वामपंथ एंव ट्रेड (व्यापार) यूनियन (संघ) आंदोलन (Leftcreed and Trade Union Movement) Part 3 for NET, IAS, State-SET (KSET, WBSET, MPSET, etc.), GATE, CUET, Olympiads etc.

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अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस ~NET, IAS, State-SET (KSET, WBSET, MPSET, etc.), GATE, CUET, Olympiads etc.: वामपंथ एंव ट्रेड (व्यापार) यूनियन (संघ) आंदोलन (Leftcreed and Trade Union Movement) Part 3

अखिल भारतीय स्तर पर ट्रेड यूनियन के गठन की पहल राष्ट्रीय नेताओं दव्ारा शुरू हुई। 31 अक्टूबर, 1920 को बंबई में अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस की स्थापना की गयी। आरंभिक अधिवेशन की अध्यक्षता लाला लाजपतराय ने की तथा इसमें मोतीलाल नेहरू, एनी बेसेंट, सी एफ. ऐन्ड्रयूज, एन. एम. जोशी, बी. पी. वाडिया तथा जोसेफ बैप्तीस्ता आदि ट्रेड यूनियनों के नेताओं एवं राष्ट्रीय नेताओं ने भाग लिया।

श्रमिकों के बीच ट्रेड यूनियन का विकास बहुत धीमी गति से हुआ क्योंकि श्रमिकों के बीच एकता का अभाव था और दूसरी तरफ नियोक्ता का विरोध भी प्रबल था। प्रारंभ में अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस पर एन. एम. जोशी सदृश उदारवादियों का प्रभाव रहा। 1926 के ट्रेड (व्यापार) यूनियन (संघ) एक्ट (अधिनियम) के दव्ारा पहली बार ट्रेड यूनियन को थोड़ी सी वैधता प्राप्त हुई। 1926 के ट्रेड यूनियन एक्ट ने ट्रेड यूनियन गतिविधियों के पंजीकरण एवं यूनियन के लिए शर्ते निर्धारित कीं। परन्तु साथ ही उसकी राजनीतिक गतिविधियों पर कुछ नियंत्रण भी स्थापित कर दिए। सबसे बड़ी हड़ताल बंबई के मिलों में 1924 में एवं पुन: 1925 में हुई। 1926 में बंबई सूती वस्त्र मजदूर यूनियन की स्थापना हुई। इसके अध्यक्ष एन. एम. जोशी बने। यह 1926 के एक्ट के अंतर्गत प्रथम पंजीकृत ट्रेड यूनियन था। साम्यवादियों के उदय ने ट्रेड यूनियन कांग्रेस को उग्र बना दिया। 1927 में बहुत से साम्यवादी दलों ने अपने को श्रमिक एवं कृषक पार्टी के रूप में संगठित कर लिया। 1926 - 29 ए. आई. टी. यू. सी. सुधारवादी एवं क्रातिकारी दो दलों में विभाजित हो गया। 1928 में साम्यवादियों के दव्ारा समर्थित गिरनी कामगार यूनियन के सूती वस्त्र मजदूरों ने छह महीने की ऐतिहासिक हड़ताल की।

विभाजन ~NET, IAS, State-SET (KSET, WBSET, MPSET, etc.), GATE, CUET, Olympiads etc.: वामपंथ एंव ट्रेड (व्यापार) यूनियन (संघ) आंदोलन (Leftcreed and Trade Union Movement) Part 3

दुर्भाग्यवश इस काल में ए. आई. टी. यू. सी. में दो बार विभाजन हुआ। एन. एम. जोशी के अधीन उदारवादी गुट ए. आई. टी. यू. सी. से बाहर हो गया और 1929 में अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन फेडरेशन (महासंघ) की स्थापना की। विभाजन का मुख्य मुद्दा था कि ए. आई. टी. यू. सी. को ब्रिटिश सरकार दव्ारा श्रमिकों पर नियुक्त रॉयल (राजसी) कमीशन (आयोग) का बहिष्कार करना चाहिए अथवा नहीं। उदारवादियों ने सहयोग देना चाहा जबकि उग्रवादियों ने बहिष्कार करना चाहा। 1931 में फिर दूसरा विभाजन हुआ जबकि साम्यवादियों ने ए. आई. टी. यू. सी. का परित्याग किया और लाल ट्रेड यूनियन कांग्रेस का गठन किया। इन विभाजनों ने ट्रेड यूनियन आंदोलन को कमजोर कर दिया।