एच वी डी सी तकनीक (HVDC Technique – Science and Technology)

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सुर्खियों में क्यों?

• अगले तीन साल में भारत में लगभग 34,000 मेगावाट विद्युत का लंबी दूरी तक परिवहन किया जाएगा, मुख्य रूप से उत्तरी और दक्षिणी क्षेत्रों में।

• विशाल ट्रंक पारेषण एचवीडीसी लाइनाें (रेखाओं) की स्थापना के माध्यम से इसे संभव बनाया जाएगा।

एच. वी. डी. सी. क्या है?

• “उच्च वोल्टेज दिष्ट धारा” एक तकनीक हैं जो उच्च वोल्टेज पर दिष्ट धारा अंतरण प्रणाली का उपयोग करके लंबी दूरी के लिए विद्युत पारेषण दक्षत (एफिशिएंसी) (कार्य कुशल/सक्षम) बढ़ाने के लिए विकसित की गई है।

पृष्ठभूमि और तकलनीक

• पावर स्टेशन (शक्ति स्थान) आवर्ती (एसी) उत्पादित करते हैं और ज्यातर विद्युत तार एसी का ही वहन करते हैं। एसी प्रति सेंकड 50 या 60 चक्र की बारंबारता के साथ दोलन करती है, चाहे वह उच्च, मध्यम या निम्न किसी भी वोल्टेज वितरण ग्रिड (जाली) के लिए हो।

• घरों, उद्योगों और कार्यालयों में भी ऊर्जा एसी के रूप में ही उपभोक्ताओं तक पहुँचती है।

• दिष्ट धारा दोलन नहीं करती, इसलिए इसका प्रयोग ऊर्जा अंतरण में करने में कम ऊर्जा का क्षय होता है।

• धारा किसी कनवर्टर स्टेशन में ही रूपांतरित होती है (आवर्ती से दिष्ट रूप में) और प्राप्ति स्थल तक किसी ओवरहेड (पृथ्वी या व्यक्ति के सिर से ऊपर जाने वाला) लाइन (रेखा) या केबल (मोटा मजबूत रस्सा या तार) के दव्ारा ले जाई जाती हैं।

• उसके बाद दूसरे कनवर्टर स्टेशन में एसी में रूपांतरित होती है और एसी नेटवर्क में प्रवाहित की जाती है।

• 800 केवी पर 2,000 किलोमीटर लंबी ट्रांसमिशन (भेजने, दूसरे को देने की प्रक्रिया या रेडियो एवं टेलिविजन प्रसारण) लाइन (रेखा) में कुल ऊर्जा का 5 प्रतिशत क्षय होता है, जबकि समान वोल्टेज की एक एसी लाइन में यह ऊर्जा क्षय दो गुना होता है।

एच. वी. डी. सी. की मांग क्यों बढ़ती जा रही है?

• बढ़ती ऊर्जा जरूरतों के कारण

• पंरपरागत एसी अंतरण तकनीक की तुलना में कम ऊर्जा क्षय

• कम पारेषण लाइनों की आवश्यकता होगी, जिसका अर्थ है कम भूमि की आवश्यकता होगी

एच. वी. डी. सी. केवल लंबी दूरी के ऊर्जा अंतरण के लिए क्यों हैं?

• क्योंकि आवर्ती धारा को दिष्ट धारा में परिवर्तित करने के लिए विशेष उपकरणों की आवश्यकता होती है। एच. वी. डी. सी. केवल लंबी दूरी अंतरण पर सस्ता पड़ेगा: आम तौर पर ओवरहेड लाइनों के लिए 600 किलामीटर से अधिक की दूरी के लिए और अंत: जलीय केबल के लिए 50 किमी से अधिक की दूरी के लिए।

भारत की पहली एच. वी. डी. सी. पारेषण लाइन

• भारत की पहली उच्च वाल्टेज आवर्ती धारा (एच. वी. डी. सी.) ट्रांसमिशन लाइन सार्वजनिक क्षेत्र के स्वामित्व वाली पावरग्रिड (शक्ति जाली) कंपनी दव्ारा बनाई गई है। यह उत्तर-पूर्वी राज्यों को उत्तरी राज्यों से जोड़ती हैं।

• एच. वी. डी. सी. गलियारें से जुड़ी भविष्य की विद्युत उत्पादन परियोजनाओं से पूर्वोत्तर क्षेत्र और भूटान में 24,000 मेगावॉट विद्युत पारेषण की सुविधा उपलब्ध होगी।

• इस गलियारे से उत्तर और पूर्वोत्तर क्षेत्रों में संकुलन की समस्या को हल करने में भी मदद मिलेगी।