केयर्न इंडिया (भारत) कर विवाद (Cairn India Tax Dispute – Economy)

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सुर्ख़ियों में क्यों?

• केयर्न एनर्जी (ऊर्जा) ने भारत-ब्रिटेन दव्पक्षीय निवेश समझौते के तहत भारत सरकार के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता की प्रक्रिया प्रारंभ की है। कंपनी ने कहा है कि 1.6 अरब डॉलर (अमेरिका व अन्य राज्यों में प्रचलित मुद्रा) के कर विवाद पर भारत सरकार की कार्रवाई से उसे बहुत नुकसान हुआ है और वह करीब 7000 लाख डॉलर का मुआवता भारत सरकार से मांगेगी।

भारत के दव्पक्षीय निवेश समझौते (बीआईटी)

• भारत ने ब्रिटेन के साथ 1994 में अपने पहले दव्पक्षीय निवेश समझौते पर हस्ताक्षर किए।

• 1994 से, भारत ने कुल 83 दव्पक्षीय निवेश समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं, जिनमें से 72 वर्तमान में लागू हैं।

• लगभग 40 दव्पक्षीय निवेश समझौते विकासशील और अल्प विकसित देशों के साथ हैं।

• लगभग 20 दव्पक्षीय निवेश समझौते पिछले पांच वर्षो में किये गये हैं।

• इन बीआईटीएस पर बातचीत काफी हद तक 1993 के भारतीय मॉडल (आदर्श) बीआईटी के आधार पर होती हैं।

दव्पक्षीय निवेश समझौतों के तहत कुछ अन्य प्रमुख विवाद

• वोडाफोन कर विवाद, (संधि लागू) : नीदरलैंड-भारत दव्पक्षीय निवेश समझौता

• बाल निवेश कोष, (संधि लागू) : साइप्रस-भारत दव्पक्षीय निवेश समझौता

• लूप टेलीकॉम, (संधि लागू) : ब्रिटेन -भारत दव्पक्षीय निवेश समझौता

भारत के दव्पक्षीय निवेश समझौतों की पृष्ठभूमि

• 1991 में अपनाई गई आर्थिक उदारीकरण की नीति में विदेशी निवेश को औद्योगिक नीति की आधारशिला के रूप में देखा गया।

• औद्योगिक नीति ने उस वर्ष अपनी उम्मीदें विदेशी निवेश पर टिका दी थीं। यह माना गया कि विदेशी निवेश प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, विपणन, विशेषज्ञता, आधुनिक प्रबंधकीय तकनीक और निर्यात को बढ़ावा देने की नई संभावनाओं को साथ लाएगा।

• दव्पक्षीय निवेश संवर्धन और संरक्षण करार (बीआईपीएएस) अथवा दव्पक्षीय निवेश समझौते (बीआईटीएस) के रूप में भारत में जानी जाने वाली व्यवस्था इसका मुख्या आधार है। सभी भारतीय दव्पक्षीय निवेश समझौते में यह स्पष्ट है कि निवेश को बढ़ावा देना एक महत्वपूर्ण उद्देश्य है। यहां तक कि दव्पक्षीय निवेश समझौते के प्रारूप में भी यह कहा गया है।

• हाल के दिनों में विदेशी निवेशकों दव्ारा भारत के खिलाफ 18 से अधिक दावे किये गए हैं और अगर वे ये मुकदमे जीत जाते हैं तो देश के सरकारी खजाने पर बहुत दबाव पड़ेगा। इनमें से अधिकांश दावे कर विवादों से उत्पन्न हुए हैं।

संशोधित मॉडल (आदर्श) बीआईटी: कैबिनेट (मंत्रिमंडल) ने हाल ही में संशोधित मॉडल को मंजूरी दे दी है। दव्पक्षीय निवेश संधि (बीआईटी) के लिए संशोधित भारतीय मॉडल टेवस्ट मौजूदा भारतीय मॉडल बीआईटी का स्थान लेगा। संशोधित मॉडल को मौजूदा बीआईटीएस पर फिर से बात करने और भविष्य के बीआईटीएस और व्यापारा समझौतों में निवेश प्रकरणों पर बातचीत के लिए इस्तेमाल किया जाएगा।

संशोधित मॉडल बीआईटी की निम्नलिखित मुख्य विशेषताएं हैं

• निवेश की “उद्यम” आधारित परिभाषा

• उचित प्रक्रिया के माध्यम से गैर-भेदभावपूर्ण व्यवहार

• राष्ट्रीय व्यवहार

• ज़ब्ती से सुरक्षा

• एक संशोधित निवेशक राज्य विवाद निपटान प्रावधान जिसमें निवेशकों के लिए अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता शुरू करने से पहले सभी स्थानीय तरीकों का पूर्ण उपयोग आवश्यक हो।

• न्यायाधिकरण की शक्ति को केवल मौद्रिक मुआवजा देने तक सीमित करना।

• मॉडल में कुछ मामले शामिल नहीं हैं, जैसे

• सरकारी खरीद

• कराधान, सब्सिडी (सरकार दव्ारा आर्थिक सहायता)

• अनिवार्य लाइसेंस (अधिकार)