ब्रिटिश सरकार की प्रशासनिक एवं सैन्य नीतियाँ (Administrative and Military Policies of British Government) Part 22 for NET, IAS, State-SET (KSET, WBSET, MPSET, etc.), GATE, CUET, Olympiads etc.

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प्रमुख विचार ~NET, IAS, State-SET (KSET, WBSET, MPSET, etc.), GATE, CUET, Olympiads etc.: ब्रिटिश सरकार की प्रशासनिक एवं सैन्य नीतियाँ (Administrative and Military Policies of British Government) Part 22

  • हमें सिंधु पर कब्जा करने का कोई हक नहीं है, फिर भी हम ऐसा करेंगे, और यह बदमाशी का एक बहुत ही लाभदायक, उपयोगी और मानवीय उदाहरण होगा।

-नेपियर

  • हमें ऐसा वर्ग बनाने के लिए जी-जान से प्रयत्न करना चाहिए जो हमारे और करोड़ों लोगों के बीच, जिन पर हम शासन करते हैं, दुभाषिए का काम कर सके; यह उन लोगों का वर्ग हो, जो रक्त और रंग की दृष्टि से भारतीय, मगर रुचि, विचारों, आचरण तथा बुद्धि की दृष्टि से अंग्रेज हों।

- मैकाले

  • अनेक अंग्रेज और भारतीय अधिकारी ईमानदारी के साथ यह मानते हैं कि वे दुनिया की सबसे अच्छी प्रणालियों में से एक को यहां लागू कर रहे हैं।

-गांधी

  • यदि हमारी शिक्षा योजनाओं का अनुसरण किया गया तो बंगाल के प्रतिष्ठित वर्ग आने वाले 30 वर्षों में एक भी मूर्तिपूजक नहीं रहेगा।

-मैकाले

  • सिंध को जीतना तो बुरा था परन्तु छोड़ना उससे भी अधिक बुरा होता।

-ग्लैडस्टन

  • पंजाब को साम्राज्य में मिलाना न्यायसंगत तो संभवत: हो, परन्तु अनुचित था।

-हेनरी लारेंस

  • हमारी भारत में सामान्य प्रतिनिधि परपंरा दव्ारा कानून बनाने की प्रणाली आरंभ करने की कोई इच्छा नहीं है।

-चार्ल्स वुड

  • ऐसे भारतीय भद्र पुरुषों को, जो अपने प्रभाव तथा अपनी योग्यताओं से अपने देशवासियों में विश्वास उत्पन्न कर सकते हैं और जिनमें इतनी बुद्धि तथा क्षमता है कि देश के प्रशासकों की अपने सुझावों से सहायता कर सकें, उनको लोक कार्यो के प्रशासन में अधिक भाग लेने का अवसर दिया जाए।

-लार्ड डफरिन

  • न्यायालय में इतनी शक्ति नहीं थी जो सरकार के सैनिक और असैनिक पदाधिकारियों को नियंत्रण में रख सकता और अराजकता और अव्यवस्था पहले की भांति ही चलती रहीं।

-एस एन सेन

  • मेरा दृढ़ विश्वास है कि भारत में उपयोगी शिक्षा के माध्यम के रूप में देशी भाषाओं का इस्तेमाल के मुकाबले अधिक फायदे का है। लोगों को अपनी भाषा में जो कुछ शिक्षा दी जाएगी उसे समझने में उन्हें कम कठिनाई होगी, और किसी विदेशी भाषा के माध्यम से उन्हें वह शिक्षा दी जाए तो उन्हें अधिक कठिनाई होगी।

- शंकर सेठ

  • व्यक्तिगत नियंत्रण वाली शैक्षणिक संस्थाएं ठीक से काम नहीं कर रही थी, शिक्षित भारतीय विदेशी संस्कृति को आत्मसात करने में प्रकृया अयोग्य थे। और चरित्रवान व्यक्तित्व के निर्माण की दृष्टि से शिक्षा व्यवस्था का पुनर्गठन होना चाहिए।

-हार्टोंग कमिटी

  • जनशिक्षा की उपेक्षा से यह स्पष्ट है कि भारत के नए शासक इस देश के सामाजिक उत्थान के लिए यहां नहीं आए थे। अंग्रेजी को इतना अधिक महत्व देने का कारण यह था कि वे स्वभावत: यही चाहते थे कि शाासन में कम खर्च हो।

-गोखले

  • इस शिक्षा व्यवस्था का उद्देश्य था मध्यमवर्गीय भारतीय नौजवानों पर ब्रिटेन के गौरव और समृद्धि की छाप डालना और उन्हें विदेशी अफसरशाही के सुयोग्य नौकर बनाना।

-गोखले

  • भारत का राष्ट्रीय आंदोलन साम्राज्यवाद और इसकी शोषण व्यवस्था से पैदा हुआ। शिक्षा व्यवस्था चाहे जो भी रहती, भारतीय बुर्जुआजी का उदय और ब्रिटिश बुर्जुआजी के प्रभुत्व के खिलाफ इसकी बढ़ती हुई प्रतिदव्ंदव्ता अवश्यभावी थी।

-आ सी दत्त

  • अधिकांश संख्या में उच्च पद जो यूरोपियों के लिए थे और शुद्धत: तथा खासकर उन्हीं के लिए रखे जाने चाहिए थे देसी लोगों की श्रेष्ठतर बुद्धि के कारण उन्हीं के हाथों में पहुँचते जा रहे हैं।

-कर्जन

  • एक संस्था से हम कभी इसके प्रकार्य और विशेषाधिकार नहीं छीनेंगे और यह संस्था है भारत की ब्रिटिश सिविल (नागरिक) सर्विस (सेवा) ।

-लॉयड जॉर्ज