किसानों के लिए ब्याज में छूट संबंधी योजना (Interest Subsidy Scheme for Farmers) for Competitive Exams for Competitive Exams
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केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने वर्ष 2016 - 17 के लिए किसानों हेतु ब्याज में छूट संबंधी योजना को मंजूरी दे दी है। सरकार ने इसके लिए 18,276 करोड़ रुपये की राशि निर्धारित की है।
योजना की मुख्य विशेषताएं
- केन्द्र सरकार वर्ष 2016 - 17 के दौरान किसानों के लिए एक वर्ष की अल्पावधि वाले 3 लाख रुपए तक के फसल ऋण पर 5 प्रतिशत की ब्याज सहायता प्रदान करेगी। किसानों को इस प्रकार प्रभावी ब्याज दर के रूप में केवल 4 प्रतिशत का भुगतान करना होगा।
- जिन छोटे और सीमांत किसानों को अपनी उपज की कटाई के बाद भंडारण के लिए 9 प्रतिशत की ब्याज दर पर उधार लेना पड़ता है, उन्हें राहत प्रदान करते हुए केन्द्र सरकार ने ब्याज 2 प्रतिशत की सहायता को मंजूरी दी है; अर्थात 6 महीने तक के ऋणों के लिए प्रभावी ब्याज दर 7 प्रतिशत होगी।
- प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित किसानों को राहत प्रदान करने के लिए, पहले वर्ष के लिए पुननिर्धारित राशि पर बैंको (अधिकोषों) को 2 प्रतिशत की ब्याज सहायता उपलब्ध करायी जाएगी।
- अगर किसान अल्पावधि फसल ऋण समय पर न चुका पाएं तो वे उपर्युक्त 5 प्रतिशत की दर के स्थान पर 2 प्रतिशत की ब्याज सहायता के पात्र होंगे।
चीनी मिलों (कारखानों) के लिए उत्पादन सब्सिडी (सरकारी सहायता) हेतु फार्मूला (सूत्र)
सुर्ख़ियों में क्यों?
- आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने 2015 - 16 के लिए चीनी मिलों को दी जाने वाली उत्पादन सब्सिडी गणना के लिए एक नए फार्मूले को मंजूरी दे दी है।
- यह कदम वस्तुत: चीनी के उत्पादन और निर्यात में कमी आने के बाद उठाया गया है।
पृष्ठभूमि
- यह सब्सिडी इस शर्त पर घोषित की गई थी कि मिलें 40 लाख टन (एक नाप) के निर्यात कोटे और इथेनॉल सम्मिश्रण के लक्ष्य को पूरा करेंगी।
- पिछली सब्सिडी योजना को 19 मई 2016 से बंद कर दिया गया है।
इथेनॉल सम्मिश्रण क्या है?
- इथेनॉल सम्मिश्रण वस्तुत: पेट्रोलियम के साथ इथेनॉल का सम्मिश्रण है।
- वाहनों दव्ारा उत्सर्जित प्रदूषण को कम करने के लिए ऐसा किया जाता है। इसके अलावा यह कच्चे पेट्रोलियम के आयात बोझ को भी कम करता है।
- भारत में वर्ष 2001 में ही इसका आरंभ कर दिया गया था।
- इथेनॉल चीनी उद्योग के उप-उत्पादों में से एक है। यही कारण है कि चीनी मिलों दव्ारा इसकी आपूर्ति की जाती है।
इसके बारे में
- उत्पादन सब्सिडी (सरकारी सहायता) की गणना के लिए निर्यात कोटे और इथेनॉल सम्मिश्रण के लक्ष्य में संशोधन किया गया है।
- प्रारंभ में, प्रत्येक टन ‘गन्ने की अनुमानित पेराई’ के लिए 15.70 किलोग्राम चीनी को निर्यात कोटा लक्ष्य के तहत रखा गया था; किन्तु अब इसे प्रत्येक टन ‘गन्ने की वास्तविक पेराई’ हेतु 15.70 किलोग्राम कर दिया गया है।
- एथेनॉल आपूर्ति के लक्ष्य को संशोधित किया जाएगा, तथा इसे मिलों दव्ारा तेल विपणन कंपनियों (संघो) को (OMCs) को की जाने वाली आपूर्ति की वास्तविक मात्रा तक लाया जाएगा।
- उक्त संशोधन के प्रभाव में आने से चीनी मिलों को दी जाने वाली उत्पादन सब्सिडी पहले के अनुमानित 1,147.5 करोड़ रुपये से घटकर 600 करोड़ रुपये हो जाएगी।