राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण नीति (National Mineral Exploration Policy – International Relations India and the World)

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सुर्ख़ियों में क्यों?

• केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण नीति को मंजूरी दे दी है।

• देश में खजिन अन्वेषण को प्रोत्साहित करने के लिए खान मंत्रालय ने पहले से ही राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण ट्रस्ट (संस्था) को अधिसूचित किया है।

नीति की आवश्यकता क्यों?

• हाल के दिनों में खान मंत्रालय ने खनिज क्षेत्र के विकास के लिए 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति के साथ कई उपाय शुरू किये हैं। हालांकि, इन प्रयासों को सीमित सफलता ही मिली हैं।

• भारत के पूरे स्पष्ट भूवैज्ञानिक संभावित क्षेत्र में से केवल 10 फीसदी का ही अन्वेषण किया गया है और इस क्षेत्र के केवल 1.5 - 2 प्रतिशत में ही खनन किया जाता है।

• इसके अलावा, पिछले कुछ वर्षो में खनिज क्षेत्र की गतिशीलता में बड़ा परिवर्तन आया है जिससे नई मांग और अनिवार्यताओं का निर्माण हुआ है।

मुख्य विशेषताएं

• राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण नीति का मुख्य उद्देश्य निजी क्षेत्र की भागीदारी के माध्यम से देश में अन्वेषण गतिविधि को तेज करना है।

• राज्य भी अन्वेषण परियोजनाओं की जानकारी देकर बड़ी भूमिका निभाएंगे, इन अन्वेषण परियोजना को राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण ट्रस्ट के माध्यम से पूरा किया जाएगा।

• राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण नीति में प्रस्ताव किया गया है कि क्षेत्रीय और विस्तृत अन्वेषण करने वाली निजी संस्थाओं को खनिज ब्लॉक (अवरोध या बाधा दव्ारा आवागमन में रोक डालना) की ई-नीलामी के बाद सफल बोलीदाता से खनन के राजस्व में से एक निश्चित हिस्सा मिलेगा।

• राजस्व का बंटावारा या तो एक मुश्त राशि में या एक वार्षिकी के रूप में होगा, और इसका भुगतान हस्तांतरणीय अधिकारों के साथ खनन पट्‌टे की पूरी अवधि के दौरा किया जाएगा

• निजी अन्वेषक का चुनाव ई-नीलामी के माध्यम से प्रतिस्पर्धी बोली की एक पारदर्शी प्रक्रिया के माध्यम से किया जाना प्रस्तावित है।

• इसके लिए, सरकार दव्ारा नीलामी के लिए क्षेत्रीय अन्वेषण के लिए उचित क्षेत्र या ब्लॉक निर्धारित किये जाएगे।

प्रमुख प्रभाव

• पूर्व-प्रतिस्पर्धात्मक बेसलाइन भू-वैज्ञानिक डाटा का निर्माण सार्वजनिक वस्तु के तौर पर किया जाएगा, जिसे बिना किसी शुल्क के भुगतान के देखा जा सकेगा। इससे सार्वजनिक और निजी अन्वेषण एजेंसियों (कार्यस्थानों) का फायदा होने की उम्मीद है।

• सार्वजनिक निजी भागीदारी में अन्वेषण हेतु आवश्यक वैज्ञानिक और तकनीकी विकास के लिए वैज्ञानिक और अनुसंधान निकायों, विश्वविद्यालयों और उद्योग का सहयोग संभव होगा।

• सरकार देश में छुपे खनिज भंडार के अन्वेषण के लिए एक विशेष पहल का शुभारंभ करेगी।

• पूरे देश के मानचित्रीकरण के लिए एक राष्ट्रीय हवाई भू-भौतिक मानचित्रिकरण कार्यक्रम पेश किया जाएगा, जिससे गहरे और छिपे हुए खनिज भंडारों की पहचान की जा सकेगी।

• सरकार नीलामी के माध्यम से राज्य सरकार के पास एकत्रित राजस्व में से कुछ राजस्व साझा करने के अधिकार के साथ निर्धारित ब्लॉक/क्षेत्रों में अन्वेषण के लिए निजी एजेंसियों को शामिल करेगी।

• क्षेत्रीय और विस्तृत अन्वेषण पर सार्वजनिक व्यय को प्राथमिकता दी जाएगी और निणार्यक तथा सामरिक हितों के आकलन के आधार पर समय-समय पर इसकी समीक्षा की जाएगी।