आर्टिफिशियल (कृत्रिम) इंटेलीजेंस (बुद्धिमत्ता) (Artificial Intelligence - In Hindi)

प्रस्तावना:- एआई यानी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (कृत्रिम बुद्धिमता) पर सरकार ने भी नई कवायद शुरू की है। आम बजट में डिजिटल (अंकसबंधी) इंडिया (भारत) को बढ़ावा देने के लिए पिछले वर्ष की तुलना में राशि दोगुनी की गई है। जनकल्याण के लिए एआई का उपयोग एक बेहतर विकल्प है लेकिन इसमें कुछ खतरे भी समाहित हैं। दुनिया भर में एआई को लेकर पक्ष और विपक्षी धड़ों की अपनी-अपनी राय है। एआई को कल्याणकारी नीतियों में शामिल किए जाने से डेटा (आंकड़ा) में सेंधमारी का भी पहलू है। क्या सरकार की डिजिटल (अंकसंबंधी) प्लेटफॉर्म (मंच) पर पूरी तैयारी है या फिर एआई केवल लोकलुभावना नारा भर है।

भारत:- भारत में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस शुरुआती चरण में है। अभी तो पूरे देश में कंप्यूटरीकरण (परिकलक) भी नहीं हुआ है और यह शहरों तक सीमित है। एआई व्यापक है और इसमें गलतियों की संभावना ज्यादा रहती है। यह डेटा की उपलब्धता पर निर्भर रहता है। चाहे वह ट्रांसपोर्ट (यातायात) , पर्यटन, कृषि कोई भी क्षेत्र हो। डेटा सही उपलब्ध होगा तो ही यह सही काम करेगी। भारत में अभी सही डेटा उपलब्ध नहीं है। एआई से उपयोगकर्ता संपर्क रखेंगे तो उन्हें आधार का डेटा शेयर (साझा) करना होगा। इसमें जो निजी जानकारी हैं वो भी शेयर होगी। अभी जो डेटा इकट्‌ठा किया जा रहा है उसकी साइबर सुरक्षा अच्छी नहीं है और न ही सरकार ने इसके लिए कोई रोडमैप (मार्ग नक्शा) बनाया है। यदि हम अमरीका, चीन को देखें तो उन्होंने एआई पर काफी अच्छा काम किया है और इसमें सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं। डेटा की सुरक्षा, एआई की नींव है और यदि यह मजबूत नहीं होगी तो बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ेगा। यदि डेटा एक बार लीक (उजागर) हो गया तो वो हमेशा के लिए ही लीक हो जाएगा। उसको फिर रिकवर (वसूली) नहीं किया जा सकता। चीन के हैकरों (हैेक करना) ने कई बार भारतीय डेटा (आंकड़ा) सर्वर्स पर साइबर हमला किया है और हम डेटा को सिर्फ कवर (आवरण) करते हैं लेकिन उन्हें रोकने पर कोई कार्य नहीं किया। एआई को विकसित करना लोकप्रिय बयान है। यह घोषणा करके सरकार खुद को भविष्यदृष्टा साबित करना चाहती हैं। इसके लिए आवंटित बजट भी नाकाफी है। सरकार जब इसकी बात करती है तो उसे ध्यान रखना है कि उसके पास उपलब्ध डेटा कितना सही और सुरक्षित है। अभी तक सरकार के पास जो डेटा है वो अपर्याप्त है और सही नहीं है। यदि किसी व्यक्ति के आधार का डेटा सरकार के पास है और वह एआई का उपयोग करता है तो उसकी जानकारी इकट्‌ठा हो जाएगी पर यह डेटा साइबर सुरक्षा में कमी के चलते किसी दूसरे के हाथ में चला गया तो तमाम निजी जानकारी उसके पास होंगी। सुरक्षा को लेकर सरकार ने अभी तक गंभीरता नहीं दिखाई है। सरकारी रवैये को देखते हुए मुझे ऐसा नहीं लगता है कि आगामी पांच-सात साल तक इसमें कोई खास प्रगति हो पाएगी।

अभिषेक धामाई, साइबर सुरक्षा एक्सपर्ट (विशेषज्ञ)

बड़ी चुनौती:- तकनीकी दुनिया में जितनी खुशी है उससे कहीं ज्यादा हमें दुख को झेलने के लिए तैयार रहना होगा, क्योंकि तीन दशक में दुनिया भर की अर्थव्यवस्था में तकनीकी भारी तबाही मचाने वाली है। हमें रोबोट (यंत्रमानव) के साथ काम सीखना होगा, तभी हम तकनीकी आधारित अर्थव्यवस्था में होने वाले नुकसान को कम कर सकते हैं। आने वाले समय में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) से बने रोबोट बड़ी कंपनियों (संघ) के सीईओ के समान काम करेंगे। अगले 30 सालों में एआई इंसानी के लिए चुनौती है। प्रथम तकनीकी क्रांति के कारण प्रथम विश्वयुद्ध हुआ था। तकनीकी क्रांति ने दूसरे विश्वयुद्ध की पटकथा लिखी। अब आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का दौर है जो तीसरे विश्वयुद्ध का कारण बन सकता है। लेकिन इंसानों को सचेत रहना होगा क्योंकि मशीनों (यंत्रो) को हावी नहीं होने देना है।

जैके मा, अलीबाबा के संस्थापक

प्रभावित:-भारत में एआई के व्यापक इस्तेमाल के बाद विभिन्न क्षेत्रों में प्रभाव पड़ेंगे। यह प्रभाव किसी क्षेत्र में सकारात्मक तो कुछ में नकरात्मक साबित हो सकते हैं। भारत पर पड़ने वाले प्रमुख प्रभावों का विश्लेषण-

  • रोजगार-लाखों लोगों की नौकरी संकट में-एआई का उपयोग बढ़ने से भारत में बहुत से लोगों की नौकरी खतरे में पड़ जाएगी। वर्ल्ड (विश्व) बैंक (अधिकोष) की रिसर्च (अध्ययन) रिपोर्ट (विवरण) में दावा किया गया है कि वर्ष 2021 तक आईटी सर्विस (सेवा) इंड्रस्टी (उद्योग) में ऑटोमेशन (स्वचालन) से 6.4 लाख लोगों की नौकरियां जा सकती है।
  • कृषि-ख्ाेतों में हाथ बटाएंगे मशीनी हाथ-कृषि का क्षेत्र भी एआई से प्रभावित होगा। टाटा समूह कृषि क्षेत्र में ऑटोमेशन यानी स्वचालन तकनीकी की राह तलाश रहा है। इसके लिए एक ऐसे ड्रोन का निर्माण किया जा रहा है जो बिना इंसानी सहायता के खेतों में छिड़काव कर सकेगा।
  • बाजार-विकसित होगा बड़ा बाजार- एआई का आने वाले समय में बड़ा बाजार विकसित होने की उम्मीद की जा रही है। नास्कॉम की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2025 तक एआई आधारित ऑटोमेशन (स्वचालन) इंडस्ट्री (उद्योग) 100 से 200 अरब डॉलर (मुद्रा) का कारोबार करेगी। इसमें भारत का बड़ा हिस्सा होगा।
  • स्वास्थ्य-गंभीर बीमारी का इलाज संभव-एआई की मदद से एक ऐसी चिप बनाई जा रही है जो दिमाग की रासायनिक गतिविधियों को सही करके ठीक कर देगी। इसके जरिए पहले बीमारियों का पैटर्न (रूप) रिकॉर्ड (प्रमाण) कर लिया जाता है। अमरीका में इस तकनीक का उपयोग शुरू हो गया है।

एआई सुविधा भी है तो दुविधा भी इसके पक्ष में व विपक्ष में विचार निम्न हैं-

Table Contain shows the AI՚s side and opposition
पक्षविपक्ष
जेफ बेजोस, सीईओ अमेजॉन दुनिया भर में अभी एआई का स्वर्ण काल है। जो चीज हम विज्ञान फिक्शन (उपन्यास) फिल्मों में ही देखते थे वो साकार हो रही हैं। मशीन (यंत्र) लर्निंग (सीख रहा हूँ) के जरिए आने वाले 20 साल में दुनिया और बेहतर होगी।बिल गेट्‌स, माइक्रोसॉफ्ट के सहसंस्थापक शुरुआती दौर में मशीनें हमारे लिए काम कर रही हैं, पर जब मशीनों में बुद्धिमत्ता इनपुट डाला जा रहा है तो इन्हें संभालना और ज्यादा मुश्किल हो जाएगा। मशीनों पर ज्यादा निर्भरता से मुश्किलें पैदा होगी।
मार्क जकरबर्ग, सीईओ फेसबुक मैं कृत्रिम बुद्धिमत्ता के प्रति इसलिए आशावादी हूँं, क्योंकि इसके द्वारा लोगों की सेहत के लिए अच्छे चिकित्सा शोध हो रहे हैं, ट्रेफिक (यातायात) सिस्टम (प्रबंध) में सुधार से लोग सड़कों पर ज्यादा सुरक्षित हैं।लॉन मस्क, सीईओ टेस्ला कृत्रिम बुद्धिमत्ता की ओर जाना आसान राह नहीं है। इसमें बहुत से खतरे भी छिपे हुए हैं। एआई का स्वरूप उ. कोरिया से भी ज्यादा खतरनाक रूप अपना सकता है।
सत्य नडेला, सीईओ माइक्रोसॉफ्ट अकसर ये आशंका जताई जाती है कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता के कारण रोजगार कम हो जाएंगे, लेकिन एकआई से रोजगार के अवसरों में इजाफा होगा।स्टीफन हॉकिंग, मशहूर वैज्ञानिक हम कृत्रिम बुद्धिमत्ता के जरिए जब तक मानवता से जुड़े कार्य करते रहेंगे तक तो ठीक है लेकिन जरा भी भटके तो फिर कबाड़ा हो सकता है।

समाजिक ढांचा:- आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) से रोजगार पर असर बड़ा सवाल है। इसके लिए बेहतर सामाजिक और आर्थिक ढांचा भी बनाना जरूरी है। जो अभी सरकार की प्राथमिकता नहीं है।

  • चीन में प्रत्येक 10 हजार कामगारों पर 30 रोबोट्‌स (यंत्रमानव) है। लेकिन इसके लिए चीन ने लगभग 10 साल पहले से तैयारी की है। चीन का उदाहरण इसलिए क्योंकि वहांँ पर काफी प्रयास किए गए। डेटा संधारण की दिशा में भी। भारत में यदि देखा जाए तो सामाजिक रूप से अभी मजबूत ढांचे की जरूरत है।
  • यहाँं मजबूत सामाजिक ढांचे से अभिप्राय है कि समावेशी विकास के जरिए सभी को डिजिटल रूप से सक्षम बनाया जाए। वर्तमान में देश में आबादी का एक बड़ा वर्ग डिजिटल (अंकसंबंधी) रूप से जुड़ाव नहीं है। अकसर बिना आधार कार्ड या बैंक (अधिकोष) खाते के कई लोग सरकारी सुविधाओं से वंचित रह जाते हैं। इस दिशा में बेहतर तरीके से काम किया जाना जरूरी है। एआई को मजबूत सामाजिक ढांचा एक अच्छी नींव प्रदान करता है।

अन्य विचार:-वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने बजट भाषण में एआई के विकास की घोषणा की है। मशीन (यंत्र) , लर्निंग (सीख रहा हूँ) , इंटरनेट ऑफ (के) थिंग्स (चीजें) और थ्रीडी प्रिटिंग (मुद्रण) के जरिए उत्पादन में इजाफे की कवायद चल रही है। केंद्र सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने भी इस दिशा में पहल की है। रिसर्च (अध्ययन) , प्रशिक्षण और रोबोटिक्स स्किल्स (कौशल) को विकसित करने के लिए सेंटर केन्द्र) (ऑफ (के) एक्सीलेंस (उत्कृष्टता) की स्थापना की जा रही है। सरकार के डिजिटल इंडिया (भारत) कार्यक्रम के तहत ये कार्य किए जा रहे हैं।

  • इस सब के बीच लोगों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता और रोजगार पर उत्पन्न होने वाले खतरे को लेकर संदेह होना काफी स्वाभाविक सा है। अकसर ये कहा जाता है कि एआई के कारण रोबोट रोजगारों को छीन लेगे। कुछ हद तक ये संदेह सच भी साबित हो सकते हैं। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के शोध के अनुसार वर्तमान में 47 फीसदी कामकाजी लोगों के रोजगार पर एआई से अगले एक दशक में संकट पैदा हो जाएगा। बैंक (अधिकोष) ऑफ (के) इंग्लैंड के एक अध्ययन के अनुसार अगले 10 साल में बैंकिंग (महाजन) सेक्टर (क्षेत्र) में 48 फीसदी मानव संसाधन को रोबोटिक्स और सॉफ्टवेयर ऑटोमेशन (स्वचालन) के जरिए बदल दिया जाएगा।
  • वॉल स्ट्रीट में भी क्लाउड (बादल) बेस (आधार) सॉफ्टवेयर तकनीकी जैसे ब्लॉकचेन (एक प्रोद्योगिक एवं तकनीक हैं) से रोजगार पर संकट मंडरा रहा है। कुछ संघ ड्रोन तक का इस्तेमाल करने लगी हैं। ऐसे में हालात अगले कुछ वर्षों में ऐसे होने वाले हैं कि एआई के जरिए रोजगार पर संकट उत्पन्न होने की आशंका है। लेकिन एक और पक्ष है, गार्टनर की एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2020 तक एआई के जरिए 23 लाख रोजगार पैदा होगे। मानव के समान बेहतर ढंग से काम करने वाली मशीनों के विकास के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
  • लेकिन इसके साथ ही संदेह भी पैदा हो रहे हैं कि आखिर इससे रोजगार के अवसरों पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव को कैसे रोका जाएगा। आने वाले समय में अब भी लोगों को मशीनों के जरिए सभी प्रकार के कार्य निष्पादन की सुविधा पूरी तरह से नहीं मिल पाएगी। सभी रोबोटिक्स में मानवीय हस्तक्षेप जरूर रहने वाला है। गूगल, आईबीएम और फेसबुक जैसी बड़ी कंपनियां (संघ) एआई के क्षेत्र में शोध करने में जुटी हैं। ऑटोमशन (स्वचालन) , इंटरनेट और एडवांस्ड (उन्नत) रोबोटिक्स के क्षेत्र में नए तकनीकी विकास हो रहे हैं।
  • देखने में आता है कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता की चर्चा होने पर लोगों को रोजगार संबंधी संदेह होने लगता है। जरूरी है कि सरकार इनके तार्किक जवाब दे।
  • रोबोट और इंटेलीजेंट मशीनों के माध्यम से आज कारखानों में ज्यादा कार्यकुशलता से कार्य होने लगा है। उत्पादन में भी इजाफा हो रहा है।

हसन जावेद खान, काउंसिल (परिषद) ऑफ (के) साइंस (विज्ञान) एंड (और) इंडस्ट्रियल (औद्योगिक) रिसर्च (अध्ययन)

  • विज्ञान और तकनीक विकास से कई तरह के कार्यों को इंसानों के मुकाबले मशीनें अधिक तेजी से कर सकती हैं। ऐसे कार्यों के लिए मशीनों में समुचित डेटा फीड (प्रबंध करना) करना पड़ता है। जॉब (नौकरी) डेटा (आंकड़ा) वाली मशीनें उस कार्य को स्वयं करने लग जाती है। अक्षरों के गलत होने पर पकड़ना और उन्हें ठीक करना मशीन लर्निंग कहलाता है। इस तकनीक का और अधिक विकास कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) कहलाता है। मशीन लर्निंग, एआई, 3 डी प्रिंटिग, ब्लॉकचेन आदि पांचवी पीढ़ी की गेमचेंजर तकनीक हैं और विश्व के कई देश इन पर फोकस (ध्यान) कर रहे हैं।
  • समय के साथ बदलती तकनीक को अपनाना जरूरी हो जाता है। कहा जा रहा है कि एआई का विकास मानव के लिए खतरा साबित हो सकता है लेकिन यह मानव के लिए किसी प्रकार का खतरा नहीं बनेगी। मानव की बुद्धिमत्ता सर्वोच्च है और कोई तकनीक उसकी जगह ले सकती है, ऐसा संभव नहीं। तकनीकी विकास के बावजूद मानव की भूमिका महत्वपूर्ण बनी रहेगी। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इन तकनीकी बदलावों का मानव पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और बहुत से लोगों के रोजगार पर संकट आ जाएगा। ऐसी आशंका हर तकनीक के बदलाव के दौर में व्यक्त की जाती रही है। राजीव गांधी सरकार के समय जब रेलवे में कंप्यूटर (परिकलक) का उपयोग किया जाने लगा तो कहा गया कि इससे रेलवे के कर्मचारियों की नौकरी चली जाएगी लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ बल्कि आज रेलवे में उससे अधिक संख्या में कर्मचारी है और यात्रियों को आसानी हुई है।
  • भारत का पड़ोसी देश चीन पांचवी पीढ़ी की तकनीक के विकास के लिए काफी निवेश कर रहा है। भारत और चीन भले ही लगभग एक साथ आजाद हुए हों लेकिन वर्तमान में वह विज्ञान और तकनीक के मामले में भारत से आगे निकल चुका है। इसका कारण है विज्ञान और तकनीक में शुरुआत से ही उसका निवेश और फोकस करना। सरकार ब्लॉकचेन तकनीक का भी विकास करने की बात कह रही है। ब्लॉकचेन तकनीक के जरिए ही बिटकॉइन (सिक्के का छोटा सा हिस्सा) जैेसी क्रिप्टो (गुप्त) करेंसी (मुद्रा) का संचालन किया जा रहा है। यह तकनीक काफी सुरक्षित मानी जाती है। यह तकनीक कड़ी से कड़ी जोड़कर बनने वाली चेन की तरह है। यदि हम इतिहास देखें तो पाएंगे कि भारत की जनता तकनीक बदलावों को अपनाती रही है।
  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता के विकास को कुछ विशेषज्ञ खतरनाक बता रहे हैं पर कोई तकनीक ऐसी नहीं है जो इंसान की बुद्धिमत्ता की बराबरी कर सके।

पल्लव बागला, सदस्य, वर्ल्ड (विश्व) फैडरेशन (राज्यसंघ) ऑफ (के) विज्ञान जर्नलिस्ट (पत्रकार)

उपसंहार:-कुल मिलाकर एआई देश के विकास व प्रगति के लिए अच्छा माध्यम हैं लेकिन उससे पहले इसकी सुरक्षा भी बहुत जरूरी है तभी यह एआई भारत के लिए एक वरदान साबित होगी। अब इस एआई का सही इस्तेमाल एवं सुरक्षा कैसे की जाए यह तो आने वाला समय ही बताएगा।

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