Quasi-Judicial Institutions: Central Board of Direct Taxes and Central Board of Excise and Customs

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केन्द्रीय प्रत्यक्ष बोर्ड (Central Board of Direct Taxes)

  • केन्द्रीय प्रत्यक्ष बोर्ड (सीबीडीटी) जनवरी, 1964 के बाद से भारत में विभिन्न प्रत्यक्ष करों से संबंधित सभी मामलों पर विचार कर रहा है और केन्द्रीय राजस्व बोर्ड अधिनियम, 1963 से अधिकार प्राप्त है। सीबीडीटी वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग का एक हिस्सा है। एक ओर सीबीडीटी भारत में प्रत्यक्ष करों की योजना बनाने के लिए आवश्यक जानकारी प्रदान करता है वहीं दूसरी ओर आयकर विभाग के माध्यम से प्रत्यक्ष कर कानूनों के प्रशासन के लिए जिम्मेदार है।
  • सीबीडीटी का अध्यक्ष भारत सरकार का पदेन विशेष सचिव होता है। इसके अलावा, सीबीडीटी में छह सदस्य होते हैं, जो कि भारत सरकार के पदेन अतिरिक्त सचिव होते हैं।ं सीबीडीटी के अध्यक्ष एवं सदस्यों का चयन भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) में ये किया जाता है, जो कि भारत की एक प्रमुख लोक सेवा हैं। इस सेवा के सदस्य आयकर विभाग के शीर्ष प्रबंधन तंत्र का गठन करते हैंं। सीबीडीटी का सहयोगी स्टाफ आईआरएस के साथ-साथ अन्य प्रमुख नागरिक सेवाओं से भी लिया जाता है।
  • केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड अधिनियम में निर्धारित उन सभी कार्यों और केन्द्र सरकार दव्ारा इसे करने के लिए सौंपा गया है, जो उन लोगों का निर्वहन करने के लिए अधिकृत है। बोर्ड आयकर अधिकारियों को उचित क्षेत्राधिकार प्रदान करती है। विभिन्न अधिकारियों के बीच क्षेत्राधिकार के संघर्ष के मामलें में बोर्ड मुद्दों को हल करती है।
  • देशभर में मौजूदा आयकर विभाग के विभिन्न मुख्य आयुक्त प्रत्यक्ष करों संग्रह का अधिवीक्षण करते हैं और कर भुगतान सेवायें उपलब्ध कराते हैं। आयकर महानिदेशालय जांच तंत्र का अधिवीक्षण करता है और कर अपवंचन तथा अघोषित धन से जुड़े मामलों को निपटाता है। आयकर महानिदेशालय (उन्मुक्ति) दव्ारा कर उन्मुक्ति से जुड़े मामलों का अधिवीक्षण किया जाता है जबकि आयकर महानिदेशालय (अंतरराष्ट्रीय करारोपण) अंतरराष्ट्रीय कर एवं मूल्य स्थानांतरण के क्षेत्र में किये जाने वाले कार्यो का अधिवीक्षण करता है। बोर्ड एक खोज आदि का संचालन करने के लिए विशेष रूप से आयकर अधिकारियों को अधिकृत करता है।

केन्द्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (Central Board of Excise and Customs)

  • केन्द्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) एक वैधानिक निकाय है, जिसका गठन केन्द्रीय राजस्व बोर्ड अधिनियम, 1963 के अधीन किया गया था। यह वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग का एक हिस्सा है। सीबीईसी का अध्यक्ष भारत सरकार का पदेन विशेष सचिव होता है। इसके अलावा सीबीईसी में पाँच सदस्य ओर होते हैं, जो कि भारत सरकार के पदेन अतिरिक्त सचिव होते हैं। सीबीईसी के अध्यक्ष एवं सदस्यों का चयन भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) में से किया जाता है, जो कि भारत की एक प्रमुख नागरिक सेवा है। इस सेवा के सदस्य केन्द्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क विभाग के शीर्ष प्रबंधन तंत्र का गठन करते हैं। सीबीईसी का सहयोगी स्टाफ आईआरएस के साथ-साथ अन्य प्रमुख लोक सेवाओं से भी लिया जाता हैं।
  • केन्द्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड उत्पाद एवं सीमा शुल्कों के उद्धग्रण एवं सग्रहण, सेवा कर, तस्करी की रोकथाम, शुल्कों के अपवंचन से जुड़े नीति-निर्माण कार्यो तथा सीमा शुल्क केन्द्रीय उत्पाद शुल्क एवं सेवा करों से जुड़े सभी प्रशासनिक मामलों को देखता है। सीबीईसी आयकर अधिकारियों को उचित क्षेत्राधिकार प्रदान करती है। यह एक खोज आदि का संचालन करने के लिए विशेष रूप से आयकर अधिकारियों को अधिकृत करता है। बोर्ड अपने कार्यो को सीमा एवं उत्पाद शुल्क क्षेत्रों, सीमा एवं उत्पाद शुल्क, सेवा कर आयुक्तों तथा निदेशालयों की सहायता से पूरा करता है।

खाद्य एवं पोषण बोर्ड (Food and Nutrition Board)

खाद्य एवं पोषण बोर्ड (एफएनबी) का गठन खाद्य मंत्रालय के तहत 1964 में किया गया था। इस बोर्ड को 1993 में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अधीन लाया गया। एफएनबी को योजना आयोग दव्ारा देश के कुपोषण के स्तर को घटाने वाले मूलभूत संगठनों में से एक के रूप में मान्यता दी गयी है।

खाद्य एवं पोषण बोर्ड के कार्य निम्नलिखित हैं-

  • महत्वपूर्ण घोषण मुद्दों पर विभिन्न पोषण उन्मुख क्षेत्रीय उपायों और मुद्दों पर नीतिगत दिशानिर्देशों के कार्यान्वयन की निगरानी करना।
  • वकालत एवं नीति निर्माताओं और कार्यान्वयनकर्ताओं के संवेदीकरण के माध्यम से पोषण संबंधी मुद्दों को केन्द्र स्तर पर लाने के संबंध में गतिविधियों को बढ़ावा देना और समन्वय स्थापित करना।
  • शिशु और छोटे बच्चे के पोषण के मुद्दों सहित सभी स्तरों पर रोकथाम और कुपोषण के नियंत्रण पर एक जोरदार जागरूकता अभियान संचालित करना।
  • राष्ट्रीय पोषण नीति पर कार्यवाही करना।
  • जनता एवं आईसीडीएस कार्यकारियों के लिए पोषण, शिक्षा एवं प्रशिक्षण प्रदान करना।
  • खाद्य विश्लेषण एवं मानकीकरण के कार्य करना।
  • स्थानीय रूप से उपलब्ध पोषक खाद्यों का विकास एवं संवर्द्धन करना।
  • घरेलू स्तर पर फलों, सब्जियों और पोषण के परिरक्षण हेतु प्रशिक्षण प्रदान करना।

देश में राष्ट्रीय पोषण नीति (एनएनपी) का निर्माण 1993 में किया गया। इसके अनुसरण में 1995 में एक राष्ट्रीय कार्ययोजना तैयार की गयी। राष्ट्रीय कार्ययोजना के दव्ारा कुपोषण से लड़ने के लिए समन्वित कार्यवाही करने के लिए सरकार में विभिन्न क्षेत्रों की पहचान की गयी है।

राष्ट्रीय जन-सहयोग एवं बाल विकास संस्थान (National Institute of Public Co-Operation and Child Development)

राष्ट्रीय जन-सहयोग एवं बाल विकास संस्थान महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अधीन नई दिल्ली में अपने मुख्यालय के साथ एक स्वायत्त संगठन है। यह संस्थान महिला एवं बाल विकास के संपूर्ण क्षेत्र में स्वैच्छिक कार्यवाही एवं शोध, प्रशिक्षण एवं दस्तावेजीकरण के संवर्द्धन हेतु समर्पित एक प्रमुख संगठन है। यह महिला एवं बाल विकास, मानव संसाधन विकास मंत्रालय के तत्वाधान में कार्य करता है।

संस्थान का उद्देश्य इस प्रकार है-

  • सामाजिक विकास में स्वैच्छिक कार्यवाही को विकसित करना और बढ़ावा देना।
  • बच्चों के विकास के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण रखना और बच्चों के लिए राष्ट्रीय नीति के अनुसरण में कार्यक्रमों को विकसित करना तथा बढ़ावा देना।
  • सामाजिक विकास में सरकारी और स्वैच्छिक कार्यवाही के समन्वय के लिए उपायों को विकसित करना।
  • महिला एवं बाल विकास के व्यापक दृष्टिकोण को ग्रहण करना।
  • सरकारी और स्वैच्छिक प्रयासों के माध्यम से बच्चों के कार्यक्रमों के आयोजन के लिए एक रूपरेखा और परिप्रेक्ष्य का विकास करना।

उपरोक्त उद्देश्यों को प्राप्त करने की दृष्टि से संस्थान, अनुसंधान और मूल्यांकन अध्ययन का आयोजन करता है, प्रशिक्षण, कार्यक्रम, सेमिनार, कार्यशालाओं, सम्मेलनों का आयोजन और जनता के सहयोग एवं बाल विकास के क्षेत्र में दस्तावेज और जानकारी सेवाएँ प्रदान करता है। यह संस्थान एकीकृत बाल विकास सेवा (आईसीडीएस) कार्यक्रम के पदाधिकारियों के प्रशिक्षण हेतु एक शीर्ष निकाय है। यह महिला एवं बाल विकास तथा स्वैच्छिक गतिविधियों के लिए कार्यक्रमों व नीतियों को क्रियान्वित और प्रोत्साहित करने में सरकार तथा स्वैच्छिक संगठनों को तकनीकी सलाह तथा परामर्श उपलब्ध कराता है। इसके अलावा यह क्षेत्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों, शोध संस्थाओं, विश्वविद्यालयों और तकनीकी संस्थाओं के साथ भी मिलकर कार्य करता है।

केन्द्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड (Central Advisory Board of Education)

  • केन्द्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड (सीएबीई) शिक्षा के क्षेत्र में केन्द्र एवं राज्य सरकारों को परामर्श देने के लिए एक शीर्ष निकाय है। सबसे पहले इसकी स्थापना 1920 में की गयी थी और 1923 में इसे बचत के एक उपाय के रूप में विघटित कर दिया गया था। इसे 1935 में पुनर्जीवित किया गया और यह 1994 तक अस्तित्व में रहा था।
  • भूतकाल में सीएबीई की सलाह पर कई महत्वपूर्ण निर्णय लिये गये थे और इसने सांस्कृतिक एवं शैक्षिक विकास से जुड़े मुद्दों के व्यापक परामर्श तथा परीक्षण हेतु एक मंच उपलब्ध कराया था। इस तथ्य के बावजूद 1994 में इसके विस्तारित कार्य कार्यकाल के समाप्त हाेेने के बाद इसे पुनर्गठित न करना दुर्भाग्यपूर्ण था।
  • 1986 को राष्ट्रीय शिक्षा नीति (1992 में संशोधित) यह अभिकल्पित करती है कि सीएबीई प्रणाली को सुधारने के लिए आवश्यक बदलावों को निर्धारित करने, शैक्षिक विकास का पुनरीक्षण करने और क्रियान्वयन की निगरानी करने में एक धुरी भूमिका निभाएगा तथा मानव संसाधन विकास के विभन्नि क्षेत्रों के बीच संपर्क एवं समन्वय को सुनिश्चित करके उपयुक्त कार्यक्षेत्रों के माध्यम से कार्य करेगा। उसके अनुसार सीएबीई को 2004 में सरकार दव्ारा पुनर्गठित किया गया है। सीएबीई में लोकसभा और राज्यसभा के निर्वाचित सदस्यों, भारत सरकार, राज्य सरकार और संघशासित प्रदेशों के प्रतिनिधियों के अलावा विभिन्न हितों का प्रतिनिधित्व करने वाले नामित सदस्य शामिल होते हैं।
  • केंद्रीय शिक्षा सलाहाकर बोर्ड की शिक्षा के हर क्षेत्र में अपनी भूमिका है। बोर्ड का कर्तव्य पूरे देश में छात्रों के लिए एक बेहतर शिक्षा प्रक्रिया के निर्माण के लिए है। इसके साथ ही यह पूरे देश में शिक्षा के बुनियादी नियमों और विनियमों को नियंत्रित करता है। इसे पूरे देश में उच्च शिक्षण संस्थानों के बीच समानता बनाये रखना चाहिए। यह शिक्षा के क्षेत्र के साथ संबंधित अधिकारी को रूपरेखा और विचार देता है। इस सलाहकार बोर्ड की पूरे देश में शैक्षिक प्रक्रिया के संवर्द्धन और इसे विश्व में सबसे अधिक शिक्षित देशों में से एक बनाने के लिए आवश्यक है।

भारत के लिए शत्रु संपत्ति का अभिरक्षक (Custodian of Enemy Property for India)

शत्रु संपत्ति से संबंधित कार्य पहले वाणिज्य विभाग दव्ारा नियंत्रित किया जा रहा था, जिसे वर्ष 2007 में गृह मंत्रालय को स्थानांतरित कर दिया गया। देश के लिए शत्रु संपत्ति के अभिरक्षक का कार्यालय वर्तमान में शत्रु संपत्ति अधिनियम, 1968 में शामिल प्रावधानों के तहत कार्य करता हैं। यह अधिनियम भारत के लिए शत्रु संपत्ति के अभिरक्षक को शत्रु संपत्ति के संरक्षण और प्रबंधन की शक्ति प्रदान करने के लिए पारित किया गया था। इस अधिनियम के तहत पूरे देश में मौजूद ऐसी अचल और चल संपत्तियों जो कि वर्ष 1965 से लेकर 1977 की अवधि के बीच पाकिस्तान के नागरिकों के नाम पर प्रतिबंधित और धारित की जाती थीं, को भारत के शत्रु संपत्ति के अभिरक्षक में विहित करता है। भारत के शत्रु संपत्ति के अभिरक्षक का कार्यालय मुंबई में स्थित है एवं इसकी एक शाखा कोलकाता में भी है। शत्रु संपत्तियाँ देश भर में बिखरे हुए हैं सरक्षण और प्रबंधन से संबंधित काम के लिए राज्य सरकारों के राजस्व विभाग के माध्यम से किया जा रहा हैं। पाकिस्तानी नागरिकों के दोनों चल एवं अचल संपत्तियों 1977 में संशोधन के रूप में शत्रु संपत्ति अधिनियम, 1968 की धारा 3 के तहत केन्द्र सरकार दव्ारा नियुक्त अभिरक्षक में निहित हैं। अभिरक्षक दो ऐसे गुण से सकल आय पर प्रतिशत के बराबर शुल्क लगाने के लिए अधिकृत है। अभिरक्षक भी भारतीय नागरिक या जिनके गुणों के दौरान और भारत पाक युद्ध 1965 के बाद पाकिस्तान दव्ारा जब्त किये गये कंपनियों के लिए अनुग्रह राशि के भुगतान के लिए दवा निपटाने का भी जिम्मा सौंपा गया है।

अभिरक्षक के रूप में निहित हैं-

  • देश भर में बिखरे हुए भूमि, भवन इत्यादि के रूप में 2049 अचल संपत्तियाँ।
  • कंपनियों के निहित प्रतिभूतियों, शेयर, डिबेंचर आदि।
  • बैंक के बैलेंस और नकदी।
  • भविष्य निधि जमा और ग्रेच्युटी आदि जैसी अचल संपत्ति का प्रबंधन किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त अभिरक्षक नेशनल बैंक ऑफ पाकिस्तान एवं हबीब बैंक का भी प्रबंधन करता है।