ब्रिटिश सरकार की प्रशासनिक एवं सैन्य नीतियाँ (Administrative and Military Policies of British Government) Part 1for NET, IAS, State-SET (KSET, WBSET, MPSET, etc.), GATE, CUET, Olympiads etc.

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भारत में न्यायिक प्रणाली का विकास ~NET, IAS, State-SET (KSET, WBSET, MPSET, etc.), GATE, CUET, Olympiads etc.: ब्रिटिश सरकार की प्रशासनिक एवं सैन्य नीतियाँ (Administrative and Military Policies of British Government) Part 1

आधुनिक न्याय प्रणाली की शुरूआत 18वीं सदी में कलकता में उच्चतम न्यायालय की स्थापना से ही हो गई थी परन्तु इसकी वास्तविक शुरूआत तब हुई जब 1861 ई. में बंबई और मद्रास में उच्च न्यायालय स्थापित हुए। उच्च न्यायालय के कम-से -कम एक-तिहाई जजों की भर्ती भारतीय सिविल (नागरिक) सर्विस (सेवा) से होनी थी तथा दो-तिहाई इंग्लैंड के बैरिस्ट्री (बड़ा वकील) एवं स्कॉटलैंड के वकीलों से। उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीशों की नियुक्ति इंग्लैंड के वकीलों से ही की जाती थी। लॉर्ड रिपन ने 1881 ई. में पहली बार एक भारतीय रमेशचन्द्र मित्र को कलकता उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया। 1911 ई. में लाहौर तथा रंगून में भी उच्च न्यायालय स्थापित किए गए।

सिविल (नागरिक) सर्विसेस (सेवा) से न्याय प्रशासकों की नियुक्ति का भारतीय लोकमत ने जमकर विरोध किया और इसे समाप्त करने की मांग की, परन्तु 1935 ई. के भारत शासन अधिनियम दव्ारा भी यह संभव नहीं हुई। 1935 ई. के भारतीय अधिनियम दव्ारा संघीय प्रशासन के चलते न्यायपालिका में एक परिवर्तन आवश्यक हो गया। इस अधिनियम की धारा 200 और 203 में एक संघीय न्यायालय के गठन की व्यवस्था की गई। इसमें एक मुख्य न्यायाधीश तथा छ: जज होने थे। जजों को ब्रिटिश संप्रभु नियुक्त करते थे और वे 65 वर्ष तक पदासीन रह सकते थे। संघीय न्यायालय दो प्रांतों के बीच, एक प्रांत और रियासत के बीच और एक प्रांत तथा संघीय पदाधिकारियों के बीच संवैधानिक झगड़े होने पर निर्णय देने का अधिकार रखता था। संघीय न्यायालय उच्च न्यायालय की अपील भी सुनता था। संघीय न्यायालय एक अक्टूबर, 1937 ई. को स्थापित किया गया और 1947 ई. तक न्याय प्रणाली इस आधार पर ही चलती रही। अंग्रेजों दव्ारा स्थापित की गई न्यायिक व्यवस्था ने दो सिद्धांतों (कम से कम सैद्धांतिक रूप में ही सही) का अनुसरण किया:

  • विधि का शासन
  • कानून के सम्मुख समानता
  • लेेकिन व्यवहार में यह जातीय भेदभाव से भरी हुई थी जैसा कि इल्बर्ट बिल विवाद से स्पष्ट है।
  • अधिकारियों ने अतिरिक्त कानूनी अधिकारों का उपयोग किया।
  • कानून स्वयं में ही ऋुटिपूर्ण था क्योंकि इनका निर्माण लोकतांत्रिक पद्धति से नहीं हुआ था।