Science and Technology: Important Remote Sensing Satellites

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अंतरिक्ष (Space)

महत्वपूर्ण दूरसंवेदी उपग्रह (Important Remote Sensing Satellites)

IRS-P4 (ओशनसेट-1) IRS-P4 (Oceanset-1)

  • PSLV-C2 दव्ारा प्रक्षेपित यह विश्व का पहला उपग्रह है, जिसे केवल समुद्र के चित्रण एवं सर्वेक्षण के लिए विकसित किया गया। इसी कारण इसका नाम ओशनसेट-1 रखा गया। ओशनसेट-1 उपग्रह का मुख्य उद्देश्य सागरों की सतह का तापमान, सागरों के ऊपर वायुमंडल में जलवाष्प की मात्रा, सागरों की गहराई, सागरों में तैरते फाइटोप्लैंकटन की मात्रा आदि का पूरा-पूरा वास्तविक आकलन करना है। ओशनसेट-1 पर एक ‘मल्टी फ्रिक्वेंसी स्कैनिंग माइक्रोवेव रेडियोमीटर’ और ‘ओशन कलर मॉनिटर’ लगाया गया है। इस रेडियोमीटर से छोड़ी गई माइक्रोवेव किरणे बादलों को भेदने तथा सभी मौसम में कार्य करने में सक्षम हैं। यह रेडियोमीटर समुद्र की गहराई की भी पड़ताल करने में समर्थ हैं।
  • PSLV- C2 प्रक्षेपण यान दव्ारा ओशनसेट-4 के साथ ही कोरिया के ‘किटसैट-3’ एवं जर्मनी के ‘डी. एल. आर. ट्‌यूबसेट’ को भी पृथ्वी की ध्रुवीय कक्षा में स्थापित किया गया। इस क्रम में भारतीय प्रक्षेपण यान दव्ारा देश से किसी विदेशी उपग्रह को पहली बार प्रक्षेपित किया गया।

IRS-P6 (रिसोर्ससेट-1) IRS-P6 (Resource Sat 1)

17 अक्टूबर, 2003 में श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र से PSLV-C5 दव्ारा IRS-P6 को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया गया। रिसोर्ससेट-1 का उपयोग कृषि, आपदा प्रबंधन, जल एवं भूमि संसाधन तथा संबद्ध क्षेत्रमे आँकड़ों के एकत्रण के लिए किया जाता है।

IRS-P5 (कार्टोसेट-1) IRS-P5 (Cotroset 1)

5 मई, 2005 को मानचित्र संबंधी उद्देश्यों के लिए निर्मित और अत्याधुनिक सुविधाओं एवं उपकरणों से युक्त विश्वस्तरीय भारतीय दूर-संवेदी उपग्रह IRS-P5 (कार्टोसेट-1) को PSLV-C6 दव्ारा श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश) में नवनिर्मित दूसरे लॉन्चिंग पैड से ध्रुवीय कक्षा में प्रक्षेपित किया गया। इसके साथ संचार उपग्रह ‘हैमसेट’ को भी छोड़ा गया। यह पहला अवसर था, जब इसरो ने एक अभियान के तहत दो स्वदेशी उपग्रहों की श्रृंखला का पहला उपग्रह है।

ओशनसेट-2 (Oceanset-2)

23 सितंबर, 2009 को श्रीहरिकोट स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र PSLV-C14 से दव्ारा ओशनसेट-2 को प्रक्षेपित किया गयां यह देश का सोलहवां दूर-संवेदी उपग्रह ळे, जो समुद्र की स्थिति की भविष्यवाणी करने और तटीय क्षेत्रों के अध्ययन में सहायक ळें यह उपग्रह ज्वार-भाटे की भविष्यवाणी व जलवायु अध्ययन के लिए भी महत्वपूर्ण है इसका कार्यकाल 5 वर्ष का है।ं

कोर्टोसेट 2 बी (Cotroset 2B)

कार्टोसेट-2 के पूरक के रूप्ज्ञ में इस उपग्रह को 12 जुलाई 2010 को PSLV-C15 दव्ारा सफलतापूर्वक पृथ्वी की ध्रुवीय कक्षा में स्थापित किया गया। इस उपग्रह में आनबोर्ड एवं पैनक्रोमेटिक कैमरा लगा हुआ है, जो 0.8 मीटर रिजोल्यूशन वाले चित्र देने में सक्षम है, इनका प्रयोग मानचित्रण व नागरिक उपयोगों के लिए किया जाएगा।

मेघा-ट्रॉपिक्स (Megha Tropics)

12 अप्रैल, 2011 को PSLV-C18 दव्ारा इसे कक्षा में स्थापित किया गया। यह भारत एवं फ्रांस का संयुक्त उपग्रह है, जिसका निर्माण जलवायुवीय घटनाओं को समझने के लिए किया गया है। इसकी विस्तृत चर्चा आगे की गयी है।

जी-सैट-10 (G Set 10)

  • जी-सैट-10 देश का नवीनतम एवं सबसे भारी उपग्रह है। इसका प्रक्षेपण 29 सितंबर, 2012 को यूरोपीय पेज9प्रमोचक यान एरियन-5 दव्ारा दक्षिण अमेरिका के फ्रेंच गुयना स्थित कोरू प्रक्षेपण स्थल से किया गया। इस उपग्रह के दव्ारा अन्य कार्यों के साथ-साथ दूर संचार सेवाओं एवं डायरेट टू होम प्रसारण को और बेहतर बनाया जाना है।
  • इसरो ने 3.4 टन वजनी इस उपग्रह का प्रक्षेपण यूरोपीय एरियन डराकेट से किया क्योंकि इसरो वर्तमान में इतने भारी उपग्रह का प्रक्षेपण स्वनिर्मित यान से नहीं कर सकता है।
  • इस उपग्रह में 30 संचार ट्रांसपोंडर (12 कू बैंड, 12सी बैंड और 6 विस्तारित सी बैंड) लगे हुए हैं। उल्लेखनीय है कि वर्तमान में इसरों ने अपनी घरेलू मांगों की पूर्ति के लिए 95 विदेशी ट्रांसपोंडर लीज पर लिए हुए हैं।
  • जी-सैट-10 में दव्तीय गगन (GAGAN) नीतिभार भी है। इससे यू. एस. जी. पी. एस. संकेतों को और उन्नत रूप से प्राप्त किया जा सकता है।

रीसैट-1 (Risette 1)

  • सभी मौसमों में उपयोगी भारत के प्रथम स्वदेशी रडार इमेजिंग उपग्रह रीसैट-1 का 26 अप्रैल, 2012 को PSLV-C19 के जरिए सफल प्रक्षेपण किया गया। इस उपग्रह का उपयोग कृषि और प्राकृतिक आपदा प्रबंधन में किया जाएगा।
  • रीसैट-1 सभी मौसमों में दिन और रात के समय पृथ्वी की सतही विशेषताओं का प्रतिबिंबन करने में सक्षम होगा। इसमें लगा सिन्थेटिक अपर्चर रडार (एस. ए. आर.) प्रकाशीय दूरस्थ संवेदन उपग्रहों की अपेक्षा किसी भी समय और किसी भी स्थिति में उपयुक्त प्रतिबिंबन करने में सहायक होगा।
  • अपने पाँच वर्षीय मिशन के दौरान यह उपग्रह अपनी सक्रिय लघु तरंग दूरस्थ संवेदन क्षमता का उपयोग करेगा, जिससे यह उपग्रह बादलों को भेदते हुए रात-दिन के समय में भी पृथ्वी का प्रतिबिंबन लेने में सक्षम होगा। यह उपग्रह कृषि, मृदा नमी का अध्ययन और वानिकी अनुप्रयोगों से संबद्ध महत्वपूर्ण आँकड़े उपलब्ध कराएगा।

सरल (SARAL)

सरल (SARAL) शोध कार्य एवं व्यवहारिक अनुप्रयोगों के लिए लक्षित एक विशिष्ट उपग्रह है। 25 फरवरी, 2013 को PSLV-C20 दव्ारा इस उपग्रह का सफल प्रक्षेपण किया गया। यह उपग्रह सामुद्रिक अध्ययनों में मदद करेगा। इसके जरिए समुद्री जलधाराओं और समुद्री सतह की ऊँचाई मापी जा सकेगी। आर्गोस के जरिये वैज्ञानिकों को पर्यावरण के प्रति समझ विकसित करने में सहजता होगी तथा पर्यावरणीय सुरक्षा विनियमों से संबद्ध संगठनों को भी मदद मिलेगी। सरल के दव्ारा जलवायु के विकास का अध्ययन किया जाएगा। महादव्ीपीय हिम अध्ययनों, तटीय अपरदन, जैव विविधता की सुरक्षा, समुद्री जीवों के अध्ययन एवं अन्य व्यावहारिक अनुप्रयोगों में भी इसका उपयोग किया जा सकेगा। उल्लेखनीय है कि सरल का जीवन-काल 5 वर्षों का होगा।