Science and Technology: New Developments in Space Technology

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अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में हुए नवीन विकास (New Developments in Space Technology)

  • जेड 1 स्पेससूट (ZI Spacesuit) : इस स्पेससूट को नासा ने तैयार किया है। इस सूट की विशेषताएँ हैं- लचीलापन, अंतरिक्ष में अधिक समय तक ठहरने की स्थिति में विकिरण आघात से सुरक्षा प्रदान करना। इस सूट की सहायता से अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष में अधिक समय तक विचरण कर सकेगा। इस सूट के पीछे का हिस्सा एक दव्ार की तरह कार्य करता है अर्थात अंतरिक्ष यात्री किसी एयरलॉक (Airlock) की आवश्यकता के बिना जल्दी से इस सूट को पहन सकता हैंं
  • क्षुद्रग्रह खनन (Asteroids Mining) : पृथ्वी के प्राकृतिक संसाधनों का दोहन अत्यधिक होने की स्थिति में नासा के वैज्ञानिकों ने यह मत दिया है कि प्लैटिनम और कोबाल्ट जैसे तत्वों का क्षुद्रग्रहों से भी खनन किया जा सकता है जिससे हमारी वर्तमान आवश्यकताएँ पूरी हो सकें। इस दिशा में अगला कदम ऐसे अंतरिक्ष यानों का विकास करना है जो क्षुद्रग्रहों के नमूने लेने में सक्षम हो और जो उत्खनन प्रयोग कर सकें।
  • मावेन (MAVEN) : मावेन का विकास नासा के मार्स विज्ञान प्रयोगशाला ने किया है। मावेन का पूरा नाम मार्स एटमॉस्फेयर एंड बोलाटाइल इवोल्यूशन प्रोब है। यह एक मानवरहित अंतरिक्षयान है। इसका कार्य मंगल ग्रह के वातावरण का नमूना एकत्र करना है।
  • तियांगोंग-2 (Tiangong-2) : यह चीनी अंतरिक्ष प्रयोगशाला है। चीन के राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी ने इसकी स्थापना की है।
  • स्पेस सर्विलांस एंड ट्रैकिंग (Space Surveillance and Tracking-SST) : बाह्‌य अंतरिक्ष में कक्षीय उपग्रह प्रणाली के सामान्य संचालन में कुछ अवरोध सामने आते रहते है। इन्हें स्पेस जंक (Space Junk) की संज्ञा दी जा सकती है। वस्तुत: यह आकलन किया गया है कि पृथ्वी की कक्षा में 7 लाख से भी अधिक वस्तुएँ विद्यमान (Space Debris) हैं जो संचालित हो रहे उपग्रहों को या तो नुकसान पहुँचा सकते हैं या फिर उन्हें नष्ट कर सकते हैं।
    • इस मद्देनजर स्पेस सर्विलांस एंड ट्रैकिंग का उपयोग किया जा सकता है। यह प्रणाली इन अपशिष्टों की पहचान आसानी से कर सकता है। यह इनकी गति का पता लगा सकता है। इसके दव्ारा एकत्र किए गए आँकड़ों की सहायता से अंतरिक्ष आधारित अवसरंचनाओं को सुरक्षित किया जा सकता है।
  • ओरियन (Orion) : यह नासा के स्पेस शटल का नाम है जिसका उपयोग वर्ष 2014 तक अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में अंतरिक्ष यात्रियों के दल के आवागमन में किया जाएगा। ओरियन मिशन के अधिकांश कार्य कम्प्यूटर दव्ारा संचालित होंगे। ओरियन के कम्प्यूटर चार फ्लैट स्क्रीन पैनलों से जुड़े होंगे। यह शटल पूर्णत: मानवरहित होगा।
  • अंतरिक्ष आधारित सौर विद्युत (Space Based Solar Electricity) : इस अवधारणा के तहत अंतरिक्ष में ही सौर ऊर्जा का एकत्रण किया जाता है जिसका उपयोग पृथ्वी पर हो सकेगा। सौर ऊर्जा ग्रहण की अन्य विधियों की अपेक्षा इस विधि में सौर ऊर्जा कक्षीय उपग्रह दव्ारा एकत्र की जाएगी, न कि धरती के सतह पर। अंतरिक्ष आधारित सौर ऊर्जा प्रणाली में वायुमंडल के बाहर सूर्य प्रकाश को सूक्ष्म तरंगों में परिवर्तित किया जाता है।
  • स्पेस एलीवेटर (Space Elevator) : यह अंतरिक्ष परिवहन व्यवस्था का एक प्रकार है। इसका प्रमुख घटक रीबननुमा केबल होता है। जो पृथ्वी की सतह से जुड़ा होता है और जिसका विस्तार अंतरिक्ष तक होता है। इसके जरिए यान का परिवहन धरती की सतह से सीधे अंतरिक्ष या कक्षा में किया जा सकता है।
    • हाल के समय में स्पेश एलीवेटर के निर्माण में कार्बन नैनोट्‌यूब या बोरॉन नाइट्राइड नैनोट्‌यूब निर्मित पदार्थो के उपयोग का विचार किया गया है। इस क्षेत्र में अभी और भी शोध कार्य चल रहे हैं।
    • स्पेस एलीवेटर की कार्य पद्धति निम्नलिखित सिद्धांत पर आधारित है- इस एलीवेटर के केबल पृथ्वी के घूर्णन के साथ घूर्णित करते हैं। केबल से जुड़ी वस्तु ऊध्वधिर अभिकेन्द्री बल (Centrifugal Force) का अनुभव करती है और अधोगामी गुरूत्वाकर्षण बल का विरोध करती है। केबल जितना ऊपर जाता है ऊर्ध्वगामी अभिकेन्द्री बल उतना ही मजबूत होता है और अधोगामी गुरुत्व का उतना ही अधिक विरोध होता है। अतंत: यह अभिकेन्द्री बल भू-तुल्यकालिक स्तर के ऊपर गुरुत्व से अधिक मजबूत हो जाता है।
  • न्यूस्टार (NuSTAR) : इसका पूरा नाम The Nuclear Spectroscopic⟋Telescope Array है। न्यूस्टार मिशन के तहत पृथ्वी की कक्षा में चक्कर लगाने वाले ऐसे दूरबीन का निर्माण किया गया है जो विद्युतचुंबकीय वर्णक्रम (Electromagnetic Spectrum) के एक्स-रे क्षेत्र में प्रकाश का अध्ययन करेेगा।
    • न्यूस्टार आकाश के चयनित क्षेत्रों का मानचित्र बनाएगा। यह इन क्षेत्रों में उपस्थ्ति विखंडित हो चुके तारे एवं विभिन्न आकार वाले ब्लैक होल की गणना करेगा और कॉस्मिक किरणों की जाँच करने का कार्य करेगा ताकि विखंडित तारों की इर्द गिर्द की भौतिकीय अवस्था का अध्ययन किया जा सके। यह सुपरनोव और गामा रे बर्स्ट संबंधी अध्ययन भी करेगा।
  • नासा का मून मिशन (New Moon Mission; NASA) : अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा इस वर्ष सितंबर माह में छोटी कार के आकार का एक रोबोटिक या चन्द्रमा पर भेजने की अंतिम तैयारी कर रहा है। इस अभियान के जरिये चंद्रमा के वातावरण से संबंद्ध जानकारियाँ जुटाई जाएगी। नासा के अनुसार ‘द लूनर एटमॉस्फेयर एंड डस्ट एनवायरमेंट एक्सप्लोरर’ यान इस अभियान के दौरान चंद्रमा की परिक्रमा करेगा और उसके वातावरण के बारे में विस्तृत जानकारियाँ जुटाएगा।
    • यान यह भी पता लगाएगा कि क्या चंद्रमा के आकाश में धूल के कण भी तैर रहे हैं। इस अभियान के जरिये सौरमंडल के अन्य ग्रहों को समझने में भी मदद मिलेगी।
  • नैनोसैटेलाइट (Nano Satellite) : नैनोसैटेलाइट स्मार्टफोन आकार के अंतरिक्षयान हैं जो सहज अंतरिक्ष मिशन संचालित कर सकते हैं। नैनो आकार के ये यान अब पृथ्वी की परिक्रमा करते हुए नासा के प्रमुख कार्य संपन्न कर सकेंगे। नैनोसैटेलाइट में छोटे कैमरे, बेतार रेडियो और जीपीएस रिसीवर तैनात होते है।
    • अंतरिक्ष में नैनोसैटेलाइट को अपनी कक्षा में पहुँचने के लिए विशेष प्रकार के प्रणोदक की आवश्यकता होती है। इस कार्य के लिए माइक्रो रॉकेट इंजन का उपयोग किया जाता है। उपयोग किया जाने वाला प्रणोदक एक विशिष्ट रसायन होता है जो कि आयनीकृत तरल (Ionic Liquid) होता है। इन अंतरिक्षयानों के प्रणोदन के लिए फेरो फ्ल्यूड (Ferro Fluid) के उपयोग पर भी शोध चल रहे हैं।
  • प्रयोगशाला में बिग बैंग (Big Bang in Laboratory) : वैज्ञानिकों ने हाल ही में प्रयोगशाला में बिग बैंग के समरूप विकिरण का सृजन किया है। यह प्रयोग ब्रह्मांड की प्रारंभिक संरचना को समझने में सहायक होगा। भौतिकविदों ने एक निर्वात चैम्बर में अल्ट्राकोल्ड सीजियम (Ultra cold Caesium) परमाणुओं का उपयोग कर कॉस्मिक माइक्रोवेव बैकग्राउंड (CMB) का पैटर्न विकसित किया।
    • इस प्रयोग के जरिए लगभग 380,000 वर्ष पूर्व उस बिग बैंग की झलक देखने का प्रयास किया गया जिससे इस ब्रह्मांड की उत्पत्ति हुई।
    • इस प्रयोग के दौरान परमाणुओं का वृहद समूह कुछ निश्चित परिस्थितियों में निर्वात चैम्बर के अंदर परम शून्य से अधिक एक डिग्री के दस करोड़ वें भाग तक शीतत होता है। इस अल्ट्रा कोल्ड ताप परमाणु सामूहिक रूप से प्रेरित होते है। वे वायु में ध्वनि तरंगों की भाँति व्यवहार करते हैं।
  • सैगिटैरियम A ⚹ (Sagittarius A ⚹) : नासा के चन्द्र एक्स-रे वेधशाला ने दुग्ध मेखला आकाश गंगा के केन्द्र में स्थित इस ब्लैक होल (Black Hole) के चारों ओर विद्यमान पदार्थो का विशिष्ट अध्ययन किया है। वैधशाला से लिए गए चित्र है कि इस ब्लैक होल के अंदर उपस्थित 1 प्रतिशत से कम गैस शायद ही कभी प्वांइट ऑफ नो रिटर्न (Point of no Return Event या Horizon) तक पहुँच पाते हैं। वस्तुत: अधिकांश गैस (Event Horizon) के निकट पहुँचने से पहले ही नि: सारित (Injected) हो जाते है। इन गैसों से क्षीण एक्स-रे का उत्सर्जन होता है। वैधशाला दव्ारा किए गए परीक्षण से जानकारी मिलती है कि सैगिटैरियस A ⚹ (Sgr A ⚹) के (Event Horizon) ब्लैक होले के चारों ओर चमकते पदार्थ की छाया बनाते हैं।
  • अल्मा बैंड 8 रिसीवर (ALMA Band 8 Receiver) : अल्मा (आटाकामा लार्ज मिलीमीटर ऐरे) बैंड 8 रिसीवरों के जरिए 500 गीगा हर्ट्‌ज (500 GHz) पर विश्व का प्रथम इंटरफेरोमेट्रिक चित्र प्राप्त किया गया है। खगोलविदों ने आल्मा बैंड 8 रिसीवर के उपयोग दव्ारा एक ग्रहीय नेबुला (Nebula) NGC 6302 के चारों और विद्यमान परमाण्विक कार्बन के वितरण को सफलतापूर्वक आकलन किया। रेडियो इंटरफेरोमीटर के दव्ारा 500 गीगा हर्ट्‌ज बैंड पर लिया गया यह प्रथम खगोलीय चित्र है। बैंड 8 रिसीवर दव्ारा अवलोकित किए गए आवृत्ति बैंड विभिन्न अणुओं और परमाणुओं से उत्सर्जित रेडियों तरंगों को दर्शाते हैं।
    • खगोलविद इन्हीं में से एक कार्बन परमाणु के 492 गीगा हर्ट्‌ज पर होने वाले उत्सर्जन को अवलोकित करने पर बल दे रहे है। उल्लेखनीय है कि कॉस्मिक गैस का प्रमुख घटक हाइड्रोजन गैस होता है। कार्बन की मात्रा उस हाइड्रोजन का मात्र 1⟋3000 वाँ भाग के बराबर होती है।
    • कॉस्मिक गैस को उसके तापमान और घनत्व के आधार पर तीन वर्गो में विभाजित किया जा सकता है। ये हैं- प्लाज्मा क्लाउड (Plasma Cloud) , परमाण्विक क्लाउड (Atomic Cloud) और आण्विक क्लाउड (Molecular Cloud) ।
    • परमाण्विक क्लाउड के सघन क्षेत्र आण्विक क्लाउड में परिवर्तित होते हैं और आण्विक क्लाउड का घनत्व बढ़ने पर तारों की उत्पत्ति की परिस्थितियाँ निर्मित हो जाती हैं। दूसरी ओर, आण्विक क्लाउड बनाने वाले अणु तीव्र पराबैंगनी किरणों के संपर्क में आने पर परमाणु में परिवर्तित होते हैं। आण्विक और परमाण्विक क्लाउड के वितरण का विस्तृत अध्ययन कॉस्मिक् गैस के विकासक्रम की जानकारी देता है।
    • कार्बन अणुओं का अवलोकन न केवल परमाण्विक क्लाउड के वितरण एवं इनकी विशेषता के अध्ययन में सहायक है बल्कि इससे ब्रह्मांड में विद्यमान रासायनिक गतिविधियों की जानकारी प्राप्त करने में भी सहायता मिल सकेगी क्योंकि कार्बन परमाणु और ऑक्सीजन एवं हाइड्रोजन जैसे अन्य परमाणुओं के बीच होने वाले रासायनिक अभिक्रियाओं से विभिन्न जटिल अणु बनते हैं। उल्लेखनीय है कि ALMA ऐसा प्रथम रेडियो इंटरफेरीमीटर है जो 500 गीगा हर्ट्‌ज के आवृत्ति परास में सर्वेक्षण कर सकता है।
  • रतन 600 (RATAN 600) : यह एक रेडियो दूरबीन है। इसका निर्माण खगोल भौतिकी और रेडियो भौतिकी से जुड़ी विभिन्न समस्याओं का निराकरण करने के लिए किया गया था।
    • इस दूरबीन की अधिक क्षमता और व्यापक प्रभाव क्षेत्र के कारण यह रेडियो स्रोतों की उपयुक्त स्थिति माप यह दूरबीन सौर गतिविधियों के अध्ययन के दौरान किसी सक्रिय क्षेत्र की उत्पत्ति से लेकर उसके विनाश तक के प्रत्येक चरण का अवलोकन करने में सक्षम है। रतन 600 के जरिए और सौर मंडल में उपस्थित वस्तुओं की स्थिति का पता लगाया जाता है और साथ ही रेडियो स्रोतों की स्थिति भी प्राप्त की जाती है।
  • अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के स्पीन-ऑफ (Spin Offs of Space Technology) : इससे तात्पर्य है अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के विभिन्न अनुप्रयोग करना। इस माध्यम से अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का व्यवसायीकरण किया जाता है। स्वास्थ्य और चिकित्सा क्षेत्र परिवहन, सार्वजनिक सुरक्षा, पर्यावरणीय और कृषि संसाधनों, कम्प्यूटर तकनीक, औद्योगिक उत्पादन आदि में इस प्रौद्योगिकी कुछ उदाहरण का उपयोग किया जा रहा है।
    • डायाटेक कॉरपोरेशन और नासा ने मिलकर ऑरल थर्मामीटर का विकास किया। यह कान के पर्दे से निकलने वाले तापीय विकिरण को माप सकता है।
    • नासा के अंतरिक्ष यान में पौधों के विकास संबंधी प्रयोग में लाइट एमीटिंग डायोड (LED) का उपयोग किए जाने के याद इसे ट्‌यूमर के उपचार में भी इस्तेमाल करने की राह खुली।
    • नासा के अंतरिक्ष यात्रियों को ताजा खाद्य उपलब्ध कराने के मद्देनजर ‘फ्रिज ड्राइंग फूड’ का निर्माण करने की विधि अपनायी है। इसके तहत भोजन को ठंडा किया जाता है और तब इससे अधिकांश नमी समाप्त कर दी जाती है। नमी की उर्ध्वपातन (Sublimation) प्रक्रिया दव्ारा समाप्त किया जाता है।