रियल एस्टेट (विनियम और विकास) विधेयक 2013 (Real Estate Bill 2013 – Law)

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यह विधेयक खरीददारों और रियल एस्टेट (अचल संपत्ति) परियोजनाओं के प्रमोटरों (समर्थक) के बीच लेन-देन को नियंत्रित करता है। विधेयक की मुख्य विशेषताएं:

• विधेयक के अनुसार यह अनिवार्य है कि सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश राज्य स्तरीय रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (आरईआरएएस) की स्थापना, और उनकी संरचना निर्दिष्ट करें।

• यह विधेयक वाणिज्यिक और आवासीय दोनों प्रकार के रियल एस्टेट परियोजनाओं विनियमित करता है किन्तु शहरी निकायों और सरकारी परियोजनाओं को विधेयक के दायरे में नहीं रखा गया है।

• डेवलपर (विकासक) को परियोजना निधि का 70 प्रतिशत भाग बैंक खाते में रखना होगा जिसका उपयोग केवल परियोजना निर्माण के लिए ही किया जा सकेगा।

• यह सुनिश्चित करेगा की डेवलपर्स किसी एक परियोजना हेतु ली गयी बुकिंग (व्यापारिक लेन देन) की आय से उस परियोजना को पूरा किए बिना और उपभोक्ता को हस्तांरित किए बिना नई परियोजनाओं में निवेश करने में सक्षम ना हो पायें। हालांकि, राज्य सरकार इस राशि को 70 प्रतिशत से कम भी कर सकती है।

• यह प्राधिकरण में रियल एस्टेट (अचल संपत्ति) एजेंट्‌स (कार्यकता) के पंजीकरण को अनिवार्य बनाता है।

• एक रियल एस्टेट परियोजना के लिए अस्पष्ट सुपर (अधिक) बिल्ट (निर्मित) अप (ऊपर) एरिया (क्षेत्र) के आधार पर बिक्री अब कानूनन प्रतिबंधित हो जाएगी। कारपेट (कालीन) एरिया (क्षेत्र) को कानून में स्पष्ट रूप से परिभाषित कर दिया गया है।