Science and Technology: Obesity and Policies and Programmes on Health

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स्वास्थ्य (Health)

विभिन्न बीमारियाँ (Various Diseases)

मोटापा (Obesity)

  • यह एक ऐसी शारीरिक स्थिति है जबकि शरीर में अत्यधिक मात्रा में वसा जमा होने लगता है। इसका स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव पड़ता है। जीवन गुणवत्ता में कमी आती है। व्यक्ति के शारीरिक द्रव्यमान सूचकांक (Body Mass Index: BMI) के आधार पर उसमें मोटापे की गणना की जाती है। इस गणना में व्यक्ति के भार (किलोग्राम में) को व्यक्ति की ऊँचाई (मीटर में) के वर्ग से विभाजित किया जाता है। यदि यह सूचकांक 30 क्रि. ग्रा/मीटर से अधिक हो तब यह मोटापा की स्थिति होती है।
  • प्राय: देखा गया है कि मोटापे के कारण कई हानिकारक बीमारियाँ जैसे हृदय रोग, टाईप 2 मधुमेह, कैंसर, ऑर्थराइटिस हो सकती है।
  • उपचार (Treatment) : मोटापे पर नियंत्रण लाने के लिए डाइटिंग (Dieting) और शारीरिक व्यायाम उपयुक्त सहज उपचार है। इस पर नियंत्रण के लिए अधिक ऊर्जा या वसा युक्त खाद्य पदार्थों के सेवन से परहेज को प्राथमिकता दी गयी है।

स्वास्थ्य नीतियाँ एवं कार्यक्रम (Policies and Programmes on Health)

भोर समिति (Bhore Committee)

भारत की स्वतंत्रता से कुछ ही वर्ष पूर्व 1943 में भारत की लोक स्वास्थ्य व्यवस्था की प्रगति एवं इसकी जाँच के आलोक में सर जोसेफ भोर की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई। इस समिति को स्वास्थ्य सर्वेक्षण और विकास समिति भी कहा गया। समिति ने निम्नलिखित सुझाव दिए:

  • सभी प्रशासनिक स्तरों पर रोकथाम और उपचारात्मक सेवाओं का एकीकरण करना।
  • 40,000 की जनसंख्या पर एक लघु आवधिक प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र की व्यवस्था करना।
  • प्रत्येक 10,000 - 20,000 की जनसंख्या पर 75 बिस्तरों वाला दीर्घावधिक प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र की व्यवस्था करना।
  • ग्रामीण स्वास्थ्य समिति गठित करना।
  • एक लोक चिकित्सक की व्यवस्था करना।

परन्तु उस दौरान इस समिति के उपरोक्त अधिकांश सुझावों का समुचित क्रियान्वयन नहीं किया जा सका।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति (National Health Policy)

  • भारत की स्वतंत्रता के लगभग 35 वर्ष बाद वर्ष 1983 में प्रथम राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति बनी। इस नीति का प्रमुख लक्ष्य सार्वभौमिक, समग्र और प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करना था। नीति में निजी और स्वैच्छिक संगठनों की भूमिका पर बल दिया गया था।
  • इस नीति के मिश्रित प्रभाव दिखे। नीति के क्रियान्वयन के दौरान उठाए गए कुछ कदम भलीभूत हुए तो कुछ निष्प्रभावी रहे। बाद में वर्ष 2002 में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने नवीन स्वास्थ्य नीति बनाई। इस नीति के निम्नलिखित लक्ष्य रखे गए। सबको समान स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना, सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था के विकेन्द्रीकरण की पहुँच बढ़ाना। राष्ट्रीय कार्यक्रमों को राज्य स्तर से विकेन्द्रीकृत सार्वजनिक स्वास्थ्य तंत्र और राज्य व जिला स्तर के स्वायत्त निकायों दव्ारा क्रियान्वित करना। टेली मेडिसिन एवं स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र में सूचना प्रौद्येगिकी पर बल। गैर सरकारी संगठनों और सिविल सोसायटी संस्थाओं दव्ारा लोक स्वास्थ्य सेवाओं का प्रबंधन किया जाना। विद्यालय स्वास्थ्य कार्यक्रमों की प्राथमिकता देना। मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं के विकेन्द्रीकृत नेटवर्क की स्थापना करना।

राष्ट्रीय जनसंख्या नीति 2000 (National Population Policy 2000)

  • परिवार नियोजन, मानव संसाधन युक्त स्वास्थ्य देखभाल अवसरंचना का विकास, अंतरक्षेत्रीय रणनीतियों के क्रियान्वयन का सुनिश्चितीकरण तथा 2045 तक जनसंख्या में स्थायीत्व लाने जैसे महत्वपूर्ण उद्देश्यों सहित इस नीति का क्रियान्वयन किया गया।
  • इस नीति में जनसंख्या में स्थायित्व लाने पर विशेष बल दिया गया है। इसके लिए ग्रामीण स्तर पर आधारभूत स्वास्थ्य देखभाल, परिवार नियोजन, माता-शिशु स्वास्थ्य सेवाओं, स्वास्थ्य और पोषण सेवाओं के लिए महिला सशक्तिकरण और परिवार नियोजन के लिए पुरुष भागीदारिता को प्रोत्साहन देने संबंधी गतिविधियों पर समग्र अध्ययन किया गया।

इस नीति में निम्नलिखित बिन्दुओं को भी रेखांकित किया गया:-

  • कुल प्रजनन दर को वर्ष 2010 तक प्रतिस्थापना स्तर पर लाना।
  • शिशु मृत्यु दर को कम कर 30 प्रति हजार जीवित जन्मों तक सीमित रखने का लक्ष्य।
  • मातृ मृत्यु दर को कम कर 100 प्रति 100.000 जीवित जन्म तक सीमित करने का लक्ष्य।
  • संक्रामक रोगों की रोकथाम के लिए सार्वभौमिक टीकाकरण सुनिश्चित करना।
  • लड़कियों के विवाह में विलंब को प्रोत्साहन।

राष्ट्रीय जनसंख्या आयोग (National Population Commission)

यह आयोग भारत सरकार के अंतर्गत कार्यरत है। आयोग के अध्यक्ष प्रधानमंत्री और योजना आयोग के उपाध्यक्ष इसके भी उपाध्यक्ष है। सभी राज्यों के मुख्यमंत्री, केन्द्रीय मंत्रालयों के मंत्री, विभागीय सचिव, प्रख्यात चिकित्सक, जनाकिंकीय परीक्षक और सिविल सोसायटी के प्रतिनिधि इस आयोग के सदस्य होते हैं।

स्वास्थ्य में मानव संसाधन का राष्ट्रीय परिषद् (The National Council for Human Resource in Health in India)

  • यह परिषद् स्वास्थ्य शिक्षा को विनियमित करने पर केन्द्रित है। इस परिषद संबंद्ध विधेयक के अंतिम प्रारूप के अनुसार राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड, 1860 का विघटनकर स्वास्थ्य शिक्षा पर राष्ट्रीय बोर्ड (National Board for Health Education) का गठन करने का प्रावधान किया गया है।
  • इस परिषद में 15 सदस्यों की व्यवस्था की गई है। परिषद के एक अध्यक्ष दो पूर्ण कालिक सदस्य और 4 अंश कालिक सदस्य होंगे।
  • परिषद देश में स्वास्थ्य क्षेत्र में कौशल युक्त कार्मिक के विकास पर बल देगा। यह संगठन एक स्वायत्त निकाय के रूप में कार्य करेगा।
  • इस परिषद के गठन से व्यापक स्तर पर पारदर्शिता स्थापित की जा सकेगी, अवैधानिक भ्रष्ट नामांकन गतिविधियों पर रोक लगेगी। इस परिषद के सौजन्य से वर्ष 2011 से एक समान एमबीबीएस प्रवेश परीक्षा का प्रावधान किया गया है।

औषधीय नीति (Pharmaceutical Policy)

  • दवा और औषधि क्षेत्र में आधारभूत लक्ष्य प्राप्त करने की नीति दवा नीति 1986 के तहत प्रारंभ की गयी थी। परन्तु 1990 के दशक में उदारीकृत अर्थव्यवस्था का प्रभाव भारत की औषधीय नीति पर भी पड़ा। 1994 में इन्हीं परिवर्तनीय स्थितियों के मद्देनजर नई दवा नीति अपनायी गयी।
  • इस नीति में औषधी उद्योग को प्रोत्साहित करने तथा इसे अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा के अनुकूल लाने पर विशेष बल दिया गया। इस नीति में अनुसंधान और विकास को रेखांकित किया गया। इस क्षेत्र में निवेश प्रोत्साहित करने के लिए संरचना निर्माण किये जाने की पहल हुई। दवा और औषधि उत्पादन एवं वितरण में गुणवत्ता नियंत्रण को सुदृढ़ करने पर सहमति बनी।
  • बहरहाल, भारत की नवीन औषधी नीति में सुधार लाने की आवश्यकता है। इस नीति से अपेक्षा है कि देश में बेची जाने वाली न्यूनतम 400 आवश्यक दवाओं या दवाओं के 60 प्रतिशत हिस्से को सरकार की मूल्य नियंत्रण नीति के अंतर्गत लाया जाए।
  • वर्तमान में सरकार मात्र 34 आवश्यक दवाओं के मूल्यों का नियंत्रण करती है। इस नवीन नीति में NLEM-2011 (National List of Essential Medicine: 2011) के अंतर्गत दवाओं की दरों को प्राथमिकता दी गयी है।
  • NLEM-2011 में न्यूनतम 450 दवाओं की सूची है। नवीन नीति के तहत दवाओं के कुल वार्षिक टर्नओवर को नियंत्रित करने का विचार रखा गया है।
  • नवीन नीति के अनुसार NLEM-2011 में सूचीबद्ध 50 प्रतिशत दवाओं का उच्चतम मूल्य वर्तमान उच्चतम बाजार मूल्य के 0 - 5 प्रतिशत तक काम करके निर्धारित किया जाना है।
  • नवीन नीति का कार्यान्वयन प्राधिकरण राष्ट्रीय औषधी मूल्य प्राधिकरण (National Pharmaceutical Pricing Authority-NPPA) होगा।