Science and Technology: Digital Divide, Bio Computer and Tablet PC

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इंटरनेट से संबंधित विभिन्न अवधारणाएँ तथा तकनीकें और उनके अनुप्रयोग (Various Concepts and Techniques of Internet and Its Applications)

डिजिटल खाई (Digital Divide)

व्यक्तियों, व्यवसायों और भौगोलिक क्षेत्रों के मध्य इंटरनेट तथा सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के उपयोग के संदर्भ में सामाजिक-आर्थिक (Socio-economic) स्तरों पर विद्यमान विभेद को डिजिटल खाई (Digital Divide) की संज्ञा दी जाती है। जहाँ विकसित देश सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में लगातार परिवर्तन के साथ उन्नति की दिशा में अग्रसर हैं, वहीं विकासशील देश हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर की खरीद करने तथा सूचना और संचार सुविधाओं को पर्याप्त रूप से अद्यतन (Update) करने में भी सक्षम नहीं दिखते।

जैव कम्प्यूटर (Bio Computer)

यह वस्तुत: एक संकल्पित कम्प्यूटर प्रणाली है, जिसका विकास कार्य अभी अनुसंधान स्तर पर जारी है। इसी क्रम में शॉन लोकरी ने केंचुए के मस्तिष्क के न्यूरॉन सर्किट के अध्ययन की सहायता से केंचुआ रोबों का निर्माण किया है। चूँकि ऐसा माना जाता है कि केंचुए की अपनी न्यूरॉन कोशिकाओं के मध्य आनुवांशिक संदेश संचरण की प्रक्रिया हमारे अत्याधुनिक कम्प्यूटरों से अधिक है और केंचुआ रोबो के अंतर्गत शॉन लोकरी ने केंचुए के न्यूरॉन परिपथ को कम्प्यूटर परिपथ में परिवर्तित करके रोशनी के प्रति संवेदी बना दिया, जिस कारण केंचुए ने खाने की तलाश करने की ही तरह रोशनी की तलाश की। चींटी के अंदर भी आनुवांशिक सूचनाओं के संसोधन की ऐसी ही क्षमता होती है जिसके माध्यम से वह इस बात का अत्यंत शीघ्रता एवं सहजता से पता लगा लेती है कि ‘गंध’ किस तरह की हैं? यद्यपि हमारे आधुनिक कम्प्यूटर इस दिशा में कुछ खास नहीं कर पाए हैं लेकिन कम्प्यूटर विज्ञान के विशेषज्ञ जैव प्रक्रिया पर आधारित और मनुष्य की तरह बुद्धिमान, तार्किक निर्णय लेने में सक्षम कम्प्यूटर प्रणाली के विकास हेतु प्रयासरत हैं।

टैबलेट पीसी (Tablet PC)

आई टी क्षेत्र की प्रसिद्ध कंपनी एप्पल दव्ारा निर्मित यह टैबलेट पीसी वस्तुत: इंटरनेट सर्फिंग, डाटा डाउनलोड, ई-मेल, नोटबुक, ई-बुक रीडर, म्यूजिक डिवाइस, मीडिया प्लेयर और गेमिंग की संयुक्त सुविधा वाला एक मोबाइल तथा लैपटॉप का मिश्रित रूप टच स्क्रीन कम्प्यूटर है। वाई-फाई तथा 3 जी के साथ इस टैबलेट पीसी में इंटरनेट कनेक्शन के दो वर्जन हैं।

जैविकीय संगणन (Biological Computing)

जैविकीय संगणन एक ऐसी कम्प्यूटर प्रणाली है जिसमें ट्रांजिस्टरों की जगह जीवाणुओं (Bacteria՚s) का प्रयोग किया जाता है। ऐसी कम्प्यूटिंग प्रणालियों के विकास का मूल उद्देश्य जैव तत्वों की विशेष तरीके से कार्य संपादन विधि से संबंधित सूचनाओं का संग्रहण करना है। अब शोधकर्ता एक ऐसा आनुवांशिक कम्प्यूटर प्रोग्राम (Genetic Computer Program) बनाने की कोशिश कर रहे हैं, जो शरीर में रक्त कोशिकाओं के अंदर रहकर अपने अनेकों प्रारूप तैयार कर सकेगा।

वेरीचिप (Verichip)

अमेरिका में फ्लोरिडा के एक प्रौद्योगिकी संस्थान दव्ारा विकसित ‘वेरीचिप’ वस्तुत: सुरक्षा मानकों के सुदृढ़ीकरण के उद्देश्य से बनाया गया एक ‘पहचान चिप’ (I. D. Chip) है, जिसे मानव त्वचा के नीचे लगाया जाता है, जिससे उस व्यक्ति/महिला की पहचान गुप्त रहती है। वेरीचिप किसी संस्था, किसी मिशन या राष्ट्र की सुरक्षा व्यवस्था के सुदृढ़ीकरण के लिए महत्वपूर्ण युक्ति (Device) है।

ड्‌यूल कोर तकनीक (Dual Core Technique)

यह वस्तुत: एक चिप तकनीक है, जिसे थ्रेड -लेवल पेरललिज्म (Thread-level Parallelism TLP) कहा जाता है। थ्रेड -लेवल पेरललिज्म की प्रक्रिया एक सी. पी. यू. में ड्‌यूल कोर तकनीकों के माध्यम से संपन्न होती हैं क्योंकि इसमें एक ही सी. पी. यू. में दो माइक्रोप्रोसेसर काम करते हैं, जिस कारण कम्प्यूटर के प्रोसेसिंग समय में कमी आने से उसकी स्पीड और भी बढ़ जाती है। इस तकनीक की शुरूआत इंटेल दव्ारा की गई थी। हालांकि अब यह आई. बी. एम. (IBM) एप्पल (Apple) , एम. एम. डी. (MMD) और एच. पी. (HP) जैसी आई टी कंपनियों के पास भी उपलब्ध है।

ई-पार्लियामेंट (E- Parliament)

ई-पार्लियामेंट विश्व के संसदीय लोकतंत्र वाले राज्यों को एक मंच पर लाने की एक गैर-लाभकारी संगठन (Non-Profit Organisation) की संकल्पना है, जिसके माध्यम से विभिन्न सदस्य देश इलेक्ट्रॉनिक संपर्क के माध्यम से विभिन्न वैश्विक मुद्दों पर बातचीत करके आम राय कायम कर सकें, जैसे- जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद, आर्थिक संकट से जुड़े पहलू, परमाणु अप्रसार तथा एड्‌स पर नियंत्रण।

ई-लर्निंग (E- Learning)

ई-लर्निंग (Electronic Learning) की शुरुआत भारत सरकार के सूचना तकनीकी विभाग दव्ारा सूचना तकनीकी क्षेत्र में उच्च गुणवता वाले उच्च श्रेणी के व्यक्तियों को तैयार करने के उद्देश्य से की गई है। ई-लर्निंग के माध्यम से वस्तुत: इंस्ट्रक्शनल डिज़ाइन, कोर्सवेयर डिलीवरी तथा इंजीनियरिंग, मार्किट डायनेमिक्स, विजएलाइजेशन, कटेंट क्रिएशन, कोर्स वेयर विकास और पेजमॉडल सरीखे मुद्दों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

डिजिटल लाइब्रेरी (Digital Library)

डिजिटल लाइब्रेरी वस्तुत: तकनीकी विकास के साथ सामाजिक विकास के पक्ष को महत्व प्रदान करने वाला सूचना प्रौद्योगिकी का एक रूप हैं, इसके माध्यम से इंटरनेट पर सभी लोगों के पढ़ने के लिये पुस्तकों की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। भारत भी अधिकाधिक भारतीय भाषाओं में अध्ययन सामग्री इंटरनेट पर उपलब्ध कराने के उद्देश्य से इस परियोजना में सहभागिता कर रहा है। इसी क्रम में सितंबर, 2003 में भारत के डिजिटल लाइब्रेरी पोर्टल की शुरूआत की गई।

इंडिया पोर्टल (India Portal)

  • इंडिया पोर्टल भारत सरकार का एक नागरिक केन्द्रित (Citizen-Centeralized) पोर्टल है, जिसकी स्थापना राज्य में सभी संगठनों तथा संस्थानों दव्ारा इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से आपूर्तित की जाने वाली जी2 सी (Government to Citizen) सेवाओं को एक ही स्थान पर अर्थात एकल खिड़की (Single Window) के माध्यम से उपलब्ध कराने के उद्देश्य से राष्ट्रीय ई शासन के रूप में की गई है। इंडिया पोर्टल दव्ारा अनुसूचित जातियों तथा जनजातियों, महिलाओं तथा कमजोर वर्गों को सेवाएँ मुहैया कराई जाती है।
  • इसके दव्ारा जहाँ एक ओर प्रशासनिक व्यवस्था में सार्वजनिक सहभागिता को सुनिश्चित करने के लिए एक मंच उपलब्ध कराया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर विभिन्न प्रकार की सेवाओं जैसे- जी2 सी (Government to Citizen) , जी2 जी (Government to Government) एवं अन्य के सीधे ऑनलाइन प्रसारण की सुविधा उपलब्ध करायी जाएगी।

मीडिया लैब एशिया (Media Lab Asia)

सूचना तथा संचार के साथ अन्य विकसित तकनीकों का विकास तथा उपयोग सामान्य लोगों के हित में करने के उद्देश्य से मीडिया लैब एशिया को भारत सरकार दव्ारा एक गैर-लाभकारी संगठन के रूप में स्थापित किया गया। मीडिया लैब दव्ारा अनुसंधान संगठनों तथा अन्य स्थलों के आस-पड़ोस के क्षेत्रों में परीक्षण केन्द्रों की स्थापना की गई है। मीडिया लैब एशिया कई अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं का संचालन सरकारो, गैर-सरकारी संगठनों, उद्योग प्रतिष्ठानों, अनुसंधान और विकास संस्थानों के साथ मिलकर करता है। यह मुख्य रूप से आजीविका निर्माण, महिलाओं तथा विकलांगों के सशक्तीकरण, स्वास्थ्य देखभाल और ग्रामीण संयोजनता (Connectivity) की के लिए आई. सी. टी. (Information & Communication Technology) के प्रयोग पर केन्द्रि है। कानपुर, दिल्ली, मुंबई, चेन्नई तथा कोलकाता के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों में मीडिया लैब एशिया के अंतर्गत अनुसंधान कार्यो के सहयोग तथा उच्च विकास हेतु प्रयोगशालाएँ शुरू की गई हैं, जिनके माध्यम से इन आई. आई. टी. केन्द्रों में वी. ओ. आई. पी. (VOIP) के सहयोग तथा उच्च वैंडविथ प्राप्त करने के लिए नेटवर्क, जी. आई. एम. मैपिंग, जल में पोटेशियम, क्लोरीन इत्यादि अशुद्धियों के विश्लेषण के उद्देश्य से सस्ते परीक्षण उपकरणों के निर्माण, विषयवस्तु को समझाने तथ ट्रांसकोडिंग हेतु कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intellegency) और चिकन इंब्रायडरी सरीखी कई परियोजनाओं की शुरूआत की गई हैं।

इरनेट (ERNET)

भारतीय शिक्षा संस्थानों को सूचना और संचार नेटवर्किंग तकनीकों में विकसित देशों की भाँति तकनीकी रूप्ज्ञ से दक्ष बनाने की दृष्टि से विकसित इरनेट उन्नत इंटरनेट साधनों, वर्ल्डवाइड वेब के उपयोग, वर्चुअल क्लास रूम तथा वीडियो कांफ्रेसिंग जैसे साधनों के साथ प्रकाश तंतुओं (Fiber Optics) तथा उपग्रह नेटवर्क संयोजनता (Connectivity) में सहायक तकनीकों के विकास तथा उपयोग की परिकल्पना पर आधारित है। चूँकि इरनेट का उद्देश्य सेवाओं तथा अंतर्वस्तु की मांग-आपूर्ति में संतुलन स्थापित करना है अत: इसकी संरचना सरल तथा अत्यधिक प्रभावी है। देश के शिक्षण संस्थानों में इंटरनेट प्रयोग की दिशा में परिवर्तन लाने के उद्देश्य से शिक्षण और अनुसंधान संस्थानों के मध्य अंतरसंबंधों की स्थापना लाभकारी रही है क्योंकि इसके फलस्वरूप्ज्ञ शिक्षण और अनुसंधान संस्थानों को बहुआयामी लाभ प्राप्त हुए हैं।

आयु सॉफ्ट (Age Soft)

आयु सॉफ्ट एक चिकित्सा प्रणाली है, जिसका संबंध चार भारतीय वैदिक संहिताओं और अष्टांग आयुर्वेद के नाम से प्रचलित चिकित्सा विशेषज्ञता की आठ शाखाओं, कार्य चिकित्सा, बाल चिकित्सा (इसे ही Paediatric Branch कहते हैं) , यह चिकित्सा उर्ध्वाग चिकित्सा (इसे हम ENT Treatment कहते हैं) , शल्य चिकित्सा, दष्ट्रा चिकित्सा, जरा चिकित्सा तथा वाजीकरण या वृष चिकित्सा से है, जिसको डाटा माइनिंग टेक्नोलॉजी की सहायता से एक निर्णय समर्थक प्रणाली से जोड़ दिया गया हैं। चूंकि यह प्रणाली मरीज सूचना प्रणाली के रूप में सुगम्य परामर्श तथा आँकड़ों के विनिमय की उपलब्धता सुनिश्चित करती हैं फलस्वरूप यह चिकित्सकों हेतु एक उपचारक तथा अनुसंधान उपकरण के रूप में बेहतर उपयोगी हो सकती है।