1947 − 1964 की प्रगति (Progress of 1947 − 1964) for NET, IAS, State-SET (KSET, WBSET, MPSET, etc.), GATE, CUET, Olympiads etc. Part 8for NET, IAS, State-SET (KSET, WBSET, MPSET, etc.), GATE, CUET, Olympiads etc.
Get unlimited access to the best preparation resource for CTET-Hindi/Paper-1 : get questions, notes, tests, video lectures and more- for all subjects of CTET-Hindi/Paper-1.
देशी रियासतों का एकीकरण
अंग्रेजों के अधीन भारत स्पष्टतया दो भागों में विभक्त था-ब्रिटिश भारत तथा भारतीय देशी राज्य। स्वतंत्रता प्राप्ति के पूर्व इन देशी राज्यों की संख्या लगभग 562 थी और इन पर ब्रिटिश अधिसत्ता स्थापित थी। ये रियासतें भारत में ब्रिटिश सत्ता का आधारभूत स्तंभ थीं। ये रियासतें भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के मार्ग में बाधक थी। अंग्रेजों ने इन रियासतों को अवरोधक के रूप में प्रयोग किया
3 जून, 1947 ई. में माउन्टबेटन घोषणा के बाद देशी राज्याेें की समस्या और जटिल हो गई। इस घोषणा दव्ारा देश के विभाजन की योजना बनायी गई और यह स्पष्ट हो गया कि देशी राज्य स्वतंत्र हो जाएंगे। यह बात उनकी इच्छा पर रहेगी कि वे भारत में सम्मिलित हों अथवा पाकिस्तान में अथवा स्वतंत्र रहे। इससे देश के लिए भारी समस्या उत्पन्न हुई क्योंकि बिना इन रियासतों के संघ में मिले भारत का राजनीतिक एकीकरण संभव नहीं था। कुछ राज्यों ने स्थिति को और भी गंभीर बना दिया। उदाहरण के लिए भारत-विभाजन की योजना घोषित होने के एक सप्ताह बाद हैदराबाद के निजाम ने यह फरमान जारी किया कि भारत में अंगेजी सत्ता हट जाने के बाद यह स्वतंत्र राज्य बना रहेगा।
27 जून, 1947 को देशी राज्यों की समस्या के समाधान हेतु भारत सरकार के अंतर्गत एक राज्य विभाग खोला गया जिसके प्रधान सरदार वल्लभ भाई पटेल बनाये गए। 5 जुलाई, 1947 ई. को उन्होंने देशी नरेशों से एक अपील की। उन्होंने देशी नरेशों से आहवान किया कि वे वैदेशिक नीति, यातायात एवं सुरक्षा से संबंद्ध विषय भारत सरकार को सौंप दें। शेष विषय में वे स्वतंत्र रहेंगे। हैदराबाद, जूनागढ़ एवं कश्मीर को छोड़कर अन्य सभी देशी राज्य ‘प्रवेशपत्र’ पर हस्ताक्षर करके भारतीय संघ में सम्मिलित होने को तैयार हो गए। देशी राज्यों का विलय-निम्नलिखित चार प्रकार से किया गया:
- छोटे छोटे राज्यों का विलय: छोटे-छोटे राज्यों के शासन को स्वावलंबी इकाई नहीं माना गया। उन्हें उनके निकटवर्ती प्रांतों में सम्मिलित कर दिया गया। उदाहरणार्थ बड़ौदा को बंबई में मिला दिया गया।
- केन्द्र शासित प्रदेश: कुछ देशी राज्यों को अथवा उनके संघों को मुख्य कमिश्नर (आयुक्त) के प्रांतों की भांति केन्द्रीय सरकार के अधीन रखा गया। त्रिपुरा, मणिपुर, हिमाचल प्रदेश आदि राज्यों का विलय इसी प्रकार हुआ।
- स्वावलंबी संघ: जो देशी राज्य एक-दूसरे के समीप थे और जिन्हें मिलाकर प्रशासन का स्वावलंबी संघ बनाया जा सकता था उन्हें वैसे ही बना दिया गया। सौराष्ट्र संघ, मध्य भारत संघ, कोचीन, त्रावणकोर संघ, पटियाला और पूर्वी पंजाब की रियासतों का संघ आदि ऐसे ही थे। प्रत्येक ऐसे संघ के लिए एक राजप्रमुख और एक उपराज प्रमुख होते थे जिनकी स्थिति राज्यों के गवर्नर (राज्यपाल) जैसी थी।
- यथास्थिति वाले राज्य: बड़े-बड़े देशी राज्यों को ज्यों का त्यों छोड़ दिया गया और वहाँ के शासक नरेश राजप्रमुख के रूप में स्वीकार कर लिये गए। इस तरह के तीन राज्य थे-मैसूर, हैदराबाद एवं कश्मीर। मैसूर तो शीघ्र ही भारतीय संघ में शामिल हो गया, लेकिन जूनागढ़, कश्मीर और हैदराबाद की समस्या कुछ दिनों तक बनी रही।
- हैदराबाद
हैदराबाद का निजाम भी स्वयं को पूरी तरह स्वतंत्र समझता था। निजाम की सबसे बड़ी महत्वाकांक्षा अधिक से अधिक धन इकटवित रुक्ष्म्ग्।डऋछ।डम्दव्र्ुरुक्ष्म्ग्।डऋछ।डम्दव्रुरू ठा करने की थी। उन्होंने सारी सत्ता अपने हाथों में केन्द्रित कर रखी थी। प्रजातंत्र उनके लिए एक दूषित प्रणाली थी और वे राजत्व के दैवी सिद्धांत के समर्थक थे। 29 नवंबर, 1947 ई. में निजाम ने भारत के साथ स्टेंडस्टिल एग्रीमेंट (समझौता) पर हस्ताक्षर किए। इसके दव्ारा 15 अगस्त, 1947 ई. के पहले की स्थिति को बनाये रखने का फैसला हुआ, परन्तु निजाम भारतीय संघ में विलय के प्रस्ताव को अंत तक मानने से इंकार करते रहे। अंत में 26 जनवरी, 1950 ई. में हैदराबाद का विलय भारतीय संघ में हुआ।
- कश्मीर
कश्मीर की समस्या भी जटिल थी। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद कुछ कबाइलियों ने कश्मीर पर हमला कर दिया था। कश्मीर का शासक उसे रोकने में असमर्थ था। बाहरी आक्रमण से राज्य की रक्षा करने के लिए वहाँ के महाराजा ने 26 अक्टूबर, 1947 ई. को भारतीय संघ में सम्मिलित होना स्वीकार किया। भारतीय सेनाओं ने कश्मीर की सुरक्षा की पर्याप्त व्यवस्था की और आक्रमणकारियों को पीछे भगाया। परन्तु तब तक इन कबाइलियों का कश्मीर की एक-तिहाई भूमि पर कब्जा हो चुका था। वास्तव में पाकिस्तानी सेना ने ही इन कबाइलियों का वेश धारण कर कश्मीर पर आक्रमण किया था। संयुक्त राष्ट्र के हस्तक्षेप पर नियंत्रण रेखा की स्थापना के साथ युद्ध बंद हुआ। कश्मीर के भारत में विलय के बाद भी यह समस्या आज तक पूर्णरूपेण हल नहीं हो पाई है।
- जूनागढ़
जूनागढ़ का मुस्लिम नवाब रियासत को पाकिस्तान में सम्मिलित करना चाहता था, किन्तु हिन्दु जनसंख्या भारत में सम्मिलित होने के पक्ष में थी। अंतत: नवाब के दमनकारी रवैये के कारण यहाँ जनमत संग्रह कराया गया, जिसमें जनता ने भारी बहुमत से भारत में सम्मिलित होने के पक्ष में निर्णय दिया। जूनागढ़ रियासत का विलय भारतीय संघ में कर लिया गया।