भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का विकास (Development of Indian National Movement) Part 13 for NET, IAS, State-SET (KSET, WBSET, MPSET, etc.), GATE, CUET, Olympiads etc.

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होमरूल आंदोलन ~NET, IAS, State-SET (KSET, WBSET, MPSET, etc.), GATE, CUET, Olympiads etc.: भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का विकास (Development of Indian National Movement) Part 13

इस आधार पर भारत में भी होमरूल आंदोलन चलाने का निश्चय किया गया। तिलक ने मांडले कारावास से छुटकर आने के बाद 1916 ई. में महाराष्ट्र में होमरूल लीग (संघ) की स्थापना की। तिलक ने होमरूल आंदोलन का प्रचार अपने समाचार-पत्र मराठा दव्ारा किया। इसी वर्ष एनी बेसेंट मद्रास में अखिल भारतीय होमरूल लीग की स्थापना की। शीघ्र ही यह आंदोलन सारे देश में फैल गया। बेसेंट का कहना था- ′ मैं भारत में ढोल बजाने का कार्य कर रही हूँ और सभी लोगों को जगा रही हूँ ताकि वे उठ बैठें और अपनी मातृभूमि के लिए कार्य कर सकें।

होमरूल का उद्देश्य जनता में स्वशासन की भावना का प्रचार करना था। इसकी कार्य पद्धति शांतिमय और अहिंसात्मक थी और इसमें सरकारी कानूनों को तोड़ने के लिए या उनका विरोध करने के लिए स्थान नहीं था। इस आंदोलन के उद्देश्य की व्यवस्था इस प्रकार की गई थी- राजनीतिक सुधारों में हमारा उद्देश्य ग्राम पंचायतों से जिलों और नगरपालिकाओं और प्रांतीय धारा सभाओं तक राष्ट्रीय संसद के रूप में स्वशासन की स्थापना करना है। इस राष्ट्रीय संसद के अधिकार स्वशासित उपनिवेशों की धारा सभाओं के समान ही होंगे।

इस आंदोलन का उद्देश्य भारतीय राजनीति को उग्रधारा की ओर जाने से रोकना भी था। बेसेंट उग्रवादियों और आतंकवादियों के गठबंधन को अवरुद्ध कर शांतिपूर्वक वैधानिक आंदोलन चलाना चाहती थी। जनता में स्वशासन प्राप्ति के लिए राजनीतिक चेतना उत्पन्न करने में इस आंदोलन को आश्चर्यजनक सफलता मिली। जवाहरलाल के कथनानुसार- होमरूल आंदोलन के परिणामस्वरूप देश के वातावरण में बिजली सी दौड़ गई और नवयुवक एक अजीब उत्साह तथा स्फूर्ति का अनुभव करने लगे।

सरकार ने इस आंदोलन का दमन प्रारंभ कर दिया तिलक को राजनीति क्रियाकलाप बंद करने का आदेश दिया गया। बेसेंट को नजरबंद कर दिया गया। तिलक के आंदोलन की धमकी के बाद श्रीमती बेसेंट को छोड़ दिया गया। उसी समय भारत सचिव ने एक महत्वपूर्ण घोषणा की जिसमें कहा गया कि भारतीयों को धीरे-धीरे उत्तरदायी शासन सौंपा जाएगा। इस घोषणा से होमरूल आंदोलन कुछ शिथिल पड़ गया। भारतीय राष्ट्रीयता के विकास में होमरूल आंदोलन का महत्वपूर्ण स्थान है। एक सांविधानिक एवं प्रचारात्मक आंदोलन होने के कारण भारतीय जनजीवन पर इसका गहरा असर पड़ा।

तिलक का योगदान ~NET, IAS, State-SET (KSET, WBSET, MPSET, etc.), GATE, CUET, Olympiads etc.: भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का विकास (Development of Indian National Movement) Part 13

भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के इतिहास में तिलक का विशिष्ट स्थान है। उग्र राष्ट्रीयता सर्वप्रथम महाराष्ट्र, आत्मबलिदान एवं आत्मनिर्भरता की भावना जागृत करने के उद्देश्य से लाठी क्लबों (मंडलों) , अखाड़ों और गोवध -विरोधी समितियों की स्थापना की। गणपति समारोह एवं शिवाजी उत्सव दव्ारा जनता में राजनीतिक एवं धार्मिक चेतना उत्पन्न की। कांग्रेस की नरमी और राजभक्ति की नीति में उनका विश्वास नहीं था। उन्हें उदारवादियों की खुशामद और भिक्षावृति राजनीति में विश्वास नहीं था। देशसेवा संबंधी कार्यों के कारण तिलक को तीन बार जेल की सजा दी गई। जेल में ही उन्होंने दो प्रसिद्ध ग्रंथरत्नों -द (यह) आर्कटिज होम (घर) ऑफ (के) द (यह) वेदाज और गीता रहस्य की रचना की, जो उनके व्यापक ज्ञान तथा उत्कृष्ट विचार के द्योतक हैं। उन्हें गांधी के असहयोग आंदोलन में विश्वास नहीं था फिर भी उन्होंने सहयोग का वचन दिया। उन्होंने ही सर्वप्रथम स्वराज्य का नारा दिया और कहा- ‘स्वराज्य हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है और हम उसे लेकर रहेंगे।’ तिलक ने ही सर्वप्रथम आंदोलन के तरीको -बहिष्कार, स्वदेशी वस्तुओं के प्रति अनुराग, राष्ट्रीय शिक्षा, जनप्रिय संयुक्त मोर्चा इत्यादि -की खोज की। गांधी के नेतृत्व में काग्रेस और जनता ने तिलक के ही स्वराज्य की रूपरेखा को मूर्तरूप प्रदान किया।