हड्‌िडयों की पुनर्रचना के लिए नैनो प्रोद्योगिकी (Nanotechnology for Reconstruction of Bones – Science and Technology)

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भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) , बंगलुरु के वैज्ञानिकों के अनुसार ग्राफीन यौगिको का उपयोग अस्थि ऊतकों के पुनरुत्पादन के लिए किया जा सकता है क्योंकि यह यौगिक अस्थि के वातावरण का अनुकरण करता है।

• पॉलिकैप्रोलैक्टोन या पीसीएल (हड्‌िडयों को सहारा देने के लिए एक जैव-निम्नकरणीय बहुलक) को मजबूत बनाने के लिए ग्राफीन का इस्तेमाल किया जाएगा।

• पीसीएल (polycaprolactone) का प्रयोजन केवल पुनरुत्पादित कोशिकाओं को अस्थायी शरण देना और अंतत: एक स्वस्थ्य ऊतक दव्ारा इस अस्थायी व्यवस्था (scaffold) के प्रतिस्थापन को संभव बनाना है।

• नैनो प्रौद्योगिकी का उपयोग ग्राफीन की 3-डी संरचना बनाने के लिए किया जाएगा।

ग्राफीन क्या है?

ग्राफीन एक अणु की मोटाई वाली सामन्य कार्बन की एक पतली परत (2-डी संरचना) है, जिसमें अणु मधुमक्खी के छत्ते के आकार के जालक में व्यवस्थित होते हैं।