ब्रिटिश सरकार की प्रशासनिक एवं सैन्य नीतियाँ (Administrative and Military Policies of British Government) Part 12 for NET, IAS, State-SET (KSET, WBSET, MPSET, etc.), GATE, CUET, Olympiads etc.

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मूल शिक्षा की वर्धा योजना ~NET, IAS, State-SET (KSET, WBSET, MPSET, etc.), GATE, CUET, Olympiads etc.: ब्रिटिश सरकार की प्रशासनिक एवं सैन्य नीतियाँ (Administrative and Military Policies of British Government) Part 12

अक्टूबर, 1937 में, कांग्रेस ने शिक्षा पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन वर्धा में आयोजित किया। इस सम्मेलन में पारित किए प्रस्तावों के अंतर्गत, आधारभूत शिक्षा पर राष्ट्रीय नीति बनाने के लिये जाकिर हुसैन की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गयी। इस समिति ने 1938 में अपनी अनुशंसाएं प्रस्तु की। इस समिति के गठन का मूल उद्देश्य था ′ गतिविधियों के माध्यम से शिक्षा प्राप्त करना। यह अवधारणा गांधी जी दव्ारा हरिजन नामक साप्ताहिक पत्र में प्रकाशित लेखों की एक श्रृंखला पर आधारित थी। गांधी जी का मानना था कि पाश्चात्य शिक्षा ने मुटवित रुक्ष्म्ग्।डऋछ।डम्दव्र्‌ुरुक्ष्म्ग्।डऋछ।डम्दव्रुरू ठी पर शिक्षित भारतीयों एवं जनसाधारण के मध्य एक खाई पैदा कर दी है तथा इससे इन शिक्षित भारतीयों की विदव्ता अप्रभावी हो गयी है। इस योजना को मूल शिक्षा की वर्धा योजना के नाम से जाना गया। इस योजना में निम्न प्रावधान थे-

  • पाठयक्रम में दस्ताकरी को सम्मिलित किया जाए।
  • राष्ट्रीय शिक्षा व्यवस्था के प्रथम सात वर्ष नि: शुल्क एवं अनिवार्य होने चाहिए तथा यह शिक्षा मातृभाषा में दी जाए।
  • कक्षा 2 से कक्षा 7 तक की शिक्षा का माध्यम हिन्दी में होना चाहिए अंग्रेजी भाषा में शिक्षा कक्षा आठ के पश्चातवित रुक्ष्म्ग्।डऋछ।डम्दव्र्‌ुरुक्ष्म्ग्।डऋछ।डम्दव्रुरू ही दी जाए।
  • शिक्षा हस्त-उत्पादित कार्यो पर आधारित होनी चाहिए। अर्थात मूल शिक्षा की योजना का कार्यान्वयन उपयुक्त तकनीकी शिक्षा दव्ारा देने के सिद्धांत पर आधारित होना चाहिए। इसके लिए छात्रों के कुछ चुनिंदा दस्तकारी तकनीकों के माध्यम से शिक्षित किया जाना चाहिए।

शिक्षा की यह योजना नये समाज की नयी जिदंगी के लिये नए विचारों पर आधारित थी। इस योजना के पीछे यह भावना थी कि इससे देश धीरे-धीरे आत्मनिर्भरता एवं स्वतंत्रता की ओर बढ़ेगा तथा इससे हिंसा-रहित समाज का निर्माण होगा। यह शिक्षा सहकारिता एवं बच्चों पर केन्द्रित थी। किन्तु 1939 में दव्तीय विश्व युद्ध प्रारंभ होने तथा कांग्रेसी सरकारों के त्यागपत्र देने के कारण यह योजना खटाई में पड़ गयी।

सार्जेन्ट योजना ~NET, IAS, State-SET (KSET, WBSET, MPSET, etc.), GATE, CUET, Olympiads etc.: ब्रिटिश सरकार की प्रशासनिक एवं सैन्य नीतियाँ (Administrative and Military Policies of British Government) Part 12

वर्ष 1944 में केन्द्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड (परिषद) ने शिक्षा की एक राष्ट्रीय योजना तैयार की, जिसे सार्जेन्ट योजना के नाम से जाना जाता है। सर जॉन सार्जेन्ट भारत सरकार के शिक्षा सलाहकार थे। इस योजना के अनुसार-

  • तकनीकी, वाणिज्यिक एवं कला विषयक शिक्षा की व्यवस्था होनी चाहिए।
  • उत्तर माध्यमिक पाठयक्र्रमों को समाप्त कर दिया जाना चाहिए।
  • 20 वर्षो में वयस्कों को साक्षर बना दिया जाना चाहिए।
  • शिक्षकों के प्रशिक्षण, शारीरिक शिक्षा तथा मानसिक एवं शारीरिक तौर पर विकलांगों को शिक्षा दिए जाने पर बल दिया जाना चाहिए।

इस योजना में 40 वर्ष में देश में शिक्षा के पुननिर्माण का कार्य पूरा होना था तथा इंग्लैंड के समान शिक्षा के स्तर को प्राप्त करना था। यद्यपि यह एक सशक्त व प्रभावशाली योजना थी। किन्तु इसमें इन उपायों के क्रियान्वयन के लिए कोई कार्य योजना प्रस्तुत नहीं की गयी थी। साथ ही इंग्लैंड जैसे शिक्षा के स्तर को प्राप्त करना भी भारतीय परिस्थितियों के अनुकूल नहीं था।