इंडियन (भारतीय) वेर्स्टन (पश्चिमी) फिलोसोपी (दर्शन) (Indian Western Philosophy) Part 11for Competitive Exams
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तुलना | |
वेंथम | मिल |
सिर्फ मात्रात्मक भेद | मात्रात्मक और गुणात्मक भेद |
नित्कृष्ठ उपयोगितावाद | उत्कृष्ठ उपयोगितावाद |
4 बाध्य नैतिक आदेश | 4 आतंरिक नैतिक आदेश |
योग्य निर्णायकों को कोई विशेष भूमिका नही दी गयी। | सुखों की उत्कृष्टता या नित्कृष्टता का फैसला योग्य निणार्यकों पर छोड़ा गया है। |
सुखों में मूल्यांकन के संदर्भ में मनुष्य को विशेष गरिमा नहीं दी गयी है। | सुखों के मूल्यांकन की चर्चा में मनुष्य को विशेष तौर पर आधार बनाया गया है। (असंतुष्ट मनुष्य, संतुष्ट सुअर से बेहतर) |
व्यक्तिगत सुखों और सामूहिक सुखों का संबंध जोड़ने के लिए कोई युक्ति नही दी गयी। | व्यक्तिगत सुखों से सामूहिक सुखों का संबंध जुड़ता है इसके लिए विशेष युक्ति दी गयी है उसमें संग्रह दोष है। प्रत्येक व्यक्ति का सुख ओर लिये शुभ है अत: सामान्य व्यक्तियों के समुच्चय के लिए शुभ। |
समानता- (वैथम-मिल)
- परार्थवाद या उपयोगिता वाद का समर्थन।
- सुख जीवन का चरम लक्ष्य है, स्वत: साहस शुभ है।
- अधिकतम व्यक्तियों के अधिकतम शुभ का सिद्धांत।
- दोनों अपने सुखवाद को आधार बनाकर नैतिक सुखवाद की ओर बढ़े है।
- दोनों ने अपने सुख से ज्यादा महत्व सामाजिक सुख को दिया है।
- 4 बाध्य नैतिक आदेश या दबाव दोनों ने माने है।
- दोनों मानते है कि अधिकतम व्यक्तियों के सुख की गणना करते समय प्रत्येक व्यक्ति का मूल्य = होना चाहिए।
- अधिकतम व्यक्तियों अधिकतम सुख के गणना के लिए प्रत्येक व्यक्ति को माना है। (वेंथम का भाग है)