सतलुज-यमुना लिंक (एसवायएल) नहर मामला (Sutlej-Yamuna Link Canal Case-Miscellaneous)

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सुर्ख़ियों में क्यों?

• सर्वोच्च न्यायालय ने पंजाब सरकार को SYL नहर के निर्माण के लिए चिन्हित भूमि पर यथा स्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया है।

• तथापि सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के विरूद्ध जाते हुए पंजाब विधानसभा ने पंजाब सतलज-यमुना लिंक नहर (पुनर्वास एवं स्वामित्व अधिकार हस्तांतरण) विधेयक, 2016 पारित किया जिसमें नहर निर्माण हेतु अधिग्रहित भूमि को नि: शुल्क उसके मूल मालिकों को लौटाने की बात कही गयी हैं।

पृष्ठभूमि

• 1976 में केंद्र सरकार ने अविभाजित पंजाब के 7.2 मिलियन (दस लाख) एकड़ फुट (MAF) भूमि में से हरियाणा को 3.5 मिलियन एकड़ फुट भूमि के आवंटन के संबंध में अधिसूचना जारी की थी।

• राज्य के आर-पार सतलज को यमुना से जोड़ने वाली एक नहर की योजना बनी जिससे कि हरियाणा सतलूज तथा उसकी सहायक व्यास नदी के जल के अपने हिस्से का उपयोग कर सके।

• नहर की कुल लंबाई 214 किलोमीटर होने का अनुमान है। इसमें से 122 किलोमीटर पंजाब में तथा 92 किलोमीटर हरियाणा में होगा।

• इस नहर का निर्माण कार्य 1982 में आरंभ किया गया।

• तथापि, पंजाब में होने वाले विरोध को देखते हुए, पंजाब विधानसभा ने पंजाब समझौता समापन अधिनियम, 2004 पारित कर अपने जल साझा करने वाले समझौतों को समाप्त कर दिया।

• उपर्युक्त घटना से भी नहर का निर्माण कार्य प्रभावित हुआ।

विवाद और संघर्ष के कारण

• पंजाब सरकार का तर्क है कि हरियाणा को SYL के तहत जल साझा किये जाने संबंधी आकलन 1920 के आंकड़ो पर आधारित हैं और अब स्थिति में काफी बदलाव आ गया है, इसलिए इसकी पुन: समीक्षा किये जाने की आवश्यकता है।

• जबकि हरियाणा सरकार का दावा है कि वह जल की कमी वाला राज्य है तथा उसे जल में उसकी साझेदारी से वंचित रखा गया है जिससे उसका कृषि उत्पादन भी प्रभावित हुआ है।