इंडियन (भारतीय) वेर्स्टन (पश्चिमी) फिलोसोपी (दर्शन) (Indian Western Philosophy) Part 14 for NET, IAS, State-SET (KSET, WBSET, MPSET, etc.), GATE, CUET, Olympiads etc.
Glide to success with Doorsteptutor material for CTET-Hindi/Paper-1 : get questions, notes, tests, video lectures and more- for all subjects of CTET-Hindi/Paper-1.
act of importancy
एक्ट (अधिनियम) उपयोगितावाद | |
सीमित | सार्वभौमिक |
उपयोगिता का निर्धारण किसी विशेष समुदाय के हित के आधार पर होता है। | संपूर्ण मानव समुदाय के आधार पर उपयोगिता का निर्धारण |
उदाहरण- भारत का हित, यू. एस. ए का हित आदि |
rule of upyogitavad
रूल (नियम) ऑफ (के) उपयोगितावाद | |
सीमित | सार्वभौमिक |
विशेष समुदाय के आधार | संपूर्ण मानव सेवा के आधार पर |
अधिकांश उपयोगितावादियों में परिणामनिरपेक्षवाद या कर्तव्यवाद का विरोध किया है।
upyogitavad ka vargikaran
उपयोगितावाद का वर्गीकरण | |||||||
समता मूलक उपयोगितावाद | आदर्शवादी मूलक उपयोगितावाद | एक्ट (अधिनियम) कर्म संबंधी उपयोगिता वाद | नियम संबंधी उपयोगिता वाद | निकृष्ट उपयोगितावाद | उत्कृष्ट उपयोगितावाद | ||
मिल सिजविक समर्थक है कि उपयोगिता का आधार सुख है | इनकी उपयोगिता की धारणा कुछ व्यापक है उसमें सुख तो शामिल है ही किन्तु सुख के अलावा अन्य आधार भी हो सकते है। जैसे, ज्ञान, सत्य सदवित रुक्ष्म्ग्।डऋछ।डम्दव्र्ुरुक्ष्म्ग्।डऋछ।डम्दव्रुरू गुण और चारित्रिक श्रेष्ठता को सुख की तरह स्वत: शुभ माना जा सकता है। (हेसिअग रेरडेल) (जी. ई मूर) | इसके अंतर्गत कर्म विशेष के संबंध में तय किया जाता है कि वह समाज के लिए उपयोगी है या नहीं। | इसमें विशेष कृत्यों पर नहीं बल्कि नियमों की उपयोगिता पर बल दिया जाता है यदि नियम अधिकतम व्यक्तियों के अधिकतम सुख में सहायक है तो इसके अनुसार प्रत्येक स्थिति में उसका उपयोग किया जाना चाहिए। एक अर्थ में यह तकनीकी के अंदर डीकोन्टेलॉजी (धर्मशास्त्र) के गुण शामिल करने की कोशिश है। | वेंथम | मिल | ||
सुखों में गुणात्मक भेद नहीं | सुखों में गुणात्मक भेद |
व्यक्ति को सुखों की तलाश बुद्धि की प्रेरणा से बढ़ती इंद्रियों की प्रेरणा के अनुसार नहीं मिलती हैं।
कोशिश करनी चाहिए कि व्यक्ति सुख और दुख से उदासीन हो जाए। यह विचार कुछ-कुछ गीता में स्थित प्रश्न जैसा है।
upyogitavad
उपयोगितावाद | ||
उपयोगिता का अर्थ | उपयोगिता नीतिशास्त्र का एक आधुनिक सिद्धांत जो मुख्यत: 10वीं तथा 19वीं सदी में विकसित 10वीं सदी में शेफरसनरी और बटलर, तथा 19वी सदी में ं वेंथम, मिल, सिजविक इसके प्रमुख समर्थक माने जाते हैं। उपयोगितावाद के सभी समर्थिक मानते हैं कि वही कर्म शुभ जो व्यक्ति विशेष के हित में न होकर, व्यापक सामाजिक हितसिर्फ की पुष्टि करता है, सबसे शुभ वह कार्य है जो संपूर्ण समाज के हित में हो, यदि यह संभव नही है तो वह कार्य शुभ है जो अधिकतम व्यक्तियों के अधिकतम सुख को साधने में रहा। | क्या है। |
व्यक्तिगत नहीं सामाजिक यूनिवर्सल (सार्वभौमिक) संदर्भ में | उपयोगितावाद में शुभ की मूल परिभाषा किसी वस्तु के कार्य की उपयोगिता से तय होता है, जो समाज के लिए उपयोगी है वह शुभ है आम तौर पर उपयोगी वही है जो समाज को सुख प्रदान करता है। इसलिए अधिकांश उपयोगितावाद सुखवादी भी है किन्तु अगर कोई यह माने कि सुख के अलावा कोई अन्य वस्तु है जो समाज के लिए उपयोगी है तो उपयोगितावाद सुखवाद से पृथक भी हो सकता है जैसे- हेस्टिंग्स रेरडेल का उपयोगितावाद इसी प्रकार का है। | सुखवाद का एक प्रकार है पर अनिवार्य नहीं। |
उपयोगितावाद एक परिणाम सापेक्षवादी (teleological) विचार धारा और इसके सभी समर्थक मानते है कि किसी कार्य के शुभ या अशुभ होते हैं। |