सदस्यों दव्ारा ही होता है। विधान मंडल के सदस्य शासन के लिए नीति निर्धारित भी करते हैं।

संविधान के अनुसार भारत एक धर्मनिरपेक्ष राज्य है। भारत में धर्मनिरपेक्षता को एक बृहद अर्थ में स्वीकार किया गया है जिसका अभिप्राय है-सर्व धर्म समन्वय। इसके साथ ही शासन को धार्मिक कृत्यों से अलग किया गया है। संविधान किसी भी धर्म को राजकीय धर्म के रूप में स्वीकार नहीं करता।

भारत की शासन व्यवस्था का मुख्य आधार है-संघीय प्रणाली। इसमें संघ एवं राज्य दो अलग-अलग इकाइयां हैं। संविधान में इनके बीच शक्तियों का स्पष्ट बंटवारा किया गया तथा साथ ही इनके बीच समन्वय स्थापित करने का भी प्रयास किया गया है। भारत की संघीय प्रणाली की मुख्य विशेषताएं हैं- लिखित संविधान, शक्तियों का बंटवारा तथा संसद की ऊपरी सदन का गठन। उपरी सदन का गठन राज्यों दव्ारा चुने गए प्रतिनिधियों दव्ारा होता है।

भारत के संविधान में राजनीतिक स्वतंत्रता के साथ-साथ सामाजिक-आर्थिक स्वतंत्रता भी सुनिश्चित की गई है। इसके लिए व्यक्ति के मूलभूत अधिकारों की घोषणा की गई। संविधान में मौटे तौर पर 6 प्रकार की स्वतंत्रताओं की गारंटी (विश्वास) दी गई है। ये मूल अधिकार हैं- समानता का, विचारो की अभिव्यक्ति का अधिकार, शोषण से रक्षा का अधिकार, अंत: करण की प्रेरणा तथा धर्म को निर्बाध रूप से मानने, उसके अनुरूप आचरण करने तथा उसका प्रचार करने की स्वतंत्रता, अपने भाषा, लिपि एवं संस्कृति को संरक्षित करने का अधिकार एवं संवैधानिक उपचारों का अधिकार।