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एनसीईआरटी कक्षा 10-अर्थशास्त्र अध्याय 4: वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था
अध्याय 4: वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था
MNCs
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एक से अधिक देशों में उत्पादन की मालिकी या नियंत्रण करता है (सस्ता श्रम और संसाधन, कम मूल्य, अधिक लाभ)
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वैश्विक रूप से बेच नहीं सकते बल्कि वैश्विक स्तर पर उत्पादन कर सकते है (मुश्किल तरीका)
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सस्ता उत्पादन – चाइना
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बाजार के लिए निकटता – मेक्सिको और पूर्वी यूरोप
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कुशल इंजीनियर्स – भारत
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अंग्रेजी बोलने वाले – ग्राहक सेवा
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अनुकूल सरकारकी नीतिया
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MNC की 50-60% कीमत बचाना|
परस्पर जुड़ा हुआ उत्पादन
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निवेश – जमीन, यंत्र और इमारत खरीदने के लिए पैसा
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विदेशी निवेश – MNC द्वारा बनाया गया – लाभ कमाने के लिए
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MNC उत्पादन के लिए नवीनतम तकनीक लाता है|
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MNC निवेश के लिए धन प्रदान करता है (विशाल धन)
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कारगिल खाद्य पदार्थों ने भारतीय पराख खाद्य पदार्थ खरीदे – अब कारगिल (भारत में सबसे बड़ा खाद्य तेल प्रतिदिन 5 मिलियन पाउचका उत्पादक है)
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MNC ने छोटे उत्पादकोकि जगह लेली है – कपडे, जूते, – मूल्य, गुणवत्ता, वितरण, और श्रम की स्थिति निर्धारित करता है|
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फैले हुए उत्पादन स्थानों के साथ जुड़े हुए हैं|
विदेशी व्यापार
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उत्पादककि पहुँच घरेलू बाज़ारसे ऊपर है।
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खरीदारों घरेलू रूप से उत्पादित किए जाने से परे माल की पसंद का विस्तार करते हैं|
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चाइना के खिलोने भारतमे – भारतीय बाजारकी जगह सस्ता, स्पर्धात्मक
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माल के लिए विकल्प उठता है – कीमत स्थिर होती है|
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यह बाजार को जोड़ता है और एक करता है।
वैश्वीकरण
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फोर्ड – भारतके लिए विनिर्माण और निर्यात
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ज्यादा व्यापार + ज्यादा निवेश + ज्यादा एकीकरण या सम्पर्क
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क्या परिवर्तित होता है? सामान, सेवाएं, निवेश और प्रौद्योगिकी
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लोग क्यों स्थान परिवर्तन करते है? नौकरी, शिक्षा और अर्थप्राप्ति के लिए
वैश्वीकरण
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दुनिया की अर्थव्यवस्थाओं पर निर्भरता
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वैश्वीकरण + संयोजकता और डिजिटलीकरण = नवीनता और मूल्य निर्माण
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पूर्व – व्यापार (कच्चे माल का निर्यात और तैयार उत्पाद का आयात)
प्रौद्योगिकी – सक्रिय वैश्वीकरण
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परिवहन के पात्र
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माल और सेवाओं की गति
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ICT – दूरसंचार, कंप्यूटर, इंटरनेट (ई-मेल या आवाज़से बाते – बहुत कम मूल्य), उपग्रहके उपकरण
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भुगतान के बटुए और ई-बैंकिंग (आगामी)
उदारीकरण
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चीन से खिलौनों के आयात पर कितना कर लगता है?
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व्यापार-रोध – आयात पर कर – सरकारके लिए उपयोग विदेशी व्यापार
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कोटा – आयातित वस्तुओं की संख्या सीमित करना
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स्थानीय कारीगरों की रक्षा के लिए 1950-60 तक भारत के व्यापार प्रतिबंध थे|
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केवल आवश्यक वस्तु आयात की अनुमति थी (उर्वरक, पेट्रोलियम)
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1991- नीति परिवर्तन - LPG - प्रदर्शन में सुधार के लिए वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा
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विदेशी व्यापार पर कोई प्रतिबंध नहीं – आसान आयात और निर्यात – बाधाओको हटा दिया - उदारीकरण
WTO
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मुक्त व्यापार और उदारीकरण व्यापार – WTO
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1 जनवरीको 1955 बनाया गया|
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मुख्यालय – जिनीवा, स्विट्जरलैंड
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सदस्य – 164 राज्य
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मार्राकेशके समझौतेके तहत –GATT को बदल दिया( General Agreement on Tariffs & Trade)
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दोनों कतार पर केंद्रित – देशोंके विकास के लिए
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विकसित राष्ट्र – व्यापारमें रुकावटोंको गलत तरीके से बनाए रखा|
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व्यापार बाधाओं को दूर करने केविकासशील राष्ट्रोंने मजबूर किया (अमेरिकी किसानों ने सरकार द्वारा भारी रकम का भुगतान किया – सस्ते उत्पादनमें ले आना और अनुचित है)
भारत पर प्रभाव
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ग्राहकों – बढ़िया विकल्प, बेहतर गुणवत्ता और कम कीमत
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MNC के निवेशका विकल्प बढ़ गया – मोबाइल फोन, मोटर-संबंधी, इलेक्ट्रानिक्स
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नई नौकरियों का सर्जन
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SEZs – निवेशकों को आकर्षित करने के लिए विश्व स्तरीय सुविधाओं के साथ
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श्रमके कानूनमें लचीलापन – कम समयके लिए किराया जब काम का दबाव हो|
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नई तकनीक में निवेश और उच्च उत्पादन मापदंड
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भारतीय कम्पनिया जैसे MNCs - टाटा मोटर्स (ऑटोमोबाइल), इनफ़ोसिस (IT), रैनबैक्सी (दवाई), एसियन पैईन्टस (पैईन्टस), सुंदरम फास्टनर्स (नट और बोल्ट)
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सेवाओंका समुदाय जैसे आँकड़े की प्रविष्टि, लेखांकन, प्रशासनिक कार्य, डिज़ाइन बनाना|
भारत पर नकारात्मक प्रभाव
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नोकरिकी कम सुरक्षा
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नियुक्त किये हुए मजदूरोका लचीलापन
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लम्बे धंटे तक काम और रात की पाली
उद्देश्य क्या है?
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उचित वैश्वीकरण – सभी के लिए समान मौके होने चाहिए|
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श्रमके लिए बनाए हुए कानूनों का उचित अमल||
-Manishika