बेस इरोतन प्रॉफिट (लाभ) शेयरिंग (हिस्सा) प्रोजेक्ट (परियोजना) (Base Erosion Profit Sharing Project – Economy)

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भारत OECD और G-20 देशों दव्ारा प्रस्तावित कर चोरी पर अंकुश लगाने की एक नई व्यवस्था को अपनाने को तैयार हैं।

बेस इरोतन प्रॉफिट शिफ्टिंम कया है?

यह एक तकनीकी शब्द है जो कि बहुराष्ट्रीय कंपनियों (संभा) के कर परिहार का राष्ट्रीय कराधार पर नकारात्मक प्रभाव को दर्शाता है। इसे ट्रांसफर प्राइसिंग (अंतरण कीमत) प्रणाली के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है।

महत्वपूर्ण क्यों है?

• प्रस्तावित परिर्वतन विभिन्न कंपनियों (सभा) /निगमों को हाइब्रिड (उच्च नस्ल) वित्तीय साधनों जैसे-अनिवार्य परिवर्तनीय डिवेंचर (ऋण पत्र) होने वाले कर लाभ को समाप्त करेंगे।

• कई कंपनियों कर -योग्य व्यापार प्रतिष्ठान (स्थायी प्रतिष्ठान) बनने से बचने के लिए व्यापार श्रृंखला को कई खंडों में बाँट देती हैं, ये परिवर्तन उन्हें ऐसा करने से रोकेंगे।

• कम कर क्षेत्राधिकार में बौद्धिक संपदा अधिकारों के मालिक को रॉयल्टी (राजसी गौरव) का भुगतान करके कर योग्य आय को कम करने के तरीके को भी रोका जाएगा। इसका उद्देश्य यह है कि बौद्धिक संपदा अधिकारों के कानूनी अधिकार वाली विदेशी संस्था, भारत में उससे होने वाली कमाई के अधिकार की पूर्ण हकदार नहीं होगी। बहुराष्ट्रीय कंपनियों की कई भारतीय इकाइयां कर संधियों में निदिष्ट कर की रियायती दर पर मुनाफे का हिस्सा वापस मूल कंपनी (सभा) को रॉयल्टी (राजसी गौरव) भुगतान के दव्ारा भेजती हैं।

• नियंत्रित विदेशी निगम (सीएफसी रूल्स) नियम की जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत ने प्रभावी प्रबंधन के स्थल नियमों को पेश किया है। प्रभावी प्रबंधन के स्थल नियम भारत में संचालित विदेशी कंपनियों की आय को भारत में कर योग्य बनाते हैं।