गाँधी युग (Gandhi Era) Part 18 for NET, IAS, State-SET (KSET, WBSET, MPSET, etc.), GATE, CUET, Olympiads etc.

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सिकंदर-जिन्ना पैक्ट (संधि) ~NET, IAS, State-SET (KSET, WBSET, MPSET, etc.), GATE, CUET, Olympiads etc.: गाँधी युग (Gandhi Era) Part 18

1937 ई. में मुस्लिम लीग का वार्षिक अधिवेश लखनऊ में हुआ। इसी अधिवेशन के दौरान जिन्ना और पंजाब के मुख्यमंत्री सर सिकंदर हयात खां के बीच एक समझौता हुआ जो सिकंदर-जिन्ना पैक्ट के नाम से विख्यात है। इस समझौता के अनुसार पंजाब में उनके दल (यूनियनिस्ट (संघवादी) पाटीर्) (दल) के सदस्यों को मुस्लिम लीग की सदस्यता दिलाने की व्यवस्था की गई, परन्तु मंत्रिमंडल यूनियनिस्ट दल का ही कहा जाना था। यह कोई लिखित समझौता नहीं था, बल्कि मात्र एक घोषणा थी। दोनों के अपने-अपने स्वार्थ थे। सिकंदर हयात खां ऐसा कर मुस्लिम लीग के संभावित आक्रमण से अपनी रक्षा करना चाहते थे जबकि जिन्ना हयात खां के प्रभाव से पंजाब में मुस्लिम लीग की स्थिति सुदृढ़ करना चाहते थे। इसलिए 1938 ई. में पंजाब में नई मुस्लिम लीग को जिसमें यूनियनिस्ट दल का प्रभाव ज्यादा था, मान्यता प्रदान की गई।

व्यक्तिगत सत्याग्रह आंदोलन ~NET, IAS, State-SET (KSET, WBSET, MPSET, etc.), GATE, CUET, Olympiads etc.: गाँधी युग (Gandhi Era) Part 18

महात्मा गांधी ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध भारतीय भावनाआंे को व्यक्त करना चाहते थे। किन्तु इसके साथ ही वे ब्रिटिश सरकार के समक्ष उत्पन्न संकट की स्थिति से अनुचित लाभ भी उठाने के पक्ष में नहीं थे। इसलिए उन्होंने सामूहिक कार्रवाई के स्थान पर सीमित पैमाने पर सत्याग्रह आंदोलन आरंभ किया। व्यक्तिगत सत्याग्रह केवल प्रतीकात्मक विरोध था और इसका उद्देश्य नैतिक विरोध की अभिव्यक्ति मात्र था। इस सत्याग्रह में अहिंसा पर विशेष बल दिया गया था। सामूहिक कार्रवाई को भी प्रत्येक रूप में निषिद्ध किया गया था। गांधी जी के विश्वस्त अनुयायी विनोबा भावे को प्रथम सत्याग्रही के रूप में चुना गया। उनके दव्ारा पवनार में 17 अक्टूबर, 1940 को यह आंदोलन आरंभ किया गया। उनके दव्ारा इस आंदोलन को तीन कारणों से आवश्यक बताया गया:

  • कांग्रेस की राष्ट्रीय सरकार की मांग अस्वीकार कर दी गई।
  • युद्ध प्रयासों के विरुद्ध विचार व्यक्त करने की स्वतंत्रता का निषेध कर दिया गया।
  • ब्रिटिश शासक यह मानने के लिए तैयार नहीं है कि भारत अपनी इच्छा से युद्ध में शामिल नहीं हुआ हैं।

विनोबा भावे के बाद दूसरे आंदोलनकर्ता नेहरू जबकि सैयद अब्बास जी तीसरे आंदोलनकर्ता थे। इस आंदोलन ने शीघ्र ही राष्ट्रव्यापी आकार ले लिया। मई, 1941 तक लगभग 14 हजार सत्याग्रही गिरफ्तार किए गए।

व्यक्तिगत सत्याग्रह आंदोलन का उद्देश्य कांग्रेस सरकार के त्यागपत्र और युद्ध की स्थितियों के बीच भारतीय जनता को भावी आंदोलन के लिए तैयार करना था। यह एक प्रकार से भारतीय जनता की ब्रिटिश विरोधी भावना का परीक्षण भी था।