राष्ट्रीय महिला नीति 2016 का मसौदा (National Women՚s Policy 2016 Draft – Social Issues)

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सुर्ख़ियों में क्यों?

केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने राष्ट्रीय महिला नीति 2016 के लिए मसौदा जारी किया है।

नई नीति की आवश्यकता

• 2001 के बाद से महिलाओं का खुद के प्रति रवैया और जीवन से उनकी उम्मीदों में परिवर्तन हुआ है।

• पिछले 15 वर्षों के विकास ने महिलाओं के लिए अदव्तीय अवसर और चुनौतियाँ पैदा की हैं।

• समाज में महिलाओं की भूमिका में बदलाव हो रहा है, अब वे कल्याण लाभों के प्राप्तकर्ताओं के स्थान पर देश के विकास की दिशा में बराबर योगदान करने वाली बन रही हैं।

नई नीति के मुख्य बिंदु

• यह हक के बजाय अधिकार और सशक्तिकरण के बजाय एक अनुकूल माहौल बनाने की तरफ ध्यान केन्द्रित करती है।

• खाद्य सुरक्षा और पोषण सहित स्वास्थ्य: बुढ़ापे, किशोर उम्र, प्रजनन और मानसिक स्वास्थ्य देखभाल की तरफ ध्यान।

• शिक्षा: शिक्षा के सभी स्तरों तक बेहतर पहुँच और शिक्षा के क्षेत्र में लैंगिक अंतर को कम करना।

• अर्थव्यवस्था: रोजगार के समान अवसर, कौशल विकास और महिलाओं को प्रशिक्षण।

• प्रशासन और निर्णय: राजनीति, प्रशासन, लोक सेवा और कॉर्पोरेट (पालिका) में महिलाओें की भागीदारी बढ़ाना।

• महिलाओं के खिलाफ हिंसा: महिलाओं की सुरक्षा से संबंधित कानून की समीक्षा की जाएगी। महिला तस्करी और कन्या भ्रूण हत्या की रोकथाम।

• सुगम माहौल: सुरक्षित पेयजल, स्वच्छता, सामाजिक सुरक्षा आदि सुनिश्चित करना।

• पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन: जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण क्षरण के कारण संकटकाल में पलायन और विस्थापन के दौरान लैंगिक चिंता पर ध्यान देना।

सरकार दव्ारा पहले उठाए गए कुछ कदम

• महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना- विभिन्न पहलों जैसे वन (एक) स्टॉप (रोकना) केंद्र, महिला हेल्प लाइन (मदद रेखा) , महिला पुलिस स्वयंसेवी, मोबाइल फोन आदि में पैनिक बटन के माध्यम से त्वरित प्रतिक्रिया तंत्र बनाने आदि के दव्ारा, इस दिशा में प्रयास किये गए हैं।

• महिला ई-हाट, महिला उदव्मिता परिषद आदि के माध्यम से महिलाओं के बीच उद्यमशीलता को प्रोत्साहित करने के लिए पारिस्थितिक तंत्र विकसित करना।

• जेंडर चैम्पियन (लिंग, सर्वश्रेष्ठविजेता) पहल, सीमावर्ती कार्यकर्ताओं, महिला सरपंचों और महिलाओं को प्रभावित करने वाली नीतियों और वितरण प्रणाली के साथ काम कर रहे सभी अधिकारियों के माध्यम से युवाओं सहित सभी हितधारकों की क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण।

• कार्यस्थल में महिलाआंे को सुविधा प्रदान करना-लिंग अनुकूल कार्यस्थल, स्थिति अनुरूप कार्य समय, ज्यादा मातृत्व अवकाश, कार्यस्थल पर बच्चे की देखभाल/शिशु गृह का प्रावधान, जीवन चक्र स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं के माध्यम से महिलाओं के अनुकूल सुविधाओं का विस्तार किया जा सकता है।