गाँधी युग (Gandhi Era) Part 27 for NET, IAS, State-SET (KSET, WBSET, MPSET, etc.), GATE, CUET, Olympiads etc.
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प्रमुख विचार ~NET, IAS, State-SET (KSET, WBSET, MPSET, etc.), GATE, CUET, Olympiads etc.: गाँधी युग (Gandhi Era) Part 27
- अधिकारिक एकजुट बंगाल अपने आप में शक्ति है। बंगाल अगर विभाजित हो तो सभी भागों की दिशाएं अलग-अलग होंगी।
-रिसले
- जब तक विद्यालयों और महाविद्यालयों में इतिहास की पाठयपुस्तकों दव्ारा अत्यंत विकृत इतिहास पढ़ाया जाता है तब तक सांप्रदायिक सदभाव स्थायी रूप में स्थापित नहीं हो सकता था।
-गांधी
- वह समय आ गया है जब सम्मान के प्रतीक अपमान अपने बेमेल संदर्भ में हमारी शर्म को उजागर करते हैं और मैं, जहां तक मेरा सवाल है, सभी विशिष्ट उपाधियों से रहित होकर अपने उन देशवासियों के साथ खड़ा होना चाहता हूं जो अपनी तथाकथित क्षुद्रता के कारण मानव जीवन के अयोग्य अपमान को सहने के लिए बाध्य हो सकते हैं।
-टैगोर
- जिस समय जनता का उत्साह अपनी चरम सीमा को छूने वाला था, उस समय पीछे हट जाने का आदेश देना राष्ट्रीय अनर्थ से कम नहीं था।
-सुभाषचन्द्र बोस
- राजनीतिक और आर्थिक दृष्टि से भारत पहले जितना असहाय था, उससे कहीं अधिक उसे असहाय ब्रिटेन के साथ संबंध ने बना दिया है।
- गांधी
- भारत में संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक कि मुटवित रुक्ष्म्ग्।डऋछ।डम्दव्र्ुरुक्ष्म्ग्।डऋछ।डम्दव्रुरू ठी भर शोषक अपने स्वार्थों के लिए साधारण जनता की मेहनत का शोषण करते रहेंगे।
-भगतसिंह
- भारत में ब्रिटिश शासन ने इस देश को नैतिक, भौतिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विनाश के कगार तक पहुंचा दिया है। मैं इस शासन को एक अभिशाप मानता हूं।
-गांधी जी
- हमारा संघर्ष वास्तव में स्वाधीनता के एक और बड़े संघर्ष का भाग था, और जो शक्तियां हम प्रेरित कर रहे थे वे पूरी दुनिया में लाखों दूसरे लोगों को भी प्रेरित कर रही थीं तथा कार्यक्षेत्र में ला रही थीं। संकट की स्थिति में पूंजीवाद ने फासीवाद का रूप लिया।
-जवाहरलाल नेहरू
- भाग्य का चक्र किसी न किसी दिन अंग्रेज नीति को बाध्य करेगा कि वह अपने भारतीय साम्राज्स से हाथ धो ले।
-टैगोर
- अधिक से अधिक इससे पाखंड और देशद्रोह को बढ़ावा मिला है। कुछ लोगों को देशभक्ति के नाम से व्यापार करने का अवसर मिला।
-लाला लाजपतराय
- मैं अंग्रेजों का राजभक्त हूं क्योंकि मेरे लिए अंग्रेजी साम्राज्य के प्रति राजभक्ति वास्तव में अपने देश और उसके वासियों के प्रति राजभक्ति दोनों अभिन्न हैं। मैं अंग्रेजो के प्रति राजभक्त हूं क्योंकि मैं स्वशासन को प्यार करता हूं-
-बिपिनचन्द्र पाल
- हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हम देश की उन्नति के उस चरण पर हैं, जहां हमारी उपलब्धियां थोड़ी ही होगी और हमारी निराशाएं अधिक और कठोर।
-गोखले
- इंग्लैंड को भारतीय सरकार की नीति निमार्ण का अधिकार छोड़ देना चाहिए और एक विदेशी सरकार को जो कानून चाहे बना सकने का अथवा अपनी इच्छा से जैसा चाहे शासन करे, यह अधिकार त्याग देना चाहिए।
-बिपिनचन्द्र पाल
- राजनीतिक स्वतंत्रता, एक राष्ट्र का जीवन श्वास है। बिना राजनीतिक स्वतंत्रता के सामाजिक तथा शैक्षणिक सुधार, औद्योगिक प्रसार, एक जाति की नैतिक उन्नति इत्यादि की बात सोचना मूर्खता की चरम सीमा है।
-अरविन्द घोष
- जैसे दास की आत्मा नहीं होती उसी प्रकार दास जाति की कोई आत्मा नहीं होती और आत्मा के बिना मनुष्य केवल एक पशु है। इसलिए एक देश के लिए स्वराज्य परम आवश्यक है और सुधार अथवा उत्तम राज्य इसके विकल्प नहीं हो सकते।
-लाजपतराय
- भारत में अंग्रेजी शासन की सार्थकता यह है कि बड़े पैमाने पर, नागरिक और सार्वजनिक क्रियाकलाप के क्षेत्र में, राजनीतिक शिक्षा देना इसका दैवी लक्ष्य और विधान है और यह इसके लिए सुयोग्य भी हैं।
-राणाडे
- हमें मर्दों की तरह खुलकर कहना चाहिए कि हम अपनी मज्जा तक राजभक्त हैं, हमें अंग्रेजी राज्य से हुए फायदों का ज्ञान है।
-दादाभाई नौरोजी
- हिन्दू सर्वथ विशिष्ट हैं। आध्यात्मिक और शाश्वत जीवन के बारे में उनकी सहज अंतर्जात चेतना ने उनके चरित्र को सजाया-संवारा है और उनके समस्त इतिहास को रूप और रंग प्रदान किया है।
-बिपिन चन्द्र पाल
- सारे धार्मिक और सांप्रदायिक मतभेद के बावजूद हम स्वेदशी आंदोलन के माध्यम से एकताबद्ध हो सकेंगे। मेरे ख्याल से, स्वदेशी को सारे संयुक्त भारत का सम्मिलित धर्म होना चाहिए।
-बिपिनचन्द्र पाल
- मैं सम्राट का प्रधानमंत्री इसलिए नहीं बना हूं कि ब्रिटिश साम्राज्य के अवसान की अध्यक्षता करूँ।
-चर्चिल
- यदि भारतीय दल इसे अस्वीकार कर देते हैं तो दुनिया के सामने हमारी ईमानदारी सिद्ध हो जाएगी।
-चर्चिल
- इस सुव्यवस्थित अनुशासनपूर्ण अराजकता को जाना ही होगा, और यदि इसके परिणामस्वरूप पूर्ण अव्यवस्था की स्थिति उत्पन्न होती है तो मैं यह खतरा उठाने के लिए तैयार हूँ।
-गांधी जी
- स्वाधीनता की इच्छा एवं प्रयास करने वाला प्रत्येक भारतीय स्वयं अपना मार्गदर्शक बने। प्रत्येक भारतीय अपने-आपको स्वाधीन समझे केवल जेल जाने से ही काम नहीं चलेगा।
-गांधी जी
- ऊपर से देखने पर वे फासीवाद-विरोध और युद्ध समर्थक प्रतीत होते हैं किन्तु भीतर से वे साम्राज्यवाद विरोधी हैं, और उनकी शस्त्रों की मांग का इन दोनों में से किसी भी विचारधारा से संबंध हो सकता है।
-लिनलिथगो
- शायद ही कोई ऐसा मामला रहा हो, जिसमें भारतीय जनता ने इतनी अधिक रुचि या कहना चाहिए कि सहानुभूति दिखाई हो। यह विशेष प्रकार की सहानुभूति सांप्रदायिक सीमाओं को पार कर कई थी।
-आजाद हिन्द फौज-मुकदमों के बारे में
- हिन्दुओं और मुसलमानों को संवैधानिक मोर्चे की तुलना में सड़क की बाधाओं के स्थल पर एक करना कहीं सरल है।
-अरूणा आसफ अली
- जन आंदोलन या क्रांति से बचने की आवश्यकता है जिसे आरंभ करना कांग्रेस के हाथ में है, और जिसे हमें विश्वास नहीं है कि हम नियंत्रित कर सकेंगे।
-वेवेल
- लड़ाई करने से अच्छा हम यही समझते हैं कि हम उन्हें पाकिस्तान ले लेने दें शर्त यह है कि आप पंजाब और बंगाल का न्यायपूर्ण बँटवारा होने दें।
- कृपलानी