Science and Technology: Soil Observation System and Earth Observation Mission Executed

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स्चाांर, नौवहन/नौसंचालन तथा मौसमविज्ञानीय उपग्रह प्रणाली (Communication and Meteorological Satellite System)

भू-प्रेक्षण प्रणाली (Soil Observation System)

भारतीय सुदूर संवेदन उपग्रह प्रणाली में आज विश्व में प्रचालित सुदूर संवेदन उपग्रहों का एक वृहत्तम समूह है। वर्तमान में, कक्षा में ग्यारह प्रचालनात्मक उपग्रह हैं जो इस प्रकार है-टी. ई. एस, रिसोर्ससैट-1, कार्टोसैट-1, कार्टोसैट-2, कार्टोसैट-2ए, कार्टोसैट2बी, आई. एम. एस-1, रिसैट-2, औशनसैट-2, रिसोर्ससैट-2 और मेघाट्रॉपिक्स। भारतीय सुदूर संवेदन (आई. आर. एस.) श्रृंखला के उपग्रह विभिन्न स्थानिक, स्पेक्ट्रमी और कालिक विभेदनों में आँकड़ा प्रदान करते हैं जिसे संसाधन प्रबंधन उद्देश्य के लिए प्रभावी रूप से उपयोग किया जाता है। इन कक्षीय उपग्रहों और 2012 में योजित रिसैट-1 सरल तथा इन्सैट-3 डी मिशनों के साथ, भारतीय भू-प्रेक्षण प्रणाली को प्रयोक्ता समुदाय को उच्च गुणवत्तावाले विविध उपग्रह आँकड़ा उत्पाद और सेवा प्रदान करने के लिए और सुदृढ़ किया जाएगा और इस तरह राष्ट्रीय विकास के लिए कई उपयोग सुसाध्य किया जाएगा।

2011 में निष्पादित भू-प्रेक्षण मिशन (Earth Observation Mission Executed in 2011)

रिसोर्ससैट-2, रिसोर्ससैट-1 का अनुवर्ती उपग्रह है जो भारतीय और पूरे विश्व के प्रयोक्ता समुदाय को आँकड़ा की निरंतरता प्रदान करता है। इसे अप्रैल 20,2011 को पी. एस. एल. वी. सी 16 दव्ारा 817 कि. मी. की सूर्य तुल्यकाली कक्षा में प्रमोचित किया गया था। इसमें रिसोर्ससैट-1 की तरह तीन प्रकाशिकी सुदूर संवेदन नीतभार, लिस-3, लिस-4 और एवाईफ्स हैं। इसने कॉमडेव, कनाडा से स्वचालित सूचना प्रणाली (ए. आई. एस.) नामक एक अतिरिक्त अवसरों की घोषणा नीतिभार का भी वहन किया जो जहाजों की अवस्थिति, गति और अन्य सूचना प्राप्त करने के लिए अति उच्च आवृत्ति (वी. एच. एफ.) बैंड में जहाजरानी निगरानी हेतु एक परीक्षणात्मक नीतभार है। रिसोर्ससैट-1 की तुलना में, लिस-4 बहुस्पेक्ट्रमी प्रमार्ज को 70कि. मी. तक बढ़ाया गया है। रिसोर्ससैट-2 में नीतभार इलेक्ट्रॉनिकी सहित उपयुक्त परिवर्तन किए गए हैं। मेघा-ट्रॉपिक्स (मेघा का अर्थ संस्कृत में बादल है और ट्रॉपिक्स का अर्थ फ्रेंच में उष्णकटिबंधी है) इसरो -सी. एन. ई. एस. का एक संयुक्त मिशन है, जो संवहनी प्रणाली का जीवन चक्र और उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में संबद्ध ऊर्जा में उसकी भूमिका और वायुमंडल में आर्द्रता राशि के बारे में जानकारी देता है। इस उपग्रह का प्रमोचन भूमध्यरेखा समतल के संबंध में 200 आनति पर 867 कि. मी. की कक्षा में पी. एस. एल. वी. -सी18 दव्ारा अक्टूबर 2011 को किया गया था। इस उपग्रह में निम्नलिखित चार वैज्ञानिक उपकरणों को शामिल किया गया है:

  • वर्षा एवं वायुमंडलीय संरचना का सूक्ष्मतंरग विश्लेषण व खोज (मद्रास) , सी. एन. ई. एस. और इसरो दव्ारा संयुक्त रूप से विकसित एक प्रतिबिंबन विकिरणमापी।
  • सफाइर, (SAPHIR) एक छ: चैनलवाला आर्द्रता ध्वनित्र।
  • एस. सी. ए. आर. ए. बी. , विकिरण बजट मापन हेतु एक चार चैनलवाला क्रमवीक्षक।
  • जी. पी. एस. आर. ओ. एस. पृथ्वी के वायुमंडल के तापमान और आर्द्रता के ऊर्ध्वाधर प्रोफाइल प्रदान करने के लिएजी. पी. एस. , रेडियो उपगूहन प्रणाली। सभी नीतभार संतोषप्रद रूप से कार्य कर रहे हैं और अनुसंधान एवं विश्लेषण के लिए उपयोगी वैज्ञानिक आँकड़ा प्रदान कर रहे हैंं।

वर्तमान में प्रचालित भू-प्रेक्षण उपग्रह (Current Earth Observation Satellite)

कार्टोसैट-1 को पी. एस. एल. वी. 6 दव्ारा सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र (एस. डी. एस. सी.) शार, श्रीहरिकोटा से 5 मई, 2005 को 617 कि. मी. की ध्रुवीय सूर्य-तुल्यकाली कक्षा में प्रमोचित किया गया था। 30कि. मी. का प्रमार्ज और 2.5 मी. के स्थानिक विभेदन के साथ दो पैन्क्रोमेटिक कैमरा-पैन (अग्र) और पैन (पश्च्‌) -उच्च गुणवत्तावाले प्रतिबिंब प्रदान करते हैं। इन कैमरों को नाडिर के संबंध में + 260 और -50 की आनति के साथ पथ के समानान्तर अंकीय उन्नतांशी मॉडल (डी. ई. एम.) को जनित करने हेतु प्रतिबंबों के त्रिविम युगल प्रदान करने के लिए आरोपित किया गया है। कार्टोसैट-1 के आँकड़ों को मानचित्रकला उपयोग भू-कर मानचित्रण, डी. ई. एम. का जनन और अन्य उच्च विभेदन भू-आकशीय उपयोगों के लिए उपयोग किया जाता है। कार्टोसैट-2 का प्रमोचन जनवरी 10,2007 को पी. एस. एल. वी. -सी 7 दव्ारा किया गया जो 9.6 कि. मी के प्रमार्ज सहित 1 मीटर स्थानिक विभेदन प्रतिबिंब की उपलब्ध कराने में सक्षम एक पैन्क्रोमेटिक कैमरा वहन करता है। इसे 4 - 5 दिन के पुनरागमन के साथ 630 कि. मी. की न्यूनतम तुंगता की सूर्यतुल्यकाली ध्रुवीय कक्षा में स्थापित किया गया तथा इसे 1 दिन के पुनरागमन की कालावधि सहित 560 कि. मी. के विशिष्ट कक्षा में लाया जा सकता है। इस उपग्रह में पथ के आस-पास और समानान्तर ±450 तक की संचालनीय क्षमता है ताकि किसी भी क्षेत्र का बारंबार प्रतिबिंबन कर सके।

यह उपग्रह मानचित्रकला उपयोगिता, भू-कर मानचित्रण तथा शहरी एवं ग्रामीण उपयोगिताओं के लिए प्रयोक्ता समुदाय को प्रचालनात्मक सेवाएँ उपलब्ध कराते हुए कुशलतापूर्वक कार्यरत है। कार्टोसैट-2 ए का प्रमोचन अप्रैल 28,2008 को पी. एस. एल. वी. सी. 9 दव्ारा सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र (एस. डी. एस. सी.) शार श्रीहरिकोटा से किया गया। यह कार्टोसैट-2 के समान है और यह कार्टोसैट-2 के समान उपयोग क्षमताओं के साथ एक उन्नत सुदूर संवेदन उपग्रह है। कार्टोसैट-2बी का प्रमोचन जलाई 12,2010 को पी. एस. एल. वी. सी15 दव्ारा सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र, शार, श्रीहरिकोटा से किया गया। कार्टोसैट-2बी, कार्टोसैट-2ए का अनुवर्ती उपग्रह और 690 कि. ग्रा. भारवाला है का संरूपण एक चक्कर में बहु दृश्यन क्षमता प्रदान करने के लिए किया गया है। इसमें भी मानचित्रकला और अन्य उपयोग हेतु दृश्य विशिष्ट स्पॉट प्रतिबिंबिकी प्रदान करने वाला एक एकल पैन्कोमेटिक कैमरा है। रिसोर्ससैट-1 का प्रमोचन अक्टूबर 17,2003 को पी. एस. एल. वी. -सी5 दव्ारा किया गया। इसे 820 कि. मी. की उच्च ध्रुवीय सूर्य तुल्यकाली कक्षा में स्थापित किया गया। रिसोर्ससैट-1 निम्नलिखित तीन कैमरों का वहन करता है:

  • रैखिक प्रतिबिंबन स्वत: क्रमवीक्षक (लिस्‌-4) , जो कि 70 कि. मी. , (एकल) और 23 कि. मी. (बहुस्पेक्ट्रमी) प्रमार्ज के साथ और 5.8 मी. के स्थानिक विभेदन के साथ दृशीय और निकट अवरक्त क्षेत्र (वी. एन. आई. आर.) में जीन स्पेक्ट्रमी बैंडों में प्रचालित है और पाँच दिन की पुनरागमन क्षमता प्राप्त करने हेतु पथ के आस पास 260 तक घूम सकता है।
  • लिस्‌-3 जो कि वी. एन. आई. आर. , में जीन स्पेक्ट्रमी बैंडों और 141 कि. मी. , के प्रमार्ज के साथ 23.5 मीटर के स्थानिक विभेदन के साथ लघु तरंग अवरक्त (एस. डब्ल्यू आई. आर.) बैंड में प्रचालित है।
  • 730 कि. मी. के प्रमार्ज के साथ एक उन्नत वाइड फील्ड संवेदक (एवाइफ्स) जो कि 56 मी. के स्थानिक विभेदन के साथ एस. डब्ल्यू. आई. आर. श्रीहिरकोटा से पी. एस. एल. वी. -सी 9 दव्ारा अप्रैल 28,2008 को कार्टोसैट-2ए के साथ किया गया। इसके दो नीतभारों में से एक 151 कि. मी. प्रमार्ज और 37 मी. के स्थानिक विभेदन के साथ एक बहु स्पेक्ट्रमी (एम. एक्स) कैमरा है और दूसरा 130 कि. मी. के प्रमार्ज और 505 मी. के स्थानिक विभेदन के साथ एक 64 चैनलवाला अति स्पेक्ट्रमी कैमरा है।
  • ओशनसैट-2, ओशनसैट-1 का एक अनुवर्ती उपग्रह है और इसका प्रमोचन एस. डी. एस. सी. शार, श्रीहिरकोटा से पी. एस. एल. वी. सी 14 कि. मी. दव्ारा सितंबर 23,2009 को किया गया। ओशनसैट-2 को, 1200 घंटे 10 मिनट के भू मध्य रेखा पार करने के समय के साथ 720 कि. मी. , की तुंगता पर ध्रुवीय सूर्य-तुल्यकाली कक्षा में स्थापित किया गया है। ओशनसैट-2 अपने साथ तीन संवेदक वहन करता है यानि समुद्री कलर मॉनीटर (ओ. सी. एम.) के यू-बैंड पेंसिल बीम प्रकीर्णमापी और इतावली अंतरिक्ष एजेंसी (ए. एस. आई.) दव्ारा विकसित वायुमंडलीय अध्ययन हेतु एक रेडियो उपगूहन ध्वनित्र (रोसा) नामक एक नीतभार।
  • ओशनसैट-2 के 8 बैंड ओ. सी. एम, 360 मी, के स्थानिक विभेदन और 1420 कि. मी. के प्रमार्ज के साथ 2 दिन का पुनरागमन प्रदान करता है। यह 8 दिन के आवरण चक्र के साथ 1 कि. मी. के स्थानिक विभेदन और 1420 कि. मी. के प्रमार्ज के साथ वैश्विक क्षेत्र आवरण (जी. ए. सी.) भी प्रदान करता है।
  • पेन्सिल बीम प्रकीर्णमापी भू-सतह को शंकूरूप में क्रमवीक्षण करेगा, 1400 कि. मी. के प्रमार्ज और 50 कि. मी. 50 कि. मी. के भू विभेदन सेल के साथ के. यू. बैंड में कार्य करता है। यह पवन की दिशा में 200 और गति में 105 से बेहतर परिशुुद्धता के साथ 4से 24 मीटर/सेकेण्ड के रेन्ज में पवन सदिश प्रदान करता है। प्रकीर्णमापी के आंकड़े का उपयोग महासागर सतह पर वैश्विक पवन वेग (परिणाम और दिशा) का पता लगाने के लिए किया जा रहा है। जिसका उपयोग मौसम पूर्वानुमान, चक्रवातों और तूफानों और उनके पथ, ध्रुवीय समुद्र हिम में परिवर्तन का मानीटरन और महासागर स्थिति के पूर्वानुमान के लिए निवेश के रूप में किया जाता है। प्रकीर्णमापी अंतरिक्ष में एक अदव्तीय उपकरण है और समुद्री संबंधित उपयोगों के लिए पूरे विश्व समुदाय से इसके आँकड़ा के लिए काफी मांग है। कक्षा वार प्रकीर्णमापी आंकड़ा का डाउनलोड संसाधन किया जाता है और आँकड़ा अर्जन से 160 मिनटों के अंदर यूरोप, अफ्रीका, यू. एस. और कुछ एशियाई देशों के प्रयोक्ताओं को राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केन्द्र (एन. आर. एस. सी) /इसरो वेब पोर्टल और यूमेटसैट, डर्मास्टैड की यूमेटकैस्ट प्रणाली दव्ारा आँकड़ा उत्पाद का विकीर्णन किया जाता है।
  • वायुमंडल के तापमान और आर्दता के अध्ययन के लिए ए. एस. आई. इतली दव्ारा डिज़ाइन किया गया और विकसित रोसा नीतभार को ओशनसैट-2 दव्ारा भेज दिया गया।

रिसैट-2, राडार प्रतिबिंबन उपग्रह जो सभी मौसम की स्थितियों तथा बादलों को बेधंने की क्षमता रखता है, की प्राप्ति इसराईल अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के सहयोग में की गई और इसका प्रमोचन अप्रैल 20,2009 को एस. डी. एस. सी. श्रीहरिकोट से पी. एस. एल. वी. -सी 12 दव्ारा किया गया। रिसैट-2 में देश के आपदा प्रबंधन की क्षमता को बढ़ाने की क्षमता है।

  • टी. ई. एस. प्रौद्योगिकी परीक्षण उपग्रह का प्रमोचन पी. एस. एल. वी. सी 3 दव्ारा अक्टूबर 22,2001 को किया गया। यह उपग्रह प्रौद्योगिकियों के प्रदर्शन एवं वैधीकरण के लिए अभिप्रेत है, जिसका उपयोग भावी मानचित्र कला उपग्रह मिशनों में किया जा सकेगा। टी. ई. एस. में प्रदर्शित कुछ प्रौद्योगिकियों में अभिवृत्ति और कक्षा नियंत्रण प्रणाली, उच्च आघूर्ण प्रतिक्रिया चक्र, इष्टतमी थ्रस्टर और एक एकल नोदक टंकी के साथ नयी प्रतिक्रिया नियंत्रण प्रणाली, कम भार की उपग्रह संरचना, ठोस स्थिति रिकार्डर, एक्स -बैंड चरणबद्ध व्यूह एन्टेना, सुधारित उपग्रह अवस्थिति प्रणाली, लघुकृत टी. टी. सी. तथा पावर प्रणाली और दो-दर्पण -अक्षीय कैमरा प्रकाशिकी शामिल हैं।
  • टी. ई. एस. मी. के स्थानिक विभेदन के साथ एक पैन्क्रोमैटिक कैमरा वहन करता है। यह उपग्रह अपनी उद्देशित मिशन कालावधि के बाद भी अच्छी तरह से कार्य कर रहा है।