Science and Technology: Water Softener and Ceramic, Solar Cooker
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दैनिक जीवन में विज्ञान (Science in Daily Life)
वाटर सॉफ्टनर (Water Softener)
सिरामिक (Ceramic)
- सिरामिक एक अकार्बनिक, अधात्विक ठोस पदार्थ होता है। इसका निर्माण ऊष्मीय तापन और साथ में शीतलन प्रक्रिया दव्ारा किया जाता है। रवेदार, आंशिक, रवेदार या रवाहीन पदार्थ भी सिरामिक हो सकते हैं।
- उल्लेखनीय है कि सबसे पहले मनुष्य निर्मित सिरामिक पदार्थ मिट्टी के बर्तन थे। इन्हें आग में पकाया जाता था। अब तो घरेलू, औद्योगिक, भवन उत्पादों तथा सिरामिक कला में सिरामिक पदार्थो का उपयोग किया जाता है। निर्माण विधि के अनुसार सिरामिक भी घीनभूत या हल्के होते हैं। वैद्युत सुचालक पदार्थों के निर्माण और विद्युत प्रवाह अवरोधक पदार्थों के निर्माण में भी सिरामिक का उपयोग किया जाता है। कुछ सिरामिक चुंबकीय गुणधर्मिता भी दर्शाते हैं।
- अधिकांश सिरामिक दो या अधिक तत्वों से निर्मित होते हैं। सिरामिक पदार्थों परमाणु रसायनिक बंध दव्ारा एक दूसरे से जुडे होते हैंं। सिरामिक पदार्थों में पाए जाने वाले दो प्रमुख रासायनिक बंध हैं- सहसंयोजी बंध और आयनिक बंध। धातुओं के लिए रासायनिक बंध धात्विक बंध कहलाते हैं। हालाँकि परमाणुओं के बीच सहसंयोजी और आयनिक बंध धात्विक बंध से अधिक मजबूत होते हें।
सामान्यत: अधिकांश सिरामिकों के निम्नलिखित गुण होते हैं-
- कठोर
- भंगुर
- तापीय कुचालक
- वैद्युत कुचालक
- गैर चुंबकीय निर्माण
- ऑक्सीकरण प्रतिरोधी
- रासायनिक रूप से स्थायी
विशिष्ट अनुपयोगों के आधार पर सिरामिक का वर्गीकरण निम्न प्रकार से किया जा सकता है-
- कांच (Glasses)
- मृतिका उत्पाद (Clay Products)
- अग्निरोधी (Refractories)
- सीमेंट (Cement)
अभियांत्रिकी अनुप्रयोगों के आधार पर सिरामिक का वर्गीकरण दो समूहों में किया गया है- पारंपरिक और अभियांत्रिकी सिरामिक। पारंपरिक सिरामिक मृदा, सिलिका और फेल्सपार से बने होते हें। जबकि अभियांत्रिकी सिरामिक विशुद्ध एल्यूमिनियम ऑक्साइड (AI2O3) , सिलिकन कार्बाइड (SiC) और सिलिकन नाइट्राइड (Si3N4) से निर्मित होते हें।
बोन चाइना (Bone China)
- बोन चाइना अस्थि भस्म (Bone Ash 50%) , चाइना क्ले (25%) तथा चाइना स्टोन (25%) से बना होता है। यह पोर्सीलेन का एक प्रकार होता है। इसमें काओलीन (Kaolin) , फेल्ड्स पैथिक पदार्थ तथा अस्थि भस्म का उपयोग किया जाता है। यह पारदर्शी प्रकति का होता है।
- बोन चाइना को 2300 से 2500 डिग्री फॉरेनहाइट तक तपाया जाता है। इंग्लिश बोन चाइना के उत्तम प्रकारों में 50 प्रतिशत से अधिक भाग का निर्माण परिशुद्ध अस्थि भस्म से होता है।
सोलर कुकर (Solar Cooker)
सोलर कुकर या सोलर ओवन एक ऐसा उपकरण है जो सीधे सौर्य प्रकाश का उपयोग करता है। सोलर कुकर सौर्य प्रकाश के जरिए प्राप्त ऊष्मा का उपयोग भोजन पकाने या इसे पाश्चरीकृत करने में करता है।
सामान्यत: सोलर कुकर में निम्नलिखित सिद्धांतों का प्रयोग किया जाता है-
- कुकर में लगा परावर्ती दर्पण (जोकि धातु या धात्विक फिल्म का बना होता है) सौर प्रकाश को संकेंद्रित करता है। यह भोजन पकाने वाले भाग में ऊष्मा एकत्रित कर उससे भोजन पकाने का कार्य करता है।
- सोलर कुकर में उपस्थित काले या कम परावर्ती सतह के प्रभाव से प्रकाश का ऊष्मा में शीघ्रता से परिवर्तित करने में मदद मिलती है। अवशोषित प्रकाश सूर्य के दृश्य प्रकाश को ऊष्मा में परिवर्तित करता है। इससे कूकर की क्षमता में बढ़ोतरी होती है।
- सोलर कुकर का एक भाग कुकर की बाहर की हवा को कुकर के अंदर आने से रोकता है। इसमें लगी प्लास्टिक की थैली या पूरी तरह से बंद कांच कवर कुकर के अंदर गर्म हवा को जकड़ (Trapped) लेती है।
- उल्लेखनीय है कि सूर्य दव्ारा उत्सर्जित वैद्युत चुम्बकीय किरणों में अधिक मात्रा में ऊर्जा होती है। जब ये किरणें ठोस या द्रव पदार्थ से टकराती है तो सौर ऊर्जा इन पदार्थों के अणुओं को कंपित करता है। इससे ऊष्मा की उत्पति होती है।
- बॉक्स कुकर सोलर कुकर का सामान्य प्रकार होता है। सांलर कुकर का एक अन्य प्रकार परावलयिक कुकर (Parabolic Cooker) होता है। इस कुकर की क्षमता 400 डिग्री फॉरनहाइट तक गर्म करने की होती है। इस ताप पर भोजन अच्छी तरह पकाया जा सकता है।
इन्डक्शन कुकिंग: (Indication Cooking)
- इन्डक्शन कुकिंग में खाना पकाने के बर्तन को सीधे इन्डक्शन हीटिंग के दव्ारा ऊष्मा प्रदान किया जाता है। इन्डक्शन कुकर के लगभग सभी मॉडल का निर्माण लौह चुम्बकीय धातु (Ferromagnetic Metal) से किया जाना आवश्यक होता है।
- इन्डक्शन कुकर में तांबे के तार की एक कुंडली कुकिंग पॉट के नीचे रखी जाती है। इस कुंडली के दव्ारा प्रत्यावर्ती धारा प्रवाहित की जाती है। इससे चुम्बकीय क्षेत्र की उत्पति होती है। इस चुम्बकीय क्षेत्र से पॉट में विद्युत धारा प्रेरित की जाती है। इस पॉट से प्रवाहित विद्युत धारा प्रतिरोधी ऊष्मा उत्पन्न करती है। यही ऊष्मा भोजन पकाने में सहायक होता है। जहाँ खाना बनाने की अन्य विधियों में लौ या लाल प्राप्त ऊष्मीय तत्वों का उपयोग किया जाता है वहीं इन्डक्शन हीटिंग केवल पॉट विशेष को ऊष्मा देता है।
- कुक पॉट की सतह केवल बर्तन के संपर्क से ही ऊष्मा प्राप्त कर लेती है अत: जलने की दुर्घटना की संभावना अन्य विधियों की अपेक्षा बहुत कम रहती है। इन्डक्शन कुकर का प्रेरक प्रभाव बर्तन के आस-पास के वायु को प्रत्यक्षत: गर्म नहीं करता है। इस कारण यह अधिक ऊर्जा प्रभावी होता है।
माइक्रोवेव ओवन (Microwave Oven)
- माइक्रोवेव ओवन एक किचेन उपकरण है। बोलचाल की भाषा में इसे माइक्रोवेव भी कहा जाता है। माइक्रोवेव अपने में निहित माइक्रोवेव स्पेक्ट्रम में विद्युत चुंबकीय विकिरण का आघात कर इसमें रखे गए भोजन को गर्म करता है। वस्तुत: चुंबकीय विकिरण के आघात से भोजन में विद्यमान अणु गति में आ जाते हैं और इस प्रकार तापीय ऊर्जा उत्पन्न करते हैं। माइक्रोवेव ओवन में भोजन तेजी से गर्म होता है क्योंकि भोज्य सामग्री के बाहर एक -समान तापमान बना रहता है।
- उल्लेखनीय है कि सर्वप्रथम पर्सी स्पेंसर ने माइक्रोवेव ओवन का आविष्कार किया था। सामान्यत: पहले से बने भोजन को फिर से गर्म करने तथा सब्जी पकाने में माइक्रोवेव ओवन का उपयोग किया जाता है।
- माइक्रोवेव भोजन से अनायनीकृत माइक्रोवेव विकिरण गुजारने का कार्य करता है। भोजन में विद्यमान, जल वसा और पदार्थ माइक्रोवेव विकिरण से ऊर्जा अवशोषित करते हैं। अनेक अणु (जैसे जल के अणु) विद्युत दव्ध्रुवीय होते हैं। अर्थात एक छोड़ पर वे आंशिक धनावेशिक होते हैं और दूसरे छोड़ पर आंशिक ऋणावेशित। अत: वे माइक्रोवेव्स के प्रत्यावर्ती विद्युत क्षेत्र के साथ स्वयं को जोड़ने का प्रयास करते हैं। गतिमान अणु दूसरे अणुओं को ऊष्मीत करते है और उन्हें भी गतिमान करते हैं। इस प्रकार एक अणु से दूसरे अणु में ऊर्जा वितरित होती है। ठोस एवं द्रवों में आण्विक कंपन के रूप में वितरित यह ऊर्जा ऊष्मा का रूप ले लेती है।
- एक माइक्रोवेव ओवन इलेक्ट्रिकल इनपुट का एक अंश ही माइक्रोवेव ऊर्जा के रूप में परिवर्तित करता है। औसतन ओवन 700 वाट माइक्रोवेव की शक्ति प्रदान करने के लिए 1100 वाट विद्युत का उपयोग करते हैं।