Science and Technology: Computer Basics and Memory of a Computer

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कम्प्यूटर (Computers)

कम्प्यूटर संबंधित आधारभूत तथ्य (Computer Basics)

  • बिट (Bit) : हय बाइनरी डिजिटस का संक्षिप्त विवरण है, जिसका अर्थ है दो अंक जो कि ‘0’ व ‘1’ हैं। कम्प्यूटर मेमोरी में संग्रह की सबसे छोटी इकाई है।
  • बाइट (Byte) : यह कम्प्यूटर के सूचना संग्रह की आधारभूत इकाई है। एक बाइट में 8 बिट्‌स होती हैं। एक बाइट एक अक्षर या संख्या निरूपित करती है। यह इकाई क्रमश: आगे बढ़कर किलोबाइट (KB) , मेगावाट (MB) , गीगाबाइट (GB) के रूप में परिणित हो जाते हैं।
  • अमेरिकन स्टैडर्ड कोड फॉर इन्फोरमेशन इंटरचेंच (ASCII) : कम्प्यूटर में सूचनाओं (अक्षर, संख्याएं, निर्देश) को सिग्नल से सामान्य भाषा (अंग्रेजी) में निरूपित करने के लिए लाया जाता है। इसमें किसी अक्षर को निरूपित करने के लिए 8 बिट्‌स का उपयोग किया जाता है अर्थात यह कोड 256 विभिन्न चीजों को बाइनरी रूप में निरूपित कर सकता है।
  • प्रोसेसिंग क्षमता: कम्प्यूटर की कार्य क्षमता का आकलन उसके माइक्रोप्रोसेसर दव्ारा एक सेंकड में किये निर्देशों के अनुपालनों की संख्या पर आधारित है। इसकी आधारभूत इकाई ‘हटर्ज’ है, जबकि बड़ी इकाईयों क्रमश: किलोहर्ट्‌ज, गीगाहर्ट्‌ज कहलाती हैं। वर्तमान में सामान्यत: गीगाहर्ट्‌ज श्रेणी के माइक्रोप्रोसेसर उपयोग में लाए जा रहे हैं।
  • संख्या पद्धति: गणनाओं में प्रयोग होने वाली विभिन्न संख्या पद्धतियां हैं- दशमलव (0 - 9) , आक्टेल (0 - 7) , हेक्साडेसीमल (0 - 9 A-F) , बाइनरी (0 - 1) । इन सभी पद्धतियों का उपयोग दैनिक जीवन व कम्प्यूटर दोनों में विभिन्न प्रकार की आवश्यकताओं के अनुसार होता है। कम्प्यूटर बाइनरी पद्धति पर आधारित है।
  • विंडोज: 1975 में स्थापित बिल गेट्‌स की कंपनी माइक्रोसॉफ्ट दव्ारा आईबीएम कम्प्यूटरों एवं आईबीएम पीसी में प्रयोग हेतु विकसित माइक्रोसॉफ्ट डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम (MS DOS) के बाद 1985 में पहली बार ऑपरेटिंग सिस्टम में श्रृंखला ‘विंडोज’ का आरंभ किया जो वर्तमान में कम्प्यूटर का सबसे प्रचलित ऑपरेटिंग सिस्टम है। यह ग्राफिकल यूजर इंटरफेस पर आधारित है। विंडोज के विभिन्न प्रमुख संस्करण निम्नलिखित हैं-विंडोज 98 (Win98) , विंडोज 2000 (Win2000) , विंडोज एक्सपी (Win-XP) , विंडोज विस्टा (Win-Vista) , विंडोज सेवन (Win-7) इत्यादि।

4 फरवरी, 2008 को पूर्णत: निर्मित विंडोज-7 वर्तमान में माइक्रोसॉफ्ट दव्ारा जारी विंडोज का सबसे नवीनतम ऑपरेटिंग सिस्टम है। यह विंडोज सर्वर 2003 का उत्तराधिकारी है। विंडोज-7 को 16 मई, 2007 से पहले विंडोज सर्वर कोडनेम, ‘लांगहार्न’ के नाम से जाना जाता था। बाद में माइक्रोसॉफ्ट ने इसके आधिकारिक नामक ‘विंडोज सर्वर 2008’ की घोषणा की। विंडोज सेवन मेंं विंडोज पावर सेल, हाइपर-7 जैसी कुछ सुविधाएं मौजूद हैं जो विंडोज सर्वर 2003 में नहीं थीं। कोड बेस से निर्मित विंडोज सेवन में उन्नत बेस्ट इन्सटॉलेशन तकनीक है। विंडोज सेवन में डाटा रिकवरी की सुविधा भी उपलब्ध है। सेंसर की सुविधा से युक्त विंडोज सेवन में वॉयस रिकोगनिशन की भी सुविधा उपलब्ध कराई गई है। हाल ही में विंडोज 8 भी माइक्रोसॉफ्ट दव्ारा लांच की गई है।

कम्प्यूटर की स्मृति (Memory of a Computer)

व्यापक स्तर पर कम्प्यूटर की स्मृति तथा मानव स्मृति के बीच संबंध स्थापित किये गये हैं। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से मानव की स्मृति दो श्रेणियों में विभक्त होती हैं पहली अस्थायी तथा दूसरी स्थायी। अस्थायी स्मृति किसी विशिष्ट घटनाक्रम पर आधारित होती है जबकि स्थायी स्मृति मस्तिष्क दव्ारा प्रसंस्कृत सूचनाओं पर निर्भर होती है। इसी प्रकार, एक कम्प्यूटर की स्मृति भी अस्थायी एवं स्थायी प्रकार की होती है। अस्थायी स्मृति को रेन्डम एक्सेस मोमोरी (Random Access Memory, RAM) तथा स्थायी स्मृति को रीड ओन्ली मेमोरी (Read Only Memory, ROM) कहते हैं। कम्प्यूटर की स्मृतियों की संक्षिप्त व्याख्या नीचे की गई है।

रैन्डम एक्सेस मेमरी (Random Access Memory, RAM)

व्यापक स्तर पर एक कम्प्यूटर की मुख्य स्मृति है जो दो प्रकार की होती है गत्यात्मक रैम (Dynamic RAM or DRAM) तथा स्थैतिक रैम (Static RAM or SRAM) । तकनीक रूप से DRAM को SRAM की अपेक्षा एक से अधिक बार के लिए परिवर्तित किया जा सकता है। लेकिन दोनों प्रकार की स्मृतियां अस्थायी होती हैं। विद्युत आपूर्ति स्थगित होने के साथ ही ये नष्ट हो जाती हैं।

रीड ओन्ली मेमरी (Read Only Memory, ROM)

यह एक स्थायी स्मृति है जिसका उपयोग मुख्यत: लेजर प्रिंटरों तथा गणकों में किया जाता है। सामान्यत: इसमें नये प्रोग्राम नहीं किये जा सकते। लेकिन कई अवसरों पर नये प्रोग्राम करने की सुविधा भी उपलब्ध होती है। इस सुविधा के साथ नीचे लिखे गये रॉम का विकास किया गया है:

  • प्रोग्रामेबल रॉम (Programmable ROM, PROM) : एक रिक्त स्मृति के रूप में इस प्रकार के रॉम में नये प्रोग्राम बनाये जा सकते हैं।
  • इरेजेबन प्रोग्रामेबल रॉम (Erasable Programmable ROM, EPROM) : इस प्रकार की स्मृति में प्रोग्राम को पराबैंगनी प्रकाश से मिटाकर नया प्रोग्राम किया जा सकता है।
  • इलेक्ट्रिकली इरेजेबन प्रोग्रामेबल रॉम Electrically Erasable Programmable ROM, EPROM: इस प्रकार की स्मृति मे किसी प्रोग्राम को मिटाने के लिए विद्युत आवेशों का प्रयोग किया जाता है।

फ्लैश मेमरी (Flash Memory)

यह भी की कार्य करने वाली स्मृति है जिसे सामान्यत: वैयक्तिक कम्प्यूटरों में प्रयोग में लाया जाता है। इस प्रकार की स्मृति में बेसिक इनपुट आउटपुट सिस्टम (Basic Input Output System, BIOS) को संग्रहित करने का कार्य किया जाता है।

कम्प्यूटर की विशेषताएंँ (Characteristics of a Computer)

  • साधारण गणना से लेकर कम्प्यूटर आधारित डिजाइनों तथा नौसंचालन एवं उपग्रहों से संबंधित सूचनाओं के विश्लेषण का कार्य एक कम्प्यूटर दव्ारा सरलता से किया जा सकता है।
  • कम्प्यूटर किसी अन्य प्रणाली की अपेक्षा कार्य करने में अधिक सटीक और परिशुद्ध है।
  • एक समय में बड़ी मात्रा में सूचनाओं के संग्रहण की क्षमता।
  • अंकीय कम्प्यूटरों दव्ारा दव्आधारी प्रणाली (Binary System) के माध्यम से कार्य किया जाता है। इन दव्आधारी अंको को बिट कहते हैं।
  • अत्यंत उच्च गति से संगणना करने की क्षमता।

संग्रहण युक्तियांँ (Storage Devices)

आंतरिक स्मृतियों के अतिरिक्त कई अन्य युक्तियों की सहायता से सूचनाओं को संग्रहित करने की व्यवस्था कम्प्यूटरों के माध्यम से की जाती है। इस प्रकार की संग्रहण युक्तियांँ वस्तुत: एक प्रकार की स्थायी स्मृतियांँ होती हैं, जिन्हें लंबी अवधि तक सुरक्षित रखा जा सकता है। कुछ महत्वपूर्ण युक्तियों की संक्षिप्त व्याख्या नीचे की गई है:-

  • चुंबकीय टेप (Magnetic Tape) : सूचनाओं के संग्रहण करने वाली युक्तियों में चुंबकीय टेप का विशेष महत्व है। वस्तुत: इनका कार्य सूचनाओं व क्रमिक संग्रहण तथा अध्ययन करना है। इन युक्तियों में सूचनाओ को चुंबकीय विधि दव्ारा संग्रहित किया जाता है। इनकी सहायता से बड़ी संख्या एवं मात्रा में सूचनाओं का प्रेषण भी किया जाता है। व्यावसायिक दृष्टकोण से इनका निर्माण कई आकरों में किया जा सकता है।
  • फ्लॅापी डिस्क (Floppy Disk) : ये युक्तियांँ भी वस्तुत: चुंबकीय डिस्क की ही भांति होती हैं। लेकिन इनकी संग्रहण क्षमता एक हार्ड डिस्क से कम होती है। इन्हें भी कई आकारों में बनाया जा सकता है।
  • हार्ड डिस्क (Hard Disk) : यह संग्रहण युक्ति भी चुंबकीय सिद्धांत पर कार्य करती है। इनकी संग्रहण क्षमता अन्य युक्तियों की अपेक्षा अधिक होती है। एक हार्ड डिस्क में कई खांचे बने होते हैं जिनमें श्रृंखलाएंँ विद्यमान होती हैं। इन्हीं स्थानों पर सूचनाओं का संग्रहण किया जाता है।
  • कॉम्पैक्ट डिस्क (Compact Disk, CD) : इस प्रकार की युक्तियाँं प्रकाशीय संग्रहण के सिद्धांत पर कार्य करती हैं। इसके फलस्वरूप इनकी संग्रहण क्षमता चुंबकीय संग्राहकों की अपेक्षा अधिक होती है। एक सी. डी. को लेजर डिस्क भी कहते हैं क्योंकि यह लेजर तकनीक पर आधारित है। सी. डी. कई प्रकार की होती हैं:- सीडी रॉम तथा सीडी-आर. डब्ल्यू। एक सीडी रॉम में सूचनाओं को सूक्ष्म छिद्रों में संग्रहित किया जाता है। लेजर प्रकाशपुंज के प्रयोग से इन सूचनाओं का अध्ययन करने में सहायता प्राप्त होती है। दव्आधारी प्रणाली में 1 के स्थान पर लेजर प्रकाशपुंज की सहायता से सूक्ष्म छिद्र का निर्माण होता है तथा 0 के स्थान पर कोई छिद्र नहीं बनाया जाता। शून्य वाले स्थान को लैंड भी कहते हैं। एक सीडी रॉम स्थिर कोणीय वेग (Constant Angular Velocity, CAV) अथवा स्थिर रेखीय वेग (Constant Linear Velocity, CLV) तकनीक का प्रयोग कर सकता है।

इसके विपरीत सीडी-आर. डब्ल्यू. में कई बार नये प्रोग्राम किये जा सकते हैं। एक अन्य प्रकार की सीडी को वर्म (WORM: Write Once Read Memory) कहते हैं। इसके अतिरिक्त सीडी रॉम तकनीक का प्रयोग करने वाली एक अन्य युक्ति को डिजिटल वर्सेटाइल डिस्क रीड ओन्ली मेमरी (Digital Versatile Disk Read Only Memory, DVDROM) कहते हैं। लेजर प्रकाश का उपयोग करने के लिए एक लेंस प्रणाली प्रयुक्त होती है, जिसके कारण एक समय में दो स्थानों पर लेजर प्रकाश का उपयोग संभव होता है।