भू-स्थानिक जानकारी नियमन विधेयक 2016 का मसौदा (Draft of Geospatial Information Regulation Bill, 2016 – Science and Technology)
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मसौदा भू-स्थानिक सूचना विधेयक में भारत की भू-स्थानिक जानकारी के बारे में कानूनी रूप से बाध्यकारी नियमों का एक ढांचा लाने की योजना है।
विधेयक की आवश्यकता
• बढ़ते उपयोग और उपयोगकर्ताओं की बढ़ती हुई संख्या के मद्देनजर विकसित होते हुए भू-स्थानिक क्षेत्रक का नियमन करना।
• व्यक्तियों और कंपनियों को नक्शे पर भारत की क्षेत्रीय अखंडता का गलत प्रदर्शन करने से रोकने के लिए और संवेदनशील प्रतिष्ठानों की अवस्थिति और अन्य भू-सूचनाओं के अनावश्यक प्रसार को रोकने के लिए
• यह सुनिश्चित करना कि जम्मू-कश्मीर या अरुणाचल प्रदेश का कोई हिस्सा विवादित क्षेत्र के रूप में ना दिखाया गया हो।
विधेयक के महत्वपूर्ण प्रावधान
भू-स्थानिक जानकारी का क्या मतलब है?
• अंतरिक्ष या आकाशीय माध्यमों यथा उपग्रह, विमान, वायुयान, बलून, यूएवी दव्ारा किया गया भू-स्थानिक चित्रण या डिजिटल (अँगुली संबंधी) डाटा (कंम्यूटर में संग्रहीत तथ्य सामग्री) ।
• प्राकृतिक या मानव निर्मित भौतिक आकृतियों, घटनाओं या पृथ्वी की सीमाओं का आरेखीय या डिजिटल चित्रण
• सर्वेक्षण, चार्ट, नक्शें, निर्देशांकों और विशेषताओं सहित स्थलीय फोटों (छायाचित्र) को संदर्भित करने वाली कोई भी संबंधित जानकारी;
अनुमित अनिवार्य
• किसी भू-स्थानिक जानकारी के वितरण करने, अर्जित करने प्रसार करने या प्रकाशन करने से पहले सुरक्षा पुनरीक्षण प्राधिकरण से अनुमित प्राप्त करना अनिवार्य हो जाएगा।
• सुरक्षा पुनरीक्षण प्राधिकरण: यह प्राधिकरण जो संगठन/व्यक्ति, सुरक्षा पुनरीक्षण प्राधिकरण डेटा (कंम्यूटर में संग्रहीत तथ्य सामग्री) का उपयोग करना चाहते हैं उन्हें लाइसेंस (अनुमति) प्रदान करेगा। यह “राष्ट्रीय सुरक्षा, संप्रभुता, भयमुक्ता और अखंडता की रक्षा करने के एकमात्र उद्देश्य के साथ” सामग्री और उपलब्ध कराए गए आंकड़ों की जांच करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि ये राष्ट्रीय नीतियों के अनुरूप हैं।
यह किसे प्रभावित करेगा?
• हर व्यक्ति, हर व्यवसायिक संगठन जो एक प्रमुख विशेषता के रूप में भू-स्थानिक जानकारी का उपयोग करता है। जैसे: गूगल, फेसबुक, ओला।
उल्लंघन की दशा में जुर्माना
• भारत की भू-स्थानिक जानकारी के अवैध संकलन के लिए -1 करोड़ रुपये से लेकर 100 करोड़ रुपये तक का जुर्माना और/या सात वर्ष तक की अवधि के लिए करावास।
• भू-स्थानिक जानकारी के अवैध प्रसार या वितरण के लिए -10 लाख रुपए से लेकर 100 करोड़ रुपये तक का जुर्माना और/या सात वर्ष तक की अवधि के लिए करावास।
• भारत के बाहर भारत के भू-स्थानिक जानकारी का प्रयोग करने पर- 1 करोड़ रुपये से लेकर 100 करोड़ रुपये तक का जुर्माना और/या सात वर्ष तक की अवधि के लिए करावास।
पाकिस्तान की आपत्ति
• पाकिस्तान की आपत्ति जताई है कि भारत के आधिकारिक मानचित्र में जम्मू-कश्मीर के विवादित क्षेत्र को भारत के हिस्से के रूप में चित्रण किया गया है। जो कि तथ्यात्मक रूप से गलत और कानूनी रूप से अस्थिर है।
• भारत ने विधेयक के मसौदे पर पाकिस्तान की आपत्तियों को यह कहते हुए “दृढ़ता” से खारिज कर दिया कि इस्लामाबाद को भारत की एक आतंंरिक “विधायी मुद्दे” पर आपत्ति करने का कोई अधिकार नहीं है।
विधेयक के मसौदे की चिंताएं
• प्रस्तावित भू-स्थानिक नियमन विधेयक, नवाचार पारितंत्र के लिए खतरा पैदा कर सकता है।
• यह प्रतिबंध नए एप्प डेवलपर्स (निर्माणकर्ता) पर लागू होगा, जबकि देश के बाहर लोगों पर ऐसी कोई बाध्यता नहीं होगी।
• वर्तमान स्थिति में ऐसे हर व्यक्ति/व्यवसाय को लाइसेंस प्राप्त करने की आवश्यकता है, जोकि भू-स्थानिक जानकारी को एकत्र करे या प्रकाशित करे। यह व्यक्तिगत डेवलपर्स को सबसे ज्यादा प्रभावित करेगा।
• बिल के दायरे का सामना करने में छोटे व्यवसायों को वास्तव में मुश्किल आएगी। यह एक उपग्रह चित्र कंपनी से लेकर एक सेवाप्रदाता स्टार्ट -अप तक किसी को भी शामिल करता हैं।
• स्थानिक जानकारी के उपयोगकर्ताओं के लिए सुरक्षा पुनरीक्षण प्राधिकरण से अनुमति प्राप्त करने से मुश्किल हो सकती है।
• यह बिल कुछ परियोजनाओं जैसे स्मार्ट सिटी के प्रतिकूल है जो कि सुचारू संचालन के लिए भू-स्थानिक जानकारी का दोहन करने की योजना बना रही है।
• बड़ी कंपनियों के पास सुरक्षा पुनरीक्षण की जांच से गुजरने के लिए पैसा है, लेकिन नयी कंपनियों को इसमें मुश्किल आ सकती है।