बागानी क्षेत्र के लिए पहल (Initiatives for the Horticulture Areas) for NET, IAS, State-SET (KSET, WBSET, MPSET, etc.), GATE, CUET, Olympiads etc.

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बागवानी के एकीकृत विकास के लिए मिशन (लक्ष्य)

  • यह एक केन्द्र प्रायोजित योजना है।
  • 12वीं पंचवर्षीय योजना के तहत इसका लक्ष्य देश में बागवानी का संपूर्ण विकास करना हैं;
  • 2014 - 15 से आरंभ की गयी यह योजना वर्तमान में चल रही योजनाओं को एकीकृत करती है;
  • राष्ट्रीय बागबानी मिशन-चुने हुए राज्यों में राज्य बागवानी मिशन दव्ारा लागू की गयी है।
  • उत्तर पूर्वी तथा हिमालय के राज्यों के लिए बागबानी मिशन-उत्तर पूर्वी राज्यो तथा हिमालयी राज्यो में बागबानी मिशन दव्ारा लागू की गयी है।
  • राष्ट्रीय बांस मिशन-राज्य बांस विकास एजेंसियों (शाखाओं) (बीडीए) /वन विकास एजेंसी (एफडीए) दव्ारा सभी राज्यो और केन्द्र शासित प्रदेशो में लागू की गयी है।
  • राष्ट्रीय बागबानी बोर्ड (परिषद)
  • नारियल विकास बोर्ड (परिषद)
  • सेंट्रल (केन्द्र संस्थान) इंस्टिवित रुक्ष्म्ग्।डऋछ।डम्दव्र्‌ुरुक्ष्म्ग्।डऋछ।डम्दव्रुरू टयूट फॉर (के लिए) हॉर्टिकल्चर (बागवानी) , नागालैंड

आर्य

100 ग्रामीण युवाओ को 4 पंजीकृत कमोडिटी (वस्तु) आधारित समूहों की स्थापना के लिए इंक्युबेटर (समय पूर्व जन्मे शिशु को जिंदा रखने की मशीन) के रूप में चिन्हित किया गया है। प्रत्येक में 25 की सदस्य संख्या वाले ये समूह नारियल और केले की कृषि तथा मूल्य सवंर्धिंत उत्पादों के प्रसंस्करण की स्थापना के लिए गठित किये गए हैं।

आर्य के बारे में

  • अट्रैक्टिंग (को आकर्षित) एंड (और) रिटेनिंग (कायम रखना) यूथ (यूवक) इन (भीतर) एग्रीकल्चर (कृषि) का लक्ष्य विभिन्न कृषि, संबंद्ध और सेवा क्षेत्र के उद्यमों के लिए सतत आय और लाभकारी रोजगार को अपना कर ग्रामीण क्षेत्रों में युवाओं को आकर्षित करना और सशक्त बनाना है।
  • यह संसाधन एवं पूँजी गहन गतिविधियों जैसे प्रसंस्करण, मूल्य संवर्धन और विपणन के आरंभ के लिए ग्रामीण युवाओं को नेटवर्क (तंत्र) समूहों की स्थापना के योग्य बनाता है।
  • यह 25 राज्यो के हर एक जिले में KVKs दव्ारा लागू किया गया है।

सेन्सएग्री (समझ सहमत)

  • यह ‘सेंसर (संवेदक) बेस्ड (आधारित) स्मार्ट (शीघ्र) एग्रीकल्चर’ (कृषि) का संक्षिप्त रूप है।
  • यह भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) दव्ारा भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) के माध्यम से तैयार की गयी एक सहयोगी अनुसंधान परियोजना है।
  • इसका मुख्य उद्देश्य हाइपरस्पेक्ट्रल (मृदा की गुणवत्ता का विश्लेषण) रिमोट (दूरस्थ) सेंसिंग (संवेदन) सेंसर (संवेदक) (एचआरएस) का प्रयोग करके फसल और भूमि स्वास्थ्य निगरानी प्रणाली के लिए देशी ड्रोन (परजीवी) विकसित करना है।
  • यह तकनीक बड़े पैमाने पर इस्तेमाल के लिए सेटेलाइट (उपग्रह) आधारित तकनीकी के साथ भी एकीकृत की जा सकती है।