Science and Technology: Communication and Meteorological Satellite System

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स्चाांर, नौवहन⟋नौसंचालन तथा मौसमविज्ञानीय उपग्रह प्रणाली (Communication and Meteorological Satellite System)

1983 में स्थापित भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह (इन्सैट) प्रणाली एशिया प्रशांत क्षेत्र में एक वृहत्तम घरेलू संचार उपग्रह प्रणाली है, जिसमें नौ उपग्रह प्रचालन में हैं- इन्सैट-2 ई, इन्सैट-3 ए, इन्सैट-3 सी, इन्सैट-3 ई, जीसैट-2, कल्पना-1, इन्सैट-4 ए, इन्सैट-4 बी तथा इन्सैट-4 सी. आर. इन्सैट प्रणाली अंतरिक्ष विभाग, दूरसंचार विभाग, भारतीय मौसमविज्ञान विभाग, आकाशवाणी तथा दूरदर्शन का एक संयुक्त उद्यम है। इन्सैट प्रणाली का समग्र समन्वयन तथा प्रबंधन, इन्सैट समन्वयन समिति दव्ारा किया जाता है।

भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (Indian Institute of Space Science and Technology)

भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (आई. आई. एस. टी.) जिसे विश्वविद्यालय का दर्जा प्राप्त है, को मानव संसाधन में क्षमता निर्माण तथा भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए स्थापित किया गया। इस संस्थान ने तिरुवनन्तपुरम में वलियमला में अपने स्थाई परिसर में कार्यारंभ कर दिया है। इस संस्थान में प्रति वर्ष लगभग 150 - 200 विद्यार्थियों को प्रवेश दिया जाता है। अगस्त 2011 में इसरों के विविध केन्द्रों यूनिटों में इस संस्थान के प्रथम स्नातक बेच की भर्ती की गई है।

सेवारत उपग्रह (Serving Satellite)

इन्सैट-2ई (Inset – 2E)

इन्सैट-2 श्रृंखला के अंतिम पांच उपग्रह 830 पूर्व देशांतर पर स्थित है जिसने 12 साल की सेवा संतोषजनक रूप से पूरी की है। 1999 में प्रमोचित इन्सैट-2 ई में सत्रह सी बैंड और निम्न विस्तारित सी बैंड प्रेषानुकर हैं जो 36 डीबी डब्ल्यू के प्रभावी समस्थानिक विकिरण शक्ति के साथ क्षेत्रीय और वैश्विक आवरण प्रदान करते हैं। दिसंबर 2011 में उपग्रह अपने जीवन काल के अंत में पहुँचा तथा इन्सैट-2 ई के सभी प्रयोक्ताओं को अन्य उपग्रह में अंतरित किया गया।

इन्सैट-3 ए (Inset - 3A)

बहुउद्देशीय उपग्रह इन्सैट-3 ए ने अपने, प्रचालन के 8 साल संतोषजनक रूप से पूर्ण कर लिए हैं। यह 93.50 में पूर्व देशांतर इन्सैट-4 बी के साथ स्थित है। इन्सैट-3 ए के नीतभार निम्नानुसार हैं:-

  • 12 सामान्य सी-बैंड प्रेषानुकर- (9 चैनलों दव्ारा 38 डीबीडब्ल्यू के ईआरआईपी के साथ मध्य पूर्व दक्षिण पूर्व एशिया तक विस्तृत आवरण प्रदान करते हैं, 3 चैनल 36 डीबीडबल्यू के ईआईआरपी के साथ भारत को आवरित करते हैं।)
  • 6 विस्तारित सी-बैंड प्रेषानुकर 36 डीबीडब्ल्यू के ईआईआरपी के साथ भारत को आवरित करते हैं।
  • 6 केयू- बैंड प्रेषानुकर, 48 डीबीडब्ल्यू के ईआरपी के साथ भारत को आवरित करते हैं।
  • अति उच्च विभेदन रेडियोमीटर (वीएचआरआर) जिसकी प्रतिबिंबन क्षमता दृश्य में (0.55 - 0.75 माइक्रोन) , तापीय अवरक्त (10.5 - 12.5 माइक्रोन) और जल वाष्प (5.7 - 7.1 माइक्रोन) जो क्रमश कि. मी. और 8.8. 8 कि. मी. चैनलों के भू-विभेदन प्रदान करता है।
  • एक चार्ज युग्मित उपकरण (सीसीडी) कैमरा दृश्य (0.63 - 0.69 माइक्रोन) , निकट अवरक्त (0.77 - 0.86 माइक्रोन) तथा लघुतरंग अवरक्त (1.55 - 1.70) बैंडो में 1x1 कि. मी. भू-विभेदन प्रदान करता है।
  • एक आँकड़ा रिले प्रेषानुकर जो मानवरहित भूमि और समुद्र आधारित स्वचालित आँकड़ संग्रहण सह प्रसारण प्लेटफार्मो से मौसमविज्ञान, जल विज्ञान तथा समुद्रविज्ञान संबंधी आंकड़ों के रिले हेतु 400 में ह. अपर्लिक और 4500 में ह. डाउनलिंक के साथ वैश्विक अभिग्राही आवरण प्रदान करने में सक्षम हैं
  • उपग्रह आधारित खोज एवं बचाव नीतिभार जो समुद्र, वायु और भूमि के आपदा बीकनों से संकेतों के रिले करने में सक्षम है और भारत को आवरित करते हुए 406 में ह. अपलिंक और 4500 में ह. डाउनलिंक के साथ वैश्विक अभिग्राही आवरण प्रदान करने में सक्षम है।

इन्सैट-3 सी (Inset - 3C)

जनवरी 2002 में प्रमोचित, इन्सैट-3 सी को 740 पूर्व देशांतर में स्थापित किया गया है। इन्सैट-3 सी नीतभरों में 37 डीबीडब्ल्यू के इआईआरपी प्रदान करने वाले 24 सामान्य सी-बैंड प्रेषानुकर है, 37 डीबीडब्ल्यू के साथ 6 विस्तारित सी-बैंड प्रेषानुकर है और 42 डीबीडब्ल्यू के ईआईआरपी के साथ बीएसएस सेवाएं प्रदान करते है जो एमएसएस नीतभार इन्सैट-3बी में शामिल नीतभार के समान है। सभी प्रेषानुकर भारत का संपूर्ण आवरण उपलब्ध कराते हैं। उपग्रह निरंतर संतोषजनक सेवाएं प्रदान कर रहा है।

इन्सैट-3 ई (Inset – 3E)

  • सितंबर 2003 में प्रमोचित, इंसैट-3 ई को 550 पूर्व देशांतर पर जीसैट-8 के साथ स्थापित किया गया है और भारत के ऊपर 37 डीबीडब्ल्यू के ई. आई. आर. पी के आवरण प्रदान करते है जिसमें 24 सामन्य सी-बैंड प्रेषानुकर है और जो भारत पर 38 डीबीडब्ल्यू के ई. आई. आर. पी. के आवरण प्रदान करने वाले 12 विस्तारित सी-बैंड प्रेषानुकर का वहन करता है। उपग्रह युगपत विद्युत विसंगति के कारण कम क्षमता से कार्य कर रहा है।
  • कल्पना-1 एक विशिष्ट मौसमविज्ञान उपग्रह है। जिसका प्रमोचन सिंतबर 2002 को पीएसएलवी दव्ारा किया गया। यह मौसमविज्ञानीय सेवाएं प्रदान करने के लिए वीएचआरआर और डीआरटी नीतभारों को वहन करता है। यह 740 पूर्व देशांतर पर स्थित है। यद्यपि उपग्रह ने अपनी निर्धारित सात वर्ष की सेवा पूर्ण कर ली है, तथापित वह अपनी अवनत कक्षा से निरंतर संतोषजनक और महत्वपूर्ण सेवाएं प्रदान करा रहा है।

इन्सैट-4 ए (Inset - 4A)

दिसंबर 2005 में यूरोपियन एरियन प्रमोचन यान दव्ारा प्रमोचित इन्सैट-4ए जीसैट-12 के साथ 830 पूर्व देशांतर पर स्थापित है। भारत की मुख्य भूमिका का आवरण करने वाले पादचिन्ह सहित पालीगन आवरण के अंतिम छोर पर 52 डीबीडब्ल्यू के ईआरआरपी प्रदान करने हेतु 140 वॉट के टी डब्ल्यूटीए का नियोजन करने वाले 12 केयू बैंड 36 मेंं ह. बैंड विस्तार प्रेषानुकर और भारतीय भौगोलिक सीमा, भारत के दक्षिण-पूर्वी और उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों में भारत से पार के क्षेत्रों को सम्मिलित करते हुए विस्तारित विकिरण प्रकार वाले आवरण के अंतिम छोर पर 39 डीबीडब्ल्यू के ई. आर. आर. पी. प्रदान करने हेतु 12 -सी बैंड वाले 36 में ह. बैंड विस्तार के प्रेषानुकर का वहन करता है।

इन्सैट-4 बी (Inset - 4B)

इन्सैट-4 ए के समान नीतभारों के साथ संरूपित, इन्सैट-4बी मार्च 12,2007 को यूरोपियन एरियन-5 प्रमोचक रॉकेट दव्ारा प्रमोचित किया गया। इन्सैट-4बी क्रमश: 52 डीबीडब्ल्यू और 39डीबीडब्ल्यू के ई. आई. आर. पी. प्रदान करने हेतु 12 के यू बेड और 12 सी बैंड प्रेषानुकारों का वहन करता है। के. यू. बैंड के लिए 2.2 मी. व्यास के दो टीएक्स⟋आरएक्स दोहरे ग्रिड ऑफसेट फेड आकार वाले बीम परावर्तक और सी बैंड के लिए 2 मी. व्यास का उपयोग किया गया। इन्सैट-4बी ने के. यू. बैंड में भारत पर और सी बैंड में व्यापक क्षेत्र पर उच्च शक्ति प्रेषानुकर क्षमता को संवर्धित किया है। इन्सैट-4बी को 93.50 पूर्व देशांंतर पर इन्सैट-3 ए के साथ सहस्थापित किया गया है। शक्ति की विसंगति के कारण उपग्रह की प्रचालन क्षमता कम हो गई है।

इन्सैट-4सीआर (Inset - 4CR)

इन्सैट-4सीआर को श्रीहिरकोटा से जीएसएलवी दव्ारा सितंबर 2,2007 को प्रमोचित किया गया। इन्सैट-4सी. आर को इन्सैट-3 सी और कल्पना-1 के साथ 740 पूर्व देशांतर पर 51.5 डीबीडब्ल्यू के ई. आई. आर. पी. के साथ 12 उच्च शक्ति वाले के. यू. बैंड प्रेषानुकारों को सहस्थापित किया गया है। इन्सैट-4सीआर इन्सैट-4 श्रृंखला में तीसरा उपग्रह है। इन्सैट-4सीआर को डायरेक्ट टू होम (डीटीएच) दूरदर्शन सेवाएं, दृश्य चित्र प्रसारण और अंकीय उपग्रह समाचार संग्रहण उपलब्ध कराने हेतु अभिकल्पित किया गया है।

हाइलस (Haile)

मेसर्स अवंर्ति संचार लिमिटेड यू. के. के लि ई. ए. डी. एस एस्ट्रियम और एंट्रिक्स के बीच साझेदारी में विकसित किया गया उच्च अनुकूलनीय उपग्रह (हाइलस) जोकि 2 के. यू. बैंड और 8 का बैंड प्रेषानुकारों को वहन करता है। बस प्लेटफार्म लगभग 3.1 कि. वा. की शक्ति प्रदान करने की क्षमता के साथ तनन1 - 2 के. बस संरचना पर आधारित है और उपग्रह में 2542 कि. ग्रा. का उत्थान भार है। 1 - 2 के उपग्रह बस और मुख्य संरचना तत्व आईजेक दव्ारा विकसित किया गया और उन्नत संचार नीतभार प्रमुख संविदाकार ईएडीएस एस्ट्रियम दव्ारा विकसित किए गए। 27 नवंबर, 2010 को एरियाने 5वी198 प्रमोचित्र पर उपग्रह को सफलतापूर्वक प्रमोचित किया गया। पश्च प्रमोचन कक्षा युक्तिचालन के पश्चात्‌ उसे 33.50 वा. के अंतिम स्लॉट में भेजने से पूर्व 610 पू. और 310 पू. पर आवृत्ति फाइलिंग प्रचालन संचालित किए गए। 33.50 वा. स्थिति पर उपग्रह की कक्षीय जाँच सफलतापूर्वक आयोजित की गई और तत्पश्चात्‌ मार्च 2011 में उसे प्रयोक्ताओं के सुपुर्द कर दिया गया। उपग्रह का उपयोग ब्रॉडबैंड इंटरनेट अभिगम उपलब्ध कराने के लिए और पश्चिमी और केन्द्रीय यूरोप के 22 हाई डेफिनेशन टेलीविजन (एचडीटीवी) के प्रसारण एवं वितरण के लिए किया जा रहा है।

जीसैट-8 (GSAT-8)

जीसैट-8 एक संचार उपग्रह है 6.0 कि. वा. (एसएस ईओएल) पावर जनित्र क्षमता के साथ जो 3093 कि. ग्रा. उत्थापन द्रव्यमान एवं 1.3 के. बस के चारों ओर संरूपित है तथा इसकी मिशन कालावधि 12 वर्ष से भी अधिक है। यह उपग्रह 24 के. यू. बैंड प्रेषानुकारों का वहन करता है और भारतीय मुख्य भूमि को आवृत्त करते हुए अंडमान और निकोबार दव्ीपसमूह तथा दव् चैनल गगन (जीपीएस आधारित जीईओ संवर्धित नौसंचालन) नीतभारों का आवरण करता हैं। 21 मई 2011 को एरियाने वी 202 दव्ारा उपग्रह को प्रमोचित किया गया है। कक्षा उत्थान प्रचालन सफलतापूर्वक संचालित किए गए और 550 पूर्व देशांतर पर निर्धारित जीईओ कक्षा में उपग्रह को स्थापित किया गया। सभी प्रस्तरण सफलतापूर्वक संचालित किए गए और उपग्रह में 3 अक्ष पर स्थिर किया गया है। जून 2011 में नीतभारों का कक्षीय परीक्षण (आईओटी) किया गया। बैंगलूर के निकट कुंदनहल्ली में नए नौसंचालन नियंत्रण केन्द्र से गगन नौसंचालन नीतभार का परीक्षण किया गया। तदुपरांत उपग्रह को प्रचालित घोषित किया गया।