ब्रिटिश प्रशासक एवं उनकी नीतियाँ (British Administrators and Their Policies) Part 3 for NET, IAS, State-SET (KSET, WBSET, MPSET, etc.), GATE, CUET, Olympiads etc.

Doorsteptutor material for CTET-Hindi/Paper-1 is prepared by world's top subject experts: get questions, notes, tests, video lectures and more- for all subjects of CTET-Hindi/Paper-1.

लार्ड कर्जन ~NET, IAS, State-SET (KSET, WBSET, MPSET, etc.), GATE, CUET, Olympiads etc.: ब्रिटिश प्रशासक एवं उनकी नीतियाँ (British Administrators and Their Policies) Part 3

1899 में लार्ड कर्जन भारत का वायसराय बन कर आया। वायसराय बनने के पूर्व कर्जन करीब चार बार भारत आ चुका था। कर्जन के विषय में पी. राबर्टवित रुक्ष्म्ग्।डऋछ।डम्दव्र्‌ुरुक्ष्म्ग्।डऋछ।डम्दव्रुरू स ने लिखा है कि भारत में किसी अन्य वायसराय को अपना पद संभालने से पूर्व भारत की समस्याओं का इतना ठीक ज्ञान नहीं था जितना कि लार्ड कर्जन को।

कर्जन के समय में कई महत्वपूर्ण सुधार किए गए- ~NET, IAS, State-SET (KSET, WBSET, MPSET, etc.), GATE, CUET, Olympiads etc.: ब्रिटिश प्रशासक एवं उनकी नीतियाँ (British Administrators and Their Policies) Part 3

कर्जन ने 1902 में सर एण्ड्रयू फ्रेजर की अध्यक्षता में एक पुलिस आयोग का गठन किया। 1903 में प्रस्तुत अपनी रिपोर्ट में आयोग ने पुलिस विभाग की आलोचना करते हुए कहा कि यह विभाग पूर्णत: अक्षम, प्रशिक्षण से रहित, भ्रष्ट एवं दमनकारी है। आयोग दव्ारा दिये गए सुझावों के आधार पर सभी स्तरों पर वेतन वृद्धि, संख्या में वृद्धि, प्रशिक्षण की व्यवस्था, प्रांतीय पुलिस की स्थापना व केन्द्रीय गुप्तचर विभाग की स्थापना की व्यवस्था की गई।

कर्जन ने 1902 में सर टामस रैले की अध्यक्षता में विश्वविद्यालय आयोग का गठन किया। आयोग दव्ारा दिये गए सुझावों के आधार पर भारतीय विश्वविद्यालय अधिनियम 1904 पारित किया गया। इस अधिनियम के आधार पर विश्वविद्यालय पर सरकारी नियंत्रण बढ़ा दिया गया।

आर्थिक सुधारों के अंतर्गत कर्जन ने 1899 - 1900 में पड़े अकाल व सूखे की स्थिति के विश्लेषण के लिए सर एंटनी मैकाडॉनल की अध्यक्षता में एक अकाल आयोग की नियुक्ति की। 1901 में सर कॉलिन स्कॉट मॉनक्रीफ की अध्यक्षता में एक ‘सिंचाई आयोग’ का भी गठन कर्जन ने किया और आयोग के सुझाव पर सिंचाई के क्षेत्र में कुछ महत्वपूर्ण सुधार किए गए। 1904 में ‘सहकारी उधार समिति अधिनियम’ पेश हुआ, जिसमें कम ब्याज पर उधार की व्यवस्था की गयी। एक ‘साम्राज्यीय कृषि विभाग’ स्थापित किया गया जिसमें पशुधन एवं कृषि के विकास के लिए वैज्ञानिक प्रणाली के प्रयोग को प्रोत्साहित किया गया।

सर्वाधिक रेलवे लाइन (रेखा) का निर्माण कर्जन के समय में ही हुआ। इंग्लैंड के रेल विशेषज्ञ राबर्टसनवित रुक्ष्म्ग्।डऋछ।डम्दव्र्‌ुरुक्ष्म्ग्।डऋछ।डम्दव्रुरू को भारत बुलाया गया। उन्होंने वाणिज्यि उपक्रम के आधार पर रेल लाइनों के विकास पर बल दिया।

न्यायिक सुधारों के अंतर्गत कर्जन ने कलकता के उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की संख्या में वृद्धि कर दी। उसने उच्च न्यायालय एवं अधीनस्थ न्यायालयों के न्यायाधीशों के वेतन एवं पेंशन बढ़ा दी। उसने भारतीय व्यवहार प्रक्रिया संहिता में परिवर्तन किया।

कर्जन ने सेनापति किचनर के सहयोग से सेना का पुनर्गठन किया। भारतीय सेना दो कमानों उत्तरी व दक्षिणी में बांट दी गई। उत्तरी कमान ने अपना कार्यालय मरी में एवं प्रहार केन्द्र पेशावर में तथा दक्षिणी कमान ने अपना कार्यालय पूना में एवं प्रहार केन्द्र क्वेटा में स्थापित किया।

कर्जन ने ‘कलकत्ता निगम अधिनियम’ के दव्ारा चुने जाने वाले सदस्यों की संख्या में कमी कर दी, परन्तु निगम एवं उसकी समितियों में अंग्रेजों की संख्या बढ़ा दी गई।

‘प्राचीन स्मारक परिक्षण अधिनियम 1904’ के दव्ारा कर्जन ने भारत में पहली बार ऐतिहासिक इमारतों की सुरक्षा एवं मरम्मत की ओर ध्यान दिया। इस कार्य के लिए उसने ‘भारतीय पुरातत्व विभाग’ की स्थापना की।

कर्जन के भारत विरोधी कार्यो में सर्वाधिक महत्वपूर्ण कार्य था-1905 में ‘बंगाल का विभाजन’ । उसने राष्ट्रीय आंदोलन को कमजोर करने के उद्देश्य से, प्रशासनिक असुविधाओं को आधार बनाकर बंगाल को दो भागों में बांट दिया। पूर्वी भाग में बंगाल और असम में चटगाँव, ढाका, राजशाही को मिलाकर एक नया प्रांत बनाया गया। इस प्रांत का मुख्य कार्यालय ढाका में था। पश्चिमी भाग में पश्चिमी बंगार, बिहार एवं उड़ीसा को सम्मिलित किया गया। कर्जन का यह विभाजन ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति पर आधारित था। उसने इस कार्य के दव्ारा हिन्दू और मुसलमानों में मतभेद पैदा करने का प्रयत्न किया। विभाजन का यह कार्य अंतिम रूप से अक्टूबर, 1905 में संपन्न हुआ, परन्तु इस विभाजन के विरोध में इतनी आवाजें उठीं कि 1911 में इस विभाजन को समाप्त करना पड़ा।

कर्जन ने फारस की खाड़ी में अधिक सक्रियता दिखाई। उसने तिब्बत के गुरु दलाई लामा पर रूस की ओर झुकाव का आरोप लगाकर तिब्बत में हस्तक्षेप किया। कर्नल यंग हस्बैंड के नेतृत्व में गई सेना ने तिब्बतियों से एक संधि भी की।