Science and Technology: Interceptor Missile and Energy Policy in India

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रक्षा प्रौद्योगिकी (Defence Technology)

इन्टरसेप्टर मिसाइल (Interceptor Missile)

  • एडवांस ऐयर डिफेन्स की संकल्पना के तहत भारत दव्ारा अंत: वायुमंडलीय और ब्राह्य वायुमंडलीय इन्टरसेप्टर प्रक्षेपास्त्रों का चौथा सफल परीक्षण किया गया है जिसमें ठोस प्रणोदक प्रयोग में लाया गया था तथा इसकी क्षमता 30किमी तक ऊँचाई पर किसी प्रक्षेपास्त्रों के नष्ट करने की है। दूसरी ओर ब्राह्य वायुमंडलीय प्रक्षेपास्त्रों में ठोस प्रणोदक वाले दो चरण बनाए गए थे जो 80 किमी. की ऊँचाई तक मार करने में सक्षम है।
  • इन्टरसेप्टर प्रक्षेपास्त्रों की सबसे बड़ी विशेषता यह होता है कि इसमें मिसाइलों की स्थिति की जानकारी प्राप्त करने वाली स्वचालित तकनीक कार्य करती हैं। दूसरी ओर इसमें जड़त्व नौ वहन प्रणाली कार्य करती है। इस प्रणाली में दो मुख्य युक्तियांँ होती हैं-
    • Accelerometer गति पर नियंत्रण के लिए।
    • Gyroscope दिशा पर नियंत्रण के लिए।
  • इसके अतिरिक्त एक इलेक्ट्रो ऑप्टिकल (वैद्युत प्रकाशकीय) प्रणाली भी लगाई गयी है, जिसमें प्रकाश के पुंज पर उच्च आवृत्ति वाले सूचना संकेतों को अंकित किया गया है, जिसे एक फोटो डिटेक्टर और ट्रांसड्‌यूसर का प्रयोग करने वाले संग्राहक को सौंपा जाता है। फोटो डिटेक्टर दव्ारा प्रकाशीय पुंज की पहचान की जाती है जबकि ट्रांसड्‌यूसर दव्ारा प्रकाश संकेतों को पुन: वैद्युत संकेतों में परिवर्तित कर दिया जाता है।
  • इस परीक्षण के बाद यह स्पष्ट है कि भारत हाइपरसोनिक इन्टरसेप्टर प्रक्षेपास्त्रों के विकास में सफल हो गया है।
  • यह परीक्षण इस रूप में भी महत्वपूर्ण है कि यह भारत की सुरक्षा प्रणाली में न्यूनतम निवारण क्षमता को सुदृढ़ता प्रदान करेगा।

प्रहार (Prahaar Missile)

  • DRDO सतह से सतह पर मार करने में सक्षम प्रहार मिसाइल का सफल परीक्षण 21 जुलाई 2011 को चांदीपुर परीक्षण रेंज से किया। इस मिसाइल की मारक क्षमता 150 किमी. है। प्रहार विभिन्न प्रकार के वारहेड ले जा सकने में सक्षम मिसाइल है। यह संयुक्त राज्य अमेरिका की ATACMS (American Tactical Missile System) मिसाइल के समान है। यह मिसाइल पिनाका मल्टी बैरल रॉकेट (Pinaka Multibarrel Rocket) एवं मध्यम दूरी की मिसाइल पृथ्वी के मध्य उत्पन्न रिक्तता को पूर्ण करेगी। उल्लेखनीय है कि पिनाका की मारक क्षमता 40 किमी. एवं पृथ्वी मिसाइल की मारक क्षमता 250 - 350 किमी. है। 7.3 मी. लंबी 1280 किग्रा. भार एवं 420 मिमी. व्यास वाली यह मिसाइल 150 किमी. दूर स्थित लक्ष्य को भेदने से पहले 35 किमी. ऊपर जाती है। इस मिसाइल में ठोस ईंधन को प्रयुक्त कर सकने वाली मिसाइलों की तुलना में अधिक तीव्रता एवं सटीकता के साथ लक्ष्यों को भेदने में सक्षम है।
  • परीक्षण के दौरान 150 किमी. की दूरी को 250 सेकंड में पूरा करके कम से कम 10 मीटर की उच्च स्तर की सटीकता के साथ ‘प्रहार मिसाइल’ ने अपने लक्ष्य को सफलता पूर्वक भेदा।

ऊर्जा (Energy)

भारत में ऊर्जा नीति (Energy Policy in India)

न्यूनतम में लागत पर ऊर्जा की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने, ऊर्जा आपूर्ति में आत्मनिर्भरता हासिल करने तथा गैर-न्यायसंगत तरीके से ऊर्जा स्त्रोतों के प्रयोग से पर्यावरण पर पड़ने वाले कुप्रभावों को रोकने के उद्देश्य से भारत सरकार ने ऊर्जा नीति बनाई है। इस ऊर्जा नीति को अल्पावधि, मध्यावधि और दीर्घावधि उपायों के अंतर्गत विभाजित किया गया है-

अल्पावधि नीतियाँ व उपाय (Short-Term Policies and Measures)

  • देश में उपलब्ध ऊर्जा क्षमता का सर्वोत्तम उपयोग करना।
  • ऊर्जा के परंपरागत स्रोतों के प्रयोग में वृद्धि करना।
  • ऊर्जा के सभी रूपों के अंतिम उपभोग, उत्पादन और परिवहन में तकनीकी हानियों को घटाने के लिए पहल करना।
  • ऊर्जा का संरक्षण और उचित प्रबंधन करना।
  • ग्रामीण समुदायों को ऊर्जा आवश्यकताओं को पूर्ण करने हेतु ऊर्जा के पुन: प्रयोग किए जा सकने वाले गैर परंपरागत स्रोतों का विकास करना।
  • ऊर्जा उपभोग में व्याप्त असमानताओं को कम करने हेतु ग्रामीण और शहरी परिवारों की मूलभूत ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए आवश्यक कदम उठाना।
  • ऊर्जा के विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न स्तरों पर कार्यरत तकनीकी कर्मियों को उचित प्रशिक्षण की व्यवस्था करना।

मध्यावधि नीतियाँ (Mid-Term Policies)

  • कोयला, लिग्नाइट, प्राकृतिक गैस और विद्युत के दव्ारा पेट्रोलियम उत्पादों के प्रतिस्थापन की दिशा में पहल करना ताकि तेल आयातों की मात्रा सीमित हो सके।
  • पुन: प्रयोग में लाए जा सकने वाले ऊर्जा स्रोतों के क्षेत्र में किए जाने वाले अनुसंधान और विकास कार्यों को प्रोत्साहन देना।
  • जल विद्युत क्षमता के तीव्र विकास के लिए प्रारंभिक उपाय करना।
  • ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता लाने के लिए विशेष कार्यक्रमों को प्रोत्साहित करना।
  • संपूर्ण ऊर्जा रणनीति के साथ विभिन्न उपक्षेत्रों में उपयुक्त संगठनात्मक परिवर्तनों की पहल करना।

दीर्घावधि नीतियाँ व उपाय (Long-Term Policies and Measures)

  • पुन: प्रयोग में लाए जा सकने वाले ऊर्जा संसाधनों पर आधारित एक ऊर्जा आपूर्ति प्रणाली को संवर्धित करना।
  • ऊर्जा के उत्पादन, पारेषण और अंतिम उपभोग की ऐसी तकनीकों को प्रोत्साहित करना जो पर्यावरणीय रूप से लाभकारी और लागत प्रभावी हों।

समेकित ऊर्जा नीति (Integrated Energy Policy)

केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने देश के लिए समेकित ऊर्जा नीति को 26 दिसंबर, 2008 को मंजूरी प्रदान की। समेकित ऊर्जा नीति का उद्देश्य आगामी 25 वर्षां में 9 प्रतिशत विकास दर के लिए आवश्यक ऊर्जा उप्लब्धता की योजना बनाना और नए स्रोतों की तलाश करना है। समेकित ऊर्जा नीति की आवश्यकता इसलिए महसूस की जा रही थी, क्योंकि वर्तमान में पेट्रोलियम, गैस, कोयला, परमाणु ऊर्जा एवं गैर परंपरागत ऊर्जा स्रोतों के लिए अलग-अलग मन्त्रालय हैं, जो अपनी नीतियां अलग-अलग बनाते हैं। इस कारण ऊर्जा संसाधन के सम्पूर्ण दोहन में आने वाली समस्या को देखते हुए वर्ष 2006 में योजना आयोग के सदस्य किरीट पारिख की अध्यक्षता में एक समित गठित कर उसे एक समेकित ऊर्जा नीति बनाने का कार्य सौंपा गया। योजना आयोग द्वारा तैयार की गई नई समेकित ऊर्जा नीति का मुख्य लक्ष्य देश भर में ऊर्जा सेवाओं की मांग को कम लागत पर विश्वसनीय व स्वच्छ उर्जा उपलब्ध कराना है। इस नई ऊर्जा नीति की कुछ प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं:

  • निर्धारित अवधि में टिकाउ विकास प्राप्त करने के लिए ऊर्जा सुरक्षा के लिए एक रोडमैप तैयार कना।
  • ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु देश में उपलब्ध ऊर्जा संसाधनों के दोहन के अतिरिक्त देश से बाहर भी ऊर्जा की सम्भावनाओं की खोज पर विशेष बल।
  • विदेशों में परमाणु ईधन का रणनीतिक भण्डर स्थापित करने के साथ ऊर्जा सम्पदा का अधिग्रहण करना ताकि ऊर्जा सुरक्षा को अधिक से अधिक सुनिश्चित किया जा सके।
  • सार्वजनिक क्षेत्र की ऊर्जा कम्पनियों की स्वायत्तता से दक्षता बड़ा सके।
  • ऊर्जा बाजार को और अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए बाजार दव्ारा निर्धारित मुल्य को लागू करना, पारदर्शिता के साथ संसाधन आवंटन और लक्षित सब्सिडी वितरण वर्द्धमान दक्षता भी नीति का लक्ष्य है।
  • समेकित ऊर्जा नीति के कार्यान्वयन की स्थिति की समीक्षा हेतु मंत्रामंडलीय सचिव की अध्यक्षता में एक निगरानी समिति गठित की जाएगी।
  • संवद्धित आपूर्ति में निवेश बढ़ाने हेतु उचित ऊर्जा मूल्यों का उल्लेख।

राष्ट्रीय विद्युत नीति 2005 (National Electricity Policy 2005)

केन्द्र सरकार दव्ारा फरवरी, 2005 में विद्युत अधिनियम, 2003 में परिकल्पित राष्ट्रीय विद्युत नीति को तैयार कर 12 फरवरी, 2005 को जारी किया गया। इस विद्युत नीति में विद्युत ऊर्जा क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बढ़ाने, गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले विद्युत उपभोक्ता को लक्षित सब्सिडी, निजी निवेश आकर्षित करने तथा ग्रामीण विद्युतीकरण संबंधी दिशा निर्देश का उल्लेख है। ग्रामीण क्षेत्रों में 24 घंटे बिजली आपूर्ति संभव बनाने के लिए इस नीति में विश्वसनीय ग्रामीण विद्युतीकरण प्रणाली निर्मित करने का प्रावधान है। इसके तहत प्रत्येक गांव में एक वितरण ट्रांसफार्मर स्थापित किया जाएगा।

उद्देश्य (Objectives)

  • अगले पांच वर्षों में सभी घरों में बिजली उपलब्ध कराना।
  • 2012 तक बिजली की मांग की उपलब्धता को पूरा करना। ऊर्जा और व्यस्तम समय की कमियों को दूर करना तथा विशेष रिजर्व उपलब्ध कराना।
  • विश्वसनीय और विनिर्दिष्ट मानकों वाली बेहतर बिजली की तर्कसंगत दरों पर सक्षम तरीके से आपूर्ति।
  • बिजली की प्रति व्यक्ति उपलब्धता 2012 तक 1000 यूनिट से अधिक बढ़ाना।
  • वर्ष 2012 तक 1 यूनिट प्रति घर प्रतिदिन की न्यूनतम जीवन के लिए अनिवार्य खपत को पात्रता के रूप में लागू करना।
  • बिजली क्षेत्र की वित्तीय सुदृढ़ता और वाणिज्यिक सक्षमता में वृद्धि करना।
  • उपभोक्ताओं के हितों का संरक्षण।