Public Administration 1: Gender Budgeting Initiatives and National Mission for Empowerment of Women

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जनसंख्या के असुरक्षित समूहों के लिए केन्द्र एवं राज्य की कल्याणकारी योजनायें (Welfare Schemes for the Vulnerable Sections of the Population by the Centre and State)

अल्प निवास गृह (Short Stay Homes)

1969 में प्रारंभ, अल्प निवास गृह योजना का उद्देश्य उन महिलाओं व लड़कियों को स्वैच्छिक संगठनों की मदद से निवास, रखरखाव और पुनर्वास सुविधायें उपलब्ध कराना है जो किसी अपराध के कारण हुए पारिवारिक मतभेद के परिणामस्वरूप गृह विहीन या घर से त्याग दी जाती हैं। योजना के अधीन यह प्रावधान हैं कि जिन बालिकाओं का जन्म इन गृहों में हुआ है वे सात वर्ष तक यहाँ रह सकती हैं, इसके बाद उन्हें बाल गृहों/संस्थाओं में स्थानांतरित किया जा सकता है (जैसे केन्द्रीय समाज कल्याण बोर्ड) । 12वीं योजना में स्वाधार और अल्प निवास गृहों का आपस में विलय करके “स्वाधार गृह” निर्मित किये जाते हैं।

स्वाधार गृह-विषम परिस्थितियों में रह रही महिलाओं हेतु योजना (Swadhar Greh-A Scheme for Women in Difficult Circumstances)

परिचय (Introduction)

  • महिलाओं को शोषण से बचाने की आवश्यकता को देखते हुए और उनके अस्तित्व एवं पुर्नवास में सहयोग देने के लिए, 1969 में समाज कल्याण मंत्रालय ने सामाजिक सुरक्षा तंत्र के रूप में महिलाओं और बालिकाओं के लिए अल्प निवास गृह योजना प्रारंभ की। ऐसे ही उद्देश्यों से परन्तु पृथक नाम, “स्वाधार” के साथ 2001 - 02 में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने विषम परिस्थितियों में रह रही महिलाओं के लिए यह योजना शुरू की। योजना निवास, भोजन, प्रशिक्षण, चिकित्सकीय और कानूनी मदद आदि प्रावधानों के दव्ारा विषम स्थिति में महिलाओं का पुनर्वास कार्य करती है।
  • बाजार अनुसंधान और सामाजिक विकास केन्द्र, नई दिल्ली ने 2007 में एक मूल्यांकन किया और यह सुझाव दिया कि बेहतर परिणामों और कार्यों के लिए इन दोनों योजनाओं का विलय किया जाना चाहिए।

उद्देश्य (Objective)

विषम परिस्थितियों की पीड़ित महिलाओं के लिए सहयोग आधारित संस्थागत ढाँचे का निर्माण करना योजना का उद्देश्य है ताकि महिला अपना जीवन, आत्मसम्मान एवं दृढ़ विश्वास के साथ जी सके। इसमें इस बात का ध्यान रखा गया है कि ऐसी महिलाओं के लिए आवास, भोजन, वस्त्र एवं स्वास्थ्य, आर्थिक व सामाजिक सुरक्षा आदि सुनिश्चित किया जा सके। इस बात पर भी बल दिया गया है कि इन महिलाओं की विशेष जरूरतों की पूर्ति की जाये और किसी भी दशा में इनका परित्याग न किया जाये ताकि इन्हें शोषण से बचाया जा सके।

योजना के तहत प्रत्येक जिले में 30 महिलाओं की क्षमता वाले स्वाधार गृह स्थापित होंगे जिसके उद्देश्य निम्नलिखित हैं-

  • आर्थिक व सामाजिक रूप से पीड़ित महिलाओं को सबसे पहले आधारभूत आवश्यकतायें जैसे निवास, भोजन, वस्त्र, चिकित्त्सा सुविधायें और देखभाल आदि प्रदान करना।
  • विषम/दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थितियों के कारण महिलाओं की दमित भावनात्मक शक्ति को वापस लाना।
  • परिवार/समाज में इनके पुनर्वास के लिए दिशा-निर्देश व कानूनी सहायता प्रदान करना।
  • आर्थिक व भावनात्मक रूप से पुनर्वास करना।
  • एक ऐसे सहयोगी तंत्र के रूप में काम करना जो पीड़ित महिलाओं की विभिन्न जरूरतों के समझता हो।

लाभार्थी (Beneficiaries)

निम्नलिखित वर्गों की 18 वर्ष से अधिक उम्र की महिलायें इसके अंतर्गत शामिल हैं-

  • जो महिलायें बिना पारिवारिक सहयोग के हैं और परित्यक्त हैं।
  • किसी प्राकृतिक आपदा की जीवित विधवायें जो बिना आवास एवं बिना सामाजिक आर्थिक सहयोग के हैं।
  • HIV/AIDS पीड़ित महिलायें।
  • जेल से छूटी महिला ′ कैदी, जिनके पास आर्थिक एवं पारिवारिक सहयोग नहीं हैं।
  • घरेलू हिंसा, पारिवारिक कलह आदि की शिकार महिलाओं को उनका घर छोड़ने पर मजबूर किया जाता है। ऐसे में इनके पास कोई सहारा नहीं होता और शोषण अथवा वैवाहिक मतभेदों से निपटने का कोई जरिया भी नहीं होता।
  • तस्करी दव्ारा लायी गई/वैश्यालयों से भागी महिलायें या ऐसा स्थान जहाँ महिलाओं का शोषण होता हो। बहरहाल ऐसी महिलाओं/लड़कियों को उज्जवला योजना (जहाँ कार्यरत हैं) के तहत मदद मिलनी चाहिए।

55 वर्ष से अधिक की महिलाओं को 5 वर्ष के लिए आवास मिल सकता है, इसके पश्चात्‌ इन्हें वृद्धाश्रमों में या ऐसी अन्य संस्था में भेज दिया जाता है।

इस योजना को लागू करने वाली संस्था (Implementing Agencies of this Scheme)

योजना के तहत निम्न में से किसी संगठन को भी सहायता मिल सकती है-

  • राज्य सरकारों दव्ारा स्थापित राज्य सरकारी संस्थान जिनमें महिला विकास निगम भी शामिल हैं।
  • शहरी नगरपालिका निकाय।
  • छावनी बोर्ड
  • प्चाांयती राज्य और सहकारी संस्थाएँ।

12वीं पंचवर्षीय योजना से स्वाधार गृह चलाने की 25 प्रतिशत कीमत (उत्तर पूर्व में 10 प्रतिशत) संबंधित राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों दव्ारा दी जाएगी। प्रत्येक जिले में स्वाधार गृहों से संबंधित मामलों की देखरेख के लिए जिला महिला कल्याण समिति गठित की जाएगी।

लिंग आधारित बजट पहलें (Gender Budgeting Initiatives)

विकास के लाभ पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं तक पहुँचाने के लिए लिंग आधारित बजट एक शक्तिशाली माध्यम हो सकता है। यह कोई लेखा कार्य/हिसाब नहीं है अपितु नीति निर्माण, क्रियान्वयन व पुनर्वलोकन करने में लैंगिक परिप्रेक्ष्य को ध्यान में रखने वाली सतत्‌ प्रक्रिया है। भारत में लिंग आधारित बजट को संस्थागत बनाने के लिए 2005 में वित्त मंत्रालय ने सभी विभागों/मंत्रालयों में लिंग बजट सेल बनाने का आदेश दिया। मंत्रालयों की संख्या, जो लैंगिक बजट को अपनी योजनाओं का आधार बना रहे थे: 2005 - 06 में 9 से बढ़कर 2012 - 13 में 29 हो गई। इसी अवधि के दौरान लैंगिक बजट वक्तव्य में प्रक्षेपित कुल लैंगिक बजट परिणाम भी 2.79 प्रतिशत से बढ़कर 5.91 प्रतिशत हो गया।

महिला सशक्तीकरण हेतु राष्ट्रीय मिशन (National Mission for Empowerment of Women)

  • 8 मार्च, 2010 को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर घोषित राष्ट्रीय महिला सशक्तीकरण मिशन भारतीय महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए भारत सरकार के उद्देश्य की ओर बढ़ने के लिए निर्मित रणनीति के तहत उठाये गये कदमों का परिणाम है।
  • NMEW विभिन्न मंत्रालयों एवं विभागों में व्याप्त संस्थागत व संरचनात्मक विभेद को समाप्त करने के लिए अंतर-क्षेत्रीय एकीकरण पर बल देता है। मिशन महत्वपूर्ण मुद्दे जो भारतीय महिलाओं को प्रभावित करते है, पर ध्यान केन्द्रित करता है जैसे शिक्षा, गरीबी-निवारण, स्वास्थ्य, कानूनी अधिकार, सामाजिक-आर्थिक सशक्तीकरण आदि और नीतियों, कार्यक्रमों और संस्थाओं में लिंग आधार को मुख्यधारा से जोड़ता है। मिशन निदेशालय और महिलाओं हेतु राष्ट्रीय संसाधन केन्द्र खोले गए हैं, जिनका उद्देश्य महिला केन्द्रित योजनाओं और कार्यक्रमों को प्रभावी रूप से लागू करने के तरीकों पर काम करना है।