शैलेश नायक समिति की रिपोर्ट (Shailesh Nayak Committee Report – Environment)

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• तटीय नियमन क्षेत्र, 2011 (कोस्टल रेगुलेशन ज़ोन-सीआरजेड) से संबंधित मुद्दों की समीक्षा करने के लिए बनी समिति की रिपोर्ट जनवरी 2015 में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को सौंप दी गई।

• पिछले महीने सूचना आयुक्त दव्ारा मंत्रालय सूचना के अधिकार अधिनियम (आरटीआई) , के तहत रिपोर्ट देने से इनकार नहीं कर सकता, इसके बाद रिपोर्ट को जारी किया गया।

रिपोर्ट की मुख्य विशेषताएं

• समिति ने पाया है कि 2011 के नियमों ने, विशेष रूप से निर्माण से संबंधित आवास, झुग्गी पुनर्विकास, र्जीण संरचनाओं और अन्य खतरनाक इमारतों के पुनर्विकास को प्रभावित किया है।

• जनवरी 2015 से, इस रिपोर्ट से संदर्भित कई कमियां सामने आयीं जैसे:

• सीआरजेड-6 जोन में स्मारकों/समाधियों के निर्माण की अनुमति देना (गुजरात में सरदार पटेल की प्रतिमा)

• सीआरजेड-2 ज़ोन में उच्च ज्वार लाइन (रेखा) के 500 मीटर (लंबाई की इकाई) के अंदर गगनचुंबी इमारतों (चेन्नई) को अनुमति देने का प्रस्ताव;

• बंदरगाहों, सड़कों, घाटों पोताश्रयों और इस तरह की अन्य सुविधाओं के लिए समुद्र से भूमि की पुन: प्राप्ति (मुंबई) की अनुमति देने का प्रस्ताव।

• रिपोर्ट में कई राज्यों की मांग के आधार पर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों के साथ-साथ स्थानीय अधिकारियों को शक्तियों के हस्तांतरण का प्रस्ताव है।

• रिपोर्ट यह भी प्रस्तावित करती है कि सीआरजेड-2 और सीआरजेड-3 दोनों ज़ोन (उच्च ज्वार लाइन से 500 मीटर की दूरी पर जो कि क्रमश: विकसित और अपेक्षाकृत अबाधित है) राज्य या केंद्रिय मंत्रालयों के पर्यावरण विभागों के तहत नहीं आने चाहिए, और इसके बजाय इन्हें राज्य के शहर और योजना विभागों के नियमों दव्ारा निर्देशित किया जाना चाहिए?

• यह “गैर विकास जोन” के लिए “घनी आबादी वाले” क्षेत्रों से मौजूदा 200 मीटर की दूरी को कम करके केवल 50 मीटर की दूरी करने का प्रस्ताव करती है।