1857 का विद्रोह (Revolt of 1857) for NET, IAS, State-SET (KSET, WBSET, MPSET, etc.), GATE, CUET, Olympiads etc. Part 2 for NET, IAS, State-SET (KSET, WBSET, MPSET, etc.), GATE, CUET, Olympiads etc.

Get unlimited access to the best preparation resource for CTET-Hindi/Paper-1 : get questions, notes, tests, video lectures and more- for all subjects of CTET-Hindi/Paper-1.

विद्रोह के कारण

1857 ई. तक छिटपुट असंतोष की बिखरी लहरें एक होकर विकराल हो गई और उन्होंने 1857 ई. की क्रांति को जन्म दिया।

राजनीतिक कारण

विद्रोह के राजनीतिक कारणों के लिए लॉर्ड डलहौजी उत्तरदायी था। वह एक उग्र साम्राज्यवादी गवर्नर (राज्यपाल) -जनरल था। उसकी उग्र साम्राज्यवादी नीति तथा छोटे-छोटे राज्यों को हड़पने के विभिन्न सिद्धांतों ने भारतीय राजपरिवारों में घोर असंतोष उत्पन्न कर दिया था।

डलहौजी ने गोद लेने का निषेध कर सतारा, नागपुर, झाँसी आदि अनके राज्यों को और कुप्रबंध के आधार पर अवध के राज्य को अंग्रेजी राज्य में विलय कर लिया। उसके इस व्यवहार से मराठे भी अत्यंत उत्तेजित हो उठे और झाँसी की रानी बहुत खिन्न हुई। अवध के नवाब के साथ अंग्रेजों का जो व्यवहार हुआ उससे अनेक देशी राज्यों में तहलका मच गया। भूतपूर्व पेशवा बाजीराव दव्तीय के दत्तक पुत्र नाना साहेब की पेंशन (पूर्व सेवार्थ वृत्ति) बंद करके डलहौजी ने उसे भी अंग्रेजों का शत्रु बना दिया था।

मुगल सम्राट बहादुरशाह और उनके पुत्रों के प्रति अच्छा व्यवहार नहीं किया गया जिससे मुसलमानों की भावनाओं को आघात पहुँचा। अंग्रेज भारतीयों को तिरस्कार की दृष्टि से देखते थे और उन्हें उच्च सरकारी पदों पर नियुक्त नहीं करते थे। देशी राज्यों को समाप्त करने के बाद उनकी सेना भंग कर दी गई। इससे बहुत से सैनिक बेकार हो गए। इन सैनिकों में असंतोष फैला। फलत: क्रांति के समय उन्होंने विद्रोहियों का साथ दिया।

ब्रिटिश शासन व्यवस्था तथा न्याय-पद्धति भी जटिल थी। न्यायधीश और शासक दोनों भारतीयों की भाषा, परंपरा, राजनीति एवं कानून से अनभिज्ञ थे और ठीक-ठीक न्याय प्रदान नहीं करते थे। भारतीय न्यायाधीशों की अदालत में अंग्रेजों के मुकदमों का निर्णय नहीं किया जाता था। अंग्रेज न्यायाधीश भारतीयों के साथ पक्षपात करते थे। पुलिस भी भ्रष्टाचार के लिए बदनाम थी। अंग्रेज आर्थिक क्षेत्र में लूट-खसोट की नीति अपनाकर भारतीयों को आतंकित करते रहते थे।