शैक्षणिक संस्थानों का अत्पसंख्यक दर्जा (Inferiority Status of Educational Institutions-Act Arrangement of the Governance)

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सुर्ख़ियों में क्यों?

• हाल ही में, केंद्र सरकार ने अपनी पूर्ववर्ती सरकार के निर्णय को बदलते हुए अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय या जामिया मिलिया इस्लामिया के अल्पसंख्यक दर्जे को समर्थन नहीं देने का फैसला किया।

अल्संख्यक संस्थान का मुद्दा

• हालांकि देश में बड़ी संख्या में अल्संख्यक संस्थान अस्तित्व में हैं, फिर भी अल्संख्यक होती है अत: यह व्यवस्था राज्य दव्ारा की जाती है।

• किसी विश्वविद्यालय को निगमित करने के लिए एक विधान की आवश्यकता होती है अत: यह व्यवस्था राज्य दव्ारा की जाती हैं

• विश्वविद्यालयों को अल्पसंख्यक दर्जा दिए जाने का विरोध करने वालों का मानना है कि चूँकि, विश्वविद्यालयों की स्थापना विधि के दव्ारा की जाती है, अल्पसंख्यकों के दव्ारा नहीं, इसलिए यह अल्पसंख्यक संस्थान नहीं हो सकते हैं।

• किन्तु इस मत के समर्थकों का तर्क है कि स्थापना और निगमन दोनों पृथक बातें हैं तथा चाहे इसकी स्थापना अल्पसंख्यकों दव्ारा की गयी हो या नहीं, किसी विश्वविद्यालय के निगमन के लिए विधि की आवश्यकता होती ही हैं।

सरकार का रूख

• सारी दलीलों को सुनने के बाद इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि यह अल्पसंख्यक संस्थान नहीं हैं। केंद्र का कहना था कि किसी संसदीय अधिनियमन या राज्य अधिनियमन के दव्ारा स्थापित एएमयू या किसी अन्य संस्थान को अल्पसंख्यक दर्जा प्रदान करना संविधान के अनुच्छेद-15 के विरुद्ध होगा क्योंकि अनुच्छेद-15 धर्म के आधार पर राज्य दव्ारा किए जाने वाले भेद-भाव का निषेध करता है।

• केंद्र का कहना था कि किसी संसदीय अधिनियमन या राज्य अधिनियमन के दव्ारा स्थापित एएमयू या किसी अन्य संस्थान को अल्पसंख्यक दर्जा प्रदान करना संविधान के अनुच्छेद-15 के विरुद्ध होगा क्योंकि अनुच्छेद-15 धर्म के आधार पर राज्य दव्ारा किए जाने वाले भेद-भाव का निषेध करता है

• केंद्र का यही भी कहना है कि एएमयू तथा जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालयों को अल्पसंख्यक दर्जा प्रदान करना असंवैधानिक एवं गैर-कानूनी होगा क्योंकि सरकार दव्ारा संचालित ये दोनों संस्थाएं अल्पसंख्यक टैग का प्रयोग कर अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों तथा अन्य पिछड़े वर्गों के साथ भेद-भाव कर रही थीं।

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 30

अल्पसंख्यकों शैक्षणिक संस्थाओं को स्थापित करने तथा प्रबंधित करने का अधिकार।

अल्पसंख्यकों शैक्षणिक संस्थाओं हेतु राष्ट्रीय आयोग (एनसीएमईआई)

• अल्पसंख्यकों शैक्षणिक संस्थानों हेतु राष्ट्रीय आयोग की स्थापना 2005 में हुई थी।

• यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 30 में प्रतिभूत अल्पसंख्यकों दव्ारा शैक्षिक संस्थानों की स्थापना तथा संचालन के उनके अधिकार को सुनिश्चित करता है।

• भाषाई अल्पसंख्यक एनसीएमईआई अधिनियम के दायरे के बाहर होते हैं।

• यह आयोग एक अर्द्धन्यायिक निकाय है तथा इसे सिविल (नगर) न्यायालय की शक्तियों प्रदान की गयी हैं।

• इसकी अध्यक्षता ऐसे सभापति दव्ारा की जाती है जो दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश रहे हों तथा दो अन्य लोगों को केंद्र सरकार दव्ारा सदस्य नामित किया जाता है।

• आयोग की तीन भूमिकाएं हैं- निर्णयकारी भूमिका, परामर्शक भूमिका तथा अनुशंसात्मक शक्तियां।