गाँधी युग (Gandhi Era) Part 22 for NET, IAS, State-SET (KSET, WBSET, MPSET, etc.), GATE, CUET, Olympiads etc.

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महात्मा गांधी का अनशन ~NET, IAS, State-SET (KSET, WBSET, MPSET, etc.), GATE, CUET, Olympiads etc.: गाँधी युग (Gandhi Era) Part 22

सरकार के अमानुषिक व्यवहार तथा जनता के हिंसात्मक कार्यो से महात्मा गांधी को हार्दिक क्लेश हुआ। उन्होंने 10 फरवरी, 1943 को 21 दिनों का अनशन शुरू किया। सरकार ने इसकी जिम्मेदारी अपने ऊपर नहीं ली। वायसराय की कार्यकारणी परिषदवित रुक्ष्म्ग्।डऋछ।डम्दव्र्‌ुरुक्ष्म्ग्।डऋछ।डम्दव्रुरू के कई सदस्यों ने त्यागपत्र दे दिया और सरकार से अपील की कि वह गांधी जी को जेल से मुक्त कर दे। परन्तु, इसका परिणाम कुछ नहीं निकला। 2 मार्च, 1943 को महात्माजी का अनशन सकुशल समाप्त हुआ। अप्रैल, 1944 में गांधी जी बीमार पड़ गए और सरकार ने विवश होकर 6 मई, 1944 को गांधी जी को जेल से छोड़ दिया।

राजाजी फार्मूला ~NET, IAS, State-SET (KSET, WBSET, MPSET, etc.), GATE, CUET, Olympiads etc.: गाँधी युग (Gandhi Era) Part 22

राजगोपलाचारी ने जो योजना बनाई, उसके अनुसार मुस्लिम लीग को भारत की स्वतंत्रता की मांग का समर्थन करना था तथा अंतरिम सरकार में कांग्रेस के साथ सहयोग करना था। युद्ध-समाप्ति के पश्चातवित रुक्ष्म्ग्।डऋछ।डम्दव्र्‌ुरुक्ष्म्ग्।डऋछ।डम्दव्रुरू भारत के उत्तर-पश्चिम एवं उत्तर -पूर्व के उन क्षेत्रों में जहाँ मुसलमान बहुसंख्यक थे, एक आयोग दव्ारा इन इलाकों को स्पष्ट करना था। इन इलाकों में जनमत संग्रह दव्ारा यह निश्चित होना था कि वे भारत में रहना चाहते हैं या उससे अलग होना। बँटवारें की स्थिति में प्रतिरक्षा, संचार, आवागमन एवं जनसंख्या का आदान-प्रदान एक समझौते दव्ारा तय किया जाएगा। परन्तु, ये सभी शर्ते तभी लागू हो सकती थीं जब अंग्रेज भारत को सत्ता का हस्तांतरण कर देंगे। राजाजी का यह फार्मूला कांग्रेस एवं मुस्लिम लीग किसी को भी मान्य नहीं हुआ।

देसाई-लियाकत योजना ~NET, IAS, State-SET (KSET, WBSET, MPSET, etc.), GATE, CUET, Olympiads etc.: गाँधी युग (Gandhi Era) Part 22

1945 में देसाई-लियाकत योजना के दव्ारा सांप्रदायिक गतिरोध को समाप्त करने का प्रयास किया गया। कांग्रेस पार्टी के भूलाभाई देसाई ने जो कांग्रेस विधायी दल के नेता थे, लियाकत अली खान के समक्ष एक प्रारूप रखा। लियाकत अली खान केन्द्रीय विधायी दल में मुस्लिम लीग के उपनेता थे। इसमें निम्न बातें कही गयी थी-

  • केन्द्र में एक अंतरिम सरकार का गठन। इस अंतरिम सरकार में कांग्रेस एवं लीग के सदस्य की संख्या बराबर-बराबर होगी। दोनों दल केन्द्रीय विधानमंडल में इनका मनोनयन करेंगे।
  • अल्पसंख्यकों के प्रतिनिधियों एवं एक कमान्डर (प्रधान सेनापति) इन-चीफ (मुखिया) को शामिल किया जाना था।
  • सरकार वर्तमान गवर्नमेंट (सरकार) ऑफ (के) इंडिया (भारत) एक्ट (अधिनियम) के अनुसार कार्य करेगी एवं प्रांतीय सरकारों का गठन संविद सरकार के रूप में होगा।

इस पर भी कांग्रेस एवं लीग के बीच कोई समझौता नहीं हो सका। लियाकत अली को इसे नकारने के लिए बाध्य होना पड़ा। असल में, कांग्रेस और लीग को समान महत्व देने के प्रस्ताव के दूरगामी परिणाम हुए।