Public Administration: India՚s Human Development Report, 2011

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भूख, निर्धनता व विकास से संबंधित मुद्दे (Issues Relating to Hunger, Poverty and Development)

भारत मे भोजन की उपलब्धता पर भारत मानव विकास रिपोर्ट, 2011 के मूल निष्कर्ष (Major Conclusions of India՚s Human Development Report, 2011 on Availability of Food)

  • भारत विश्व की यद्यपि प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक है लेकिन जहाँ तक गरीबी का प्रश्न है, इसकी हालत में कोई ठोस सुधार नहीं हो पाया है। भारत की मानव विकास रिपोर्ट, 2011 का कहना है कि आज से 30 वर्ष पहले भारत के गरीबों के लिए आज के मुकाबले भोजन की उपलब्धता ज्यादा थी। वस्तुत: भूख के मामले में भारत की स्थिति चिंताजनक है क्योंकि अभी भी जनसंख्या के एक बड़े भाग को भोजन की उपलब्धता नहीं है, जबकि भारत की आर्थिक संवृद्धि में औसतन 6 प्रतिशत की कमी हुई है लेकिन जहाँ तक प्रोटीन एवं कैलोरी इनटेक का प्रश्न है, भोजन में इसकी मात्रा में कमी ही पाई गई है।
  • रिपोर्ट के अनुसार, 2000 से 2009 की अवधि में भारत में 5 वर्ष की उम्र के कुल बच्चों की जनसंख्या का आधा कुपोषित रहा है। इसके अलावा 11वीं पंचवर्षीय योजना के दस्तावेज से भी पता चलता है कि वजन तथा लंबाई के आधार पर भारत में बच्चों की स्थिति में पिछले 25 वर्षों में कोई सुधार नहीं हुआ। रिपोर्ट के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में कैलोरी खपत में 2004 - 05 की अवधि में 8 प्रतिशत की गिरावट आई है। शहरी क्षेत्रों में भी 1983 से 2004 - 05 की अवधि में कैलोरी खपत में भी 3.3 प्रतिशत की गिरावट आयी है, अर्थात यह 2050 कैलोरी से घटकर 2020 कैलोरी रह गया है।
  • भूख सूचकांक के मामले में मानव विकास रिपोर्ट, 2011 के अनुसार पंजाब की स्थिति काफी गंभीर है जिसका भूख सूचकांक 13.63 है। इसी प्रकार गुजरात जो कि आर्थिक दृष्टि से काफी संपन्न है, उसकी स्थिति भूख सूचकांक की दृष्टि से अत्यंत खराब है। असम की स्थिति गुजरात से इस मामले में बेहतर है।
  • उल्लेखनीय है कि मानव विकास रिपोर्ट में भूख सूचकांक के लिए 5 वर्ष के उम्र के बच्चे में मृृत्यु दर तथा औसत से कम वजन के आधार पर भूख सूचकांक तैयार किया जाता है। वर्तमान सूचकांक के अनुसार मानव विकास सूचकांक में जिन राज्यों का स्थान बेहतर है, आमतौर पर भूख सूचकांक में इनका स्थान काफी नीेचे पाया गया है। मध्य प्रदेश का स्थान इस सूचकांक में सबसे नीचे है। रिपोर्ट के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में जनसंख्या के 81 प्रतिशत को वर्तमान में भोजन पर्याप्त कैलोरी में नहीं मिल पाता है तथा शहरी इलाके के लिए यह 57 प्रतिशत है। 2004 - 05 से पहले के तीन दशकों में कुल खर्च में भोजन का प्रतिशत लगातार गिरता गया है।

खाद्य सुरक्षा एवं मानक विनियम, 2011 (Food Safety and Standards Exchange, 2011)

भारत में भूखमरी व खाद्यान्न असुरक्षा की परिभाषा में विस्तार करते हुए खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने पर हाल के समय में बल दिया गया है। केन्द्र सरकार ने भी में खाद्य सुरक्षा एवं मानक विनियम, 2011 को भारत के गजट में 1 अगस्त, 2011 को अधिसूचत किया। यह अब पूरे देश में लागू हो गया है। खाद्य सुरक्षा एवं मानक विनियम ने निम्नांकित कानूनों व आदेशों को प्रतिस्थापित किया है-

  • खाद्य अपमिश्रण निवारक अधिनियम, 2006
  • फल उत्पाद आदेश, 1955
  • मांस खाद्य उत्पाद आदेश, 1973
  • विलायक निष्कर्षित तेल, वितैलित अवचूर्ण और खाद्य आटा (नियंत्रण) आदेश, 1967
  • दुग्ध एवं दुग्ध उत्पाद आदेश, 1992
  • आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955

खाद्य सुरक्षा एवं मानव विनयम 2011 के तहत जिला स्तर पर खाद्य सुरक्षा अधिकारियों का प्रावधान किया गया है। इसके अंतर्गत अस्वास्थ्यकर एवं अपमिरित खाद्य के मामलों में 50 हजार रुपये से 10 लाख रुपये तक की पेनाल्टी लगाई जा सकेगी तथा अपराधी व्यक्ति को न्यूनतम 6 माह से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा दी जा सकेगी।

सामाजिक, आर्थिक और जाति जनगणना, 2011 के अंतर्गत निर्धन परिवार कहलाने के मानक (Standards for Symbolising Poor Families under Social – Economic and Cast Census, 2011)

भारत की स्वतंत्रता के पश्चात्‌ पहली सामाजिक, आर्थिक और जाति जनगणना 2011 का प्रारंभ 29 जून, 2011 को किया गया था। इस जनगणना के तहत निम्नांकित अभाव वाले परिवार को निर्धन माना या कहा जाएगा-

  • जिस परिवार के पास कच्ची दीवार और छत का एक कमरे का एक मकान हो।
  • परिवार में 16 से 59 वर्ष का कोई व्यस्क न हो।
  • परिवार की मुखिया महिला हो और काेेई भी व्यस्क पुरुष 16 से 59 वर्ष का न हो।
  • परिवार में कोई भी विकलांग सदस्य हो तथा कोई भी छोटा व्यस्क सदस्य न हो।
  • अनुसूचित जाति/जनजाति के निर्धन परिवार
  • परिवार में 25 वर्ष से अधिक का कोई भी व्यक्ति साक्षर न हो।
  • भूमिहीन श्रमिक।

इस 7 सूत्री सूची में दिये गये अंक के आधार पर परिवारों की रैंकिंग की जायेगी जिससे गरीबी का स्तर तय किया जा सकेगा। सामाजिक आर्थिक और जाति जनगणना, 2011 के अंतर्गत निर्धनता रेखा से नीचे (BPL) रहने वाले व्यक्तियों की पहचान के निम्नांकित वर्ग के लोगों को चिन्हित किया गया है-

  • दान पर निर्भर परिवार।
  • हाथ से मैला ढोने वाले व्यक्ति।
  • परंपरागत आदीवासी लोग।
  • कानूनी तौर पर जारी निर्धनता रेखा से नीचे वालों की सूची में शामिल बंधुआ मजदूर।

सामाजिक, आर्थिक और जाति जनगणना, 2011 के तहत स्पष्ट किया गया है कि उपरोक्त परिवार को बीपीएल सूची में शामिल करने में सर्वोच्च प्राथमिकता प्रदान की जाएगी। इस प्रकार विभिन्न वर्गों की सामाजिक आर्थिक प्रस्थिति के आधार पर उन्हें चिन्हित करने का प्रयत्न किया जाता है।

ई-शासन- अनुप्रयोग, मॉडल, सफलताएँ, सीमाएँ और संभावनाएँ (E-Governance- Applications, Models, Successes, Limitations and Potential)

ई-शासन (E-Governance)

सामन्य शब्दों में कंप्यूटर, टेलीफोन, सैटेलाइट तथा दूरसंचार के अन्य माध्यमों से प्रशासनिक कृत्यों का निष्पादन ही ई-शासन है। संकीर्ण अर्थ में इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर तथा सूचना विज्ञान के क्षेत्र में विकसित हुई युक्तियों का प्रशासन में प्रयोग करना ही ई-शासन है। व्यापक अर्थ में किसी भी संगठन, समाज या तंत्र के विविध पक्षों को नियंत्रित, विकसित, पोषित एवं समन्वित रखने के क्रम से सूचना प्रोद्योगिकी का प्रयोग करना ई-शासन है।

भारत में ई-शासन (E-Governance in India)

  • भारत में ई-शासन का विकास लगातार प्रशासन के सुक्ष्मतर पहलुओं को लघु रूप देने के लिए किए गए उपायों, जैसे नागरिक केंद्रित, सेवा उन्मुखीकरण और पार्दर्शित के लिए सरकारी विभागों के कंप्यूटरीकरण से प्रारंभ हुआ है। इस विचार को पर्याप्त संज्ञान में लिया गया है कि राष्ट्रीय, राज्य ओर स्थानीय स्तरों पर सरकार के विभिन्न अंगों में ई-शासन के कार्यान्वयन को गति देने के लिए, इस कार्यक्रम उपागम, जो एक सामन्य नजरिये और नीति से निर्देशित हो, को अपनाने की जरूरत है। उस उपागम में, मानकों के जरिये सूचना के परस्पर आदान प्रदान व प्रयोग को संभव बनाकर केंद्रिय और समर्थक मूल रचना के समर्थन के जरिये लागत में भारी बचत और नागरिको के समक्ष सरकार का बाधा रहित नजरिया प्रस्तुत करने की संभावना बढ़़ी है।
  • ई-गवर्नेंस के क्षेत्र में भारत सरकार की निर्णायक शुरूआत 17 अक्टूबर-2000 को सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम को लागू करके हुई। इस अधिनियम के माध्यम से ई-कॉमर्स एवं ई-गवर्नेस को वैधता प्रदान की गई। देश में ई-गवर्नेस केन्द्र की स्थापना 15 अगस्त 2000 को सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने इलैक्ट्रानिक्स निकेतन में की।

ई-शासन के विभिन्न चरण (Different Stages of E-Governance)

  • स्पष्टत: ई-शासन कंप्यूटर प्रौद्योगिकी, कंप्यूटर एवं संचार प्रणालियों के नेटवर्किंग के विकास से संबंधित है। तुलनात्मक रूप से ऐसी प्रणालियों विकासशील देशों में कुछ देर से उपलब्ध हुई। भारत में ई-शासन निम्न चरणों के माध्यम से अग्रसर हो रहा है।
  • प्रथम चरण में बड़ी संख्या में सरकारी कार्यालयों का कंप्यूटीकरण किया गया। दव्तीय चरण में कुछ सरकारी संगठनों की कुछ यूनिटों को सूचना की भागीदारी एवं विभिन्न सरकारी संगठनों के बीच आँकड़ों के प्रवाह से हब के माध्यम से जोड़ा गया अर्थात यह चरण नेटवर्किंग कहलाता है। तृतीय चरण में ऑनलाइन उपस्थिति आती है जिसके अंतर्गत वृद्धिकारी इंटरनेट संपर्क से वेब पर उपस्थिति बनाए रखने की जरूरत महसूस की गई। अत: इससे सरकारी विभागों एवं अन्य संगठनों दव्ारा वेबसाइट का रख-रखाव किया गया। चतुर्थ चरण के अंतर्गत ऑनलाइन परस्पर संपर्क आते है जिसका आशय ऑनलाइन उपस्थिति का स्वाभाविक परिणाम सरकारी संगठनों एवं नागरिकों, नागरिक समाज संगठनों आदि के मध्य संप्रेषण माध्यम के स्ाापित होने से है। इस चरण में मुख्य लक्ष्य डाउनलोड करने योग्य प्रपत्रों, नियम, निर्देशों आदि को प्रदान करते हुए सरकारी संगठनों के साथ तथा कुछ मामलों में इससे प्रपत्रों की ऑनलाइन प्रस्तुति है।

ई-शासन में परस्पर क्रियाओं की विधियाँ (Methods of Interaction in E-Governance)

  • जी. टू. जी. (Government to Government) (सरकार से सरकार) - जब सरकार के किसी विभाग का दूसरे किसी विभाग से ई-शासन के माध्यम से संपर्क स्थापित होता है तो यह विधि जी. टू. जी. विधि कहलाती है। उदाहरणस्वरूप खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्रालय, खाद्यान्न संबंधी जरूरतों की सूचना कृषि मंत्रालय को भेजे, तो यह प्रक्रिया जी. टू. जी. के अंतर्गत आएगी।
    • कर्नाटक में खजाने परियोजना
    • ‘स्मार्ट’ सरकार (आंध्र प्रदेश)
  • जी. ट. सी. (Government to Citizen) (सरकार से नागरिक) -इसके अंतर्गत सरकार एवं नागरिकों के मध्य होने वाले पारस्परिक व्यवहार जैसी गतिविधियाँ शामिल हैंं उदाहरणस्वरूप जनता दव्ारा रेलवे आरक्षण करना, विद्युत एवं टेलीफोन संबंधी शिकायतें सरकार से करना आदि।
    • भूमि (अभिलेखों का कंप्यूटरीकरण)
    • ज्ञानदूत (मध्य प्रदेश)
    • लोकवाणी (उत्तर प्रदेश)
    • क्रैंड्‌स (तेल)
    • ई-मित्र (राजस्थान)
    • ई-सेवा (आंध्र प्रदेश)
    • राजस्व प्रशासन विलिंग परियोजना (बिहार)
  • जी. ट. बी. (Government to Business) (सरकार से व्यवसाय) - इस श्रेणी के अंतर्गत सरकार दव्ारा व्यापार जगत के साथ विभिन्न व्यवसायपरक लेन-देन वाली गतिविधियाँ संपन्न होती हैं। उदाहरणस्वरूप ऑनलाइन ट्रेडिंग एवं सीमा तथा उत्पाद शुल्क संबंधी प्रकरण आदि।
    • ई-अधिप्राप्ति परियोजना (आंध्र प्रदेश)
    • गुजरात में ई-अधिप्राप्ति
  • जी. ट. ई. (Government to Employees) (सरकार से कर्मचारी) - यह वह श्रेणी है, जिसमें सरकारी विभाग अपने कर्मचारियों को ऑनलाइन सेवाएँ प्रदान करते हैं। इसके अंतर्गत भर्ती, प्रशिक्षण, पदस्थापन, वेतनमान निर्धारण, शिकायत निवारण आदि शामिल हैं।
Illustration: ई-शासन में परस्पर क्रियाओं की विधियाँ (Methods of Interaction in E-Governance)