Public Administration: Rajiv Gandhi National Drinking Water Mission

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सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय (Government Policies and Interventions for Development in Various Sectors and Issues Arising Out of Their Design and Implementation)

राजीव गांधी राष्ट्रीय पेयजल मिशन (Rajiv Gandhi National Drinking Water Mission)

राजीव गांधी राष्ट्रीय पेयजल मिशन भारत सरकार के एक महत्वपूर्ण फ्लैगशिप कार्यक्रम के रूप में वर्ष 1991 में प्रारंभ किया गया था। भारत में पेयजल की उपलब्धता और संबंधित जल प्रबंधन के लक्ष्य से ‘राष्ट्रीय पेयजल मिशन’ (NDWM) की शुरूआत वर्ष 1986 में हुई थी। इसे ही 1991 में ‘राजीव गांधी राष्ट्रीय पेयजल मिशन’ नाम दिया गया था। उल्लेखनीय है कि भारत में पेयजल की आपूर्ति की प्रणाली के विकास की आवश्यकता को महसूस कर 1954 में ‘राष्ट्रीय जल आपूर्ति एवं स्वच्छता कार्यक्रम’ की शुरूआत सामाजिक कल्याण के उद्देश्य से की गयी थी। इसे कालांतर में संवर्धित ग्रामीण जल आपूर्ति कार्यक्रम (ARWSP) के नाम से भी जाना गया।

राजीव गांधी राष्ट्रीय पेयजल मिशन के मुख्य उद्देश्य निम्नवत्‌ हैं-

  • ग्रामीण भारत में स्थायी पेयजल सुविधा को सुनिश्चित करना।
  • उपलब्ध पेयजल स्त्रोतों में सुधार व भौमजल (Ground Water) , सतही जल और वर्षा जल संभरण आदि के संरक्षण दव्ारा पेयजल सुरक्षा के लक्ष्य को प्राप्त करना।
  • सभी स्कूलों व आँगनबाड़ी केन्द्रों की सुरक्षित पेयजल तक पहुँच को सुनिश्चित करना।
  • पंचायती राज संस्थाओं व स्थानीय समुदायों को अपने स्वयं के पेयजल स्त्रोतों व प्रणालियों के प्रबंधन में समर्थ बनाना।
  • समुदायों को उनके पेयजल स्त्रोतों पर निगरानी रखने के लिए सशक्त करने के प्रयास।
  • जल की गुणवत्ता व उपभोग प्रवृत्तियों को तार्किक दिशा देने का प्रयास करना।

राजीव गांधी राष्ट्रीय पेयजल मिशन के तहत वर्ष 2007 तक सौ फीसदी ग्रामीण जनसंख्या की सुरक्षित पेयजल तक पहुँच को सुनिश्चित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया। यद्यपि अभी तक इस लक्ष्य को प्राप्त नहीं किया जा सका है, परन्तु इसमें कोई संदेह नहीं है कि अगले 5 वर्षों में (जनगणना को आँकड़ों के अनुसार) इस लक्ष्य को प्राप्त करने में अधिक कठिनाई नहीं होगी।

  • राजीव गांधी राष्ट्रीय पेयजल मिशन का ध्यान एक समुदाय-आधारित मांग प्रेरित दृष्टिकोण (Community Based demand driven approach) को अपनाना है। इस मिशन के क्रियान्वयन के लिए कुछ संस्थागत प्रबंध (Institutional Arrangements) भी किये गये हैं। इसके तहत नियुक्त अभिकरणों दव्ारा राज्य स्तरीय जल भूमि स्वच्छता मिशन जैसे क्षेत्रों की पहचान की गयी है।
  • गाँवों के लिए पेयजल की वर्तमान स्थिति- वर्तमान समय में अधिकांश ग्रामवासियों को सुरक्षित पेयजल उपलब्ध है। पहले जहाँ यह सुविधा जनसंख्या के 65 प्रतिशत लोगों को मिल रही थी, वहीं 2001 तक देश की 90 प्रतिशत आबादी को यह सुविधा मिलने लगी। भारत सरकार इसके लिए हर साल लगभग 45 अरब रुपये खर्च करती है। पेयजल आपूर्ति को भारत निर्माण के 6 में से एक घटक के रूप में शामिल किया गया है।
  • विश्व बैंक के अध्ययन के अनुसार बर्बादी और अकुशलता के चलते पाइप के जरिए पेयजल उपलब्ध कराने की योजनाओं में प्रति किलोमीटर खर्च भी बहुत ज्यादा हो रहा है। इसके अलावा मूल सुविधाओं के अनुरक्षण और रख-रखाव पर भी लोगों को भारी खर्च उठाना पड़ रहा है। उन्हें अनेक स्त्रोतों से पानी प्राप्त करने की व्यवस्था करने को मजबूर होना पड़ता है। भारत की अधिकांश जल आपूर्ति योजनाओं में स्थानीय समुदायों की भागीदारी अपेक्षाकृत कम है।

जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीनीकरण मिशन (Jawaharlal Nehru National Urban Renewal Mission)

जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीनीकरण मिशन केन्द्र सरकार के 13 महत्वपूर्ण फ्लैगशिप मिशनों व कार्यक्रमों में से एक है। शहरों में आधारभूत संरचना के विकास और जीवन की गुणवत्ता में वृद्धि के लिए भारत सरकार के शहरी विकास मंत्रालय ने 3 दिसंबर, 2005 को इस मिशन की शुरूआत की। इस मिशन पर यह तय किया गया था कि वर्ष 2005 से 2012 तक (7 वर्षो के लिए) इसमें 20 बिलियन डॉलर का निवेश किया जाएगा। भारतीय नगरीय शहरों (Indian Urban Cities) के विकास के साथ ही इस मिशन का उद्देश्य उत्पादकीय, कम व्यय साध्य (Economically) व अधिक प्रभावी शहरों का गठन है। शहरों में सामाजिक-आर्थिक ढाँचे के विकास व शहरी निर्धनों को बुनियादी सेवाएँ उपलबध कराने के लक्ष्य भी इसमें शामिल हैं। 74वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 की अपेक्षाओं के अनुरूप देशभर के विभिन्न शहरों में म्यूनिसिपल गवर्ननेन्स का सुदृढ़कीरण भी इस मिशन के महत्वपूर्ण सिद्धांतों में से एक है। इस मिशन की कार्यावधि को 2 वर्षो के लिए (31 मार्च, 2014 तक) बढ़ा दिया गया है ताकि समय व देशकाल के अनुरूप भारतीय शहरों की पुर्नसंरचना व नवीनीकण के लक्ष्य में सीमित समय (Limited Time) बाधक न बने।

मिशन के घटक (Components of Mission)

जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीनीकरण मिशन के अंतर्गत निम्नांकित क्षेत्रों को शामिल किया गया है-

  • पुराने शहरी क्षेत्रों का विकास जिसमें सड़क चौड़ा करना, औद्योगिक/वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों को इस प्रकार से प्रबंधित करना ताकि दबाव न बढ़ सके।
  • जल आपूर्ति को सुनिश्चित करना जिसमें स्वच्छता व गैर-नवणीय संयंत्र (de- salivation Plants) भी शामिल हैं।
  • निकासी सुविधा अथवा प्रबंधन (Drainage Management) को सुनिश्चित करना।
  • शहरों के चारों ओर परिष्कृत स्वच्छता सुविधा को सुनिश्चित करना।
  • सड़को, हाइवें व एक्सप्रेस-वे का निर्माण, उनके सुधार व रख-रखाव पर ध्यान देना।
  • मृदा क्षरण पर नियंत्रण
  • जल निकायों की सुरक्षा को सुनिश्चित करना।

जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीनीकरण मिशन के लिए कुल 67 शहरों की पहचान की गई है।

मिशन ने कमजोर लागत वसूली के दुष्चक्र, अल्प निवेश व कमजोर सेवा आपूर्ति को शहरी विकास के मार्ग में अवरोध मानते हुए इसे तोड़ने का प्रयास किया है। इस क्रम में मिशन दव्ारा लोक-निजी सहभागिता मॉडल का समर्थन किया गया है। इस मिशन दव्ारा अपनी रणनीति को दो भागों में बाँटा गया है-

  • शहरी अवसंरचना तथा शासन के लिए उपमिशन जिसमें जल आपूर्ति, सड़क रख-रखाव तथा अपशिष्ट प्रबंधन आदि शामिल हैं।
  • शहरी निर्धनों को बुनियादी सेवाओं हेतु उपमिशन जिसके तहत झुग्गी-झोपड़ी के एकीकृत प्रबंधन पर विचार किया गया है।

संपूर्ण स्वच्छता अभियान (Total Sanitation Campaign)

  • भारत सरकार दव्ारा ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता सुविधा प्रदान करने के लिए वर्ष 1986 में केन्द्रीस ग्रामीण स्वच्छता कार्यक्रम की शुरूआत की गयी थी। यह एक आपूर्ति केन्द्रित, सब्सिडी प्राप्त व अवसंरचना विकास उन्मुख कार्यक्रम था। कालांतर में वर्ष 1999 में संपूर्ण स्वच्छता अभियान (TSC) की शुरूआत की गई थी। इसे निर्मल भारत अभियान नाम से भी जाना जाता है और इसकी एक महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि यह सामुदायिक नेतृत्व वाला स्वच्छता कार्यक्रम (Community led Sanitation Programme) है। यह जन केन्द्रित योजना है जो इस बात का भी ध्यान रखती है कि स्वच्छता मानव स्वास्थ्य एवं मानव विकास की एक अपरिहार्य दशा है।
  • स्पाूंर्ण स्वच्छता अभियान का प्रमुख लक्ष्य 2017 तक खुले में शौच की प्रवृत्तियों का उन्मूलन करना है। महाराष्ट्र, जहाँ यह योजना प्रारंभ की गयी वहाँ 2000 ग्राम पंचायतों से अधिक ने ‘खुले में शौच मुक्त’ (Open Defecation Free) स्तर को प्राप्त कर लिया है। जो गांव इस स्तर को प्राप्त कर लेते हैं, उन्हें निर्मल ग्राम पुरस्कार के अंतर्गत मौद्रिक पुरस्कार प्रदान किया जाता है। भारत सरकार ने प्रत्येक परिवार को शौचालय बनवाने के लिए 10 हजार रुपये देने की बात की है। इसी के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता के संबंध में जागरूकता के प्रसार हेतु अभिनेत्री विद्या बालन को निर्मल भारत अभियान का ब्रांड ऐंबेसडर बनाया गया है।
  • 12वीं पंचवर्षीय योजना में भी भारत सरकार ने ग्रामीण स्वच्छता के लिए 14.377 करोड़ रुपये का आबंटन किया है, जबकि 11वीं योजना में यह 6540 करोड़ था। इस प्रकार 11 वीं योजना की तुलना में वित्तीय आबंटन में 425 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। उल्लेखनीय है कि निर्मल भारत अभियान के अंतर्गत वर्ष 2022 तक सभी ग्रामीण परिवारों की स्वच्छता सेवाओं तक पहुँच सुनिश्चित कराने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना (Rajiv Gandhi Grameen Vidyutikaran Yojana- RGVY)

भारत सरकार ने राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना को एक महत्वपूर्ण फ्लैगशिप कार्यक्रम के रूप में 18 मार्च, 2005 को मंजूरी प्रदान की थी। ग्रामीण क्षेत्र में एक प्रमुख अवसरंचनात्मक विकास क्षेत्र ‘विद्युतीकरण’ के विकास की आवश्यकता व महत्ता भारत निर्माण कार्यक्रम के एक महत्वपूर्ण घटक के रूप में स्पष्ट की जा चुकी है। इस योजना का क्रियान्वयन सरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉरपोरेशन (REC) दव्ारा किये जाने का प्रावधान किया गया है। इस योजना ने इस दिशा में जारी एक लाख गाँवों व एक करोड़ परिवारों के संवर्धित विद्युतीकरण (Accelerated Electrification of One Lakh Villages and one Crore Households) और ग्रामीण विद्युतीकरण के लिए ‘न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम’ का विलय कर दिया है।

राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना के प्रमुख उद्देश्य निम्नवत्‌ हैं-

  • कुटीर ज्योति मानकों के अनुसार निर्धनता रेखा से नीचे के सभी परिवारों जो गांवों में रहते है को विद्युतीकरण सुविधा में शामिल करना।
  • गाँवों में कम से कम एक डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर के गठन का प्रावधान करना।
  • राज्य सरकारों दव्ारा यह सुनिश्चित किया जाएगा कि ग्रामीण व शहरी परिवारों के मध्य विद्युत आपूर्ति के घंटों के संदर्भ में विभेद न किया जाय।

इस अधिनियम में प्रावधान किया गया है कि जहाँ विद्युतीकरण की सुविधा नहीं है ऐसे स्थानों में विद्युतीकरण के सुदृढ़ीकरण के लिए ‘ग्रामीण विद्यतीकरण अवसरंचना’ का विकास किया जाय।