Science and Technology: Light Amplification by Stimulated Emission of Radiation

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लेजर एवं अतिचाकता (Laser and Superconductivity)

लेजर (LASER: Light Amplification by Stimulated Emission of Radiation)

  • विकिरण (Radiation) के उद्दीप्त उत्सर्जन (Stimulated Emission) दव्ारा प्रकाश के प्रवर्द्धन (Light Amplification) को लेजर कहते हैं। संक्षिप्त रूप में, उद्दीप्त विकिरण, लेजर संक्रिया की कुंजी है। लेजर की अवधारणा वर्ष 1917 में आइन्सटीन दव्ारा प्रस्तुत की गई थी। उद्दीप्त उत्सर्जन की व्याख्या के पूर्व अवशोषण एवं नैसर्गिक विकिरण (Spontaneous Radiation) की अवधारणा का अध्ययन आवश्यक हैं। अवशोषण एक प्रक्रिया है, जिसमें यदि परमाणु को विद्युत चुंंबकीय (Electromagnetic) क्षेत्र में रखा जाए तो परमाणु ऊर्जा का अवशोषण करता है। ऊर्जा के इस अवशोषण के कारण परमाणु निम्नतर से उच्चतर ऊर्जा स्तर की ओर गमन करता है। दूसरी ओर, नैसर्गिक विकिरण (Spontaneous Radiation) एक परमाणु की उच्चतर ऊर्जा स्थिति से निम्नतर ऊर्जा स्थिति की ओर गमन के कारण होती है। इस प्रक्रिया में यह नैसर्गिक रूाप् से विकिरण का उत्सर्जन करती है, क्योंकि यह प्रक्रिया किसी बाह्य बल अथवा घटक के प्रभाव से बाहर होती है। परन्तु परमाणु के किसी घटक अथवा बल के प्रभाव में उद्दीप्त होने की स्थिति में परमाणु का गमन उच्चतर से निम्नतर ऊर्जा स्थिति में में होता है। यह प्रक्रिया उद्दीप्त विकिरण कहलाती है। यह विकिरण फोटोन के रूप में होता है, अत: फोटोन से जुड़ी तरंगों में भी ऊर्जा, प्रावस्था (Phase) , ध्रुवण (Polarisation) तथा घूर्णन (Rotation) की दिशा एक समान होती है।
  • लेजर की खोज वर्ष 1958 में की गई थी। लेजर के प्रतिफल को स्पंदित Pulsed किया जा सकता है, अथवा एक सतत किरण पुंज के रूप में इसकी माप दृश्य Visible , अवरक्त Infrared , पराबैंगनी Ultraviolet अथवा असंख्य इलेक्ट्रॉन या शक्ति के दव्ारा की जा सकती है। कमोबेश सभी लेजरों में निम्नलिखित विशेषताएं सामान्य रूप से पाई जाती हैं, तथा लेजिंग पदार्थ Lasing Material जो ठोस, द्रव अथवा गैस अथवा एक अर्द्धचालक जो ऊपरी ऊर्जा स्तर को अन्त: क्षेपित कर सकता है, का प्रयोग होता है। साथ ही, लेजर में उद्दीप्त विकिरण दव्ारा प्रभावित होने वाले अधोगामी संक्रमण की अनिवार्यता है। अधिकांश लेजर तीन या चार ऊर्जा स्तर प्रणालियों पर आधारित होते हैं, जो प्रयुक्त होने वाले लेजिंग पदार्थ के प्रकार पर निर्भर करते हैं। लेजर क्रिया प्राप्त करने के लिए ऊर्जा पंपिंग उपकरण में लेजिंग माध्यम में संख्या व्युतक्रमण Population Inversion अवश्य प्राप्त किया जाना चाहिए, ताकि उद्दीप्त उत्सर्जन में भाग लेने वाले युग्म की ऊपरी ऊर्जा स्थिति पर परमाणुओं, आयानों अथवा अणुओं की संख्या में वृद्धि हो सके। संख्या व्युतक्रमण में वृद्धि के क्रम विउद्दीपन De-excitation के बिना मितस्थायी Metastable स्थिति में परमाणु को स्थिर रखने की यान्त्रिकता को संख्या व्युतक्रमण की संज्ञा दी गई है। यह परमाणुओं के अंत: क्षेपण की दर उनके निगर्म से अधिक हो जाती है। ऊष्मीय थर्मल संतुलन की शर्तों के उल्लंघन से उद्दीपन की उच्चतर स्थिति में अधिक परमाणु रहते हैं। परिणामस्वरूप संख्या व्युतक्रमण में वृद्धि हो जाती है। संख्या व्युतक्रमण की स्थिति प्राप्त करने के लिए तीन अथवा चार ऊर्जा स्तरों वाली लेजर प्रणाली की आवश्यकता होती है। तीन स्तरीय प्रणाली की विशिष्टता के रूप में सर्वोच्च ऊर्जा स्तर पंप स्तर में परमाणुओं का अन्त: क्षेपण किया जाता है। इसे पंप स्तर से मितस्थायी स्तर में विउद्दीपन के रूप में भी जाना जाता है।
  • प्रकाशीय अनुनादी प्रकोष्ठ (Optical Resonant Cavity) के बिना लेजर क्रिया को केवल संख्या व्युतक्रमण यान्त्रिकता दव्ारा स्थिर नहीं रखा जा सकता है। अन्य सभी यांत्रिकताएँ, जो प्रकाशीय अनुनादी प्रकोष्ठ के रूप में दो दर्पणों के मध्य लेजर माध्यम को मर्यादित कर प्राप्त की जा सकती है, में उद्दीप्त उत्सर्जन दव्ारा निर्मित फोटोनों को प्रणाली में बंद रखकर अन्य फोटोंनो के निर्माण के उपयोग में लाया जाता है। ऐसी दशा में दो दर्पण क्रमश: पूर्णत: एवं आंशिक रूप में परिवर्तन करते हैंंं। आंशिक परावर्तन 10 और 90 प्रतिशत के मध्य (महत्वपूर्ण प्रकाशीय शक्ति को बचाने एवं उपलब्ध कराने के लिए सुनिश्चित करने हेतु) होता है। प्रकाशीय अनुनादी प्रकोष्ठ की सहायता से वर्तमान उद्दीपन तथा भविष्य के लिए आवश्यक उद्दीपन को प्रकाशीय पुनर्निवेश की सहायता से जाना जा सकता है। वैज्ञानिकों के अनुसार, उद्दीप्त किये गए फोटोन में प्रकोष्ठ के अग्र तथा पृष्ठ भाग में उछाल की संभावना होती है जो लेजर अभिक्रिया हेतु आवश्यक है।
  • सर्वप्रथम रूबी लेजर का निर्माण 1960 में टी. एच. माईमन (T. H. Maiman) दव्ारा किया गया था। इस लेजर में अल्युमीनियम ऑक्साईड कणों का प्रयोग होता है, जिसमें अल्युमीनियम के कई परमाणुओं को क्रोमियम के परमाणुओं दव्ारा प्रतिस्थापित किया जाता है। वास्तव में इन क्रोमियम परमाणुओं के कारण रूबी का रंग लाल होता है। यह इसके लेजिंग व्यवहार के लिए भी उत्तरदायी है। रूबी के लाल रंग का कारण क्रोमियम परमाणु दव्ारा हरे-नीले रंग का अवशोषण तथा लाल रंग का परावर्तन करना है। उच्च वोल्टेज विद्युत के कारण स्फटिक फ्लैश ट्‌यूब से तीव्र विस्फोटकमय प्रकाश का उत्सर्जन होता है, जो रूबी कण के परमाणुओं को उच्च ऊर्जा स्तरों पर पंपिंग दव्ारा उद्दीप्त करता है। एक विशिष्ट ऊर्जा स्तर पर ही कुछ परमाणु फोटोन उत्सर्जित करते हैं। एक परमाणु से प्राप्त फोटोन दव्ारा अन्य परमाणुओं से फोटोन के उत्सर्जन का उद्दीपन किया जाता है, जिससे प्रकाश की तीव्रता में वृद्धि होती है। उद्दीप्त उत्सर्जन प्रक्रिया में प्रयुक्त दर्पण इन फोटोनों को आगे तथा पीछे की ओर बने रहने में मदद करता है। फोटोन के उत्सर्जन के बाद ही प्रकाश की तीव्रता बढ़ जाती है। अंत में आंशिक रूप से चमकीले दर्पण से लेजर प्रकाश की उत्पत्ति होती है।

लेजर प्रकाश के गुण (Properties of Laser Light)

ऊर्जा की दशा में हुए परिवर्तन तथा उसके बाद प्रवर्द्धित प्रकाश के उत्पादन के संदर्भ में लेजर प्रकाश के कुछ विशेष गुण हैं जो निम्नलिखित हैं:

  • एकवर्णिता (Monochromaticity) : लेजर प्रकाश को एक लघु तरंगदैर्ध्य में संघनित किया जाता है। इस प्रकार वह प्रकाश के शुद्धतम रूप का उत्पादन कर पाती है। ऐसे प्रकाश को एकवर्णी प्रकाश कहते हैं। प्रकाश के वर्ण प्रकीर्णन का ज्ञान प्राप्त करने के लिए यह जानना आवश्यक है कि किसी दिए गये माध्यम में दीर्घ तरंगदैर्ध्य की अपेक्षा लघु तरंगदैर्ध्य का अपवर्तन सूचकांक अधिक होता है। प्रकाश की श्वेत पुंज में दृश्य वर्णक्रम के सभी अवयव विद्यमान होते हैं।
  • संसक्ति (Coherence) : लेजर प्रकाश पुंज का फैलाव अत्यंत कम होता है, क्योंकि उत्सर्जित हुए सभी फोटोन काल और अवस्था के संदर्भ में एक दूसरे से स्थिर अवस्था में संबंध बनाए रखते हैंं अत: प्रकाश संसक्त हो जाता है।
  • प्रकाशपुंज अपसरण (Beam Divergence) : उत्सर्जित हुए सभी फोटोन एक ही दिशा में घूर्णन करते हैं। प्रकाश को एक अति संकुचित कूर्चिका (Narrow Pencil) में रखा जाता है और यह लगभग संघनित होता है। अत: लेजर प्रकाश अपसरण में सामान्यत: धीमा होता है।
  • उच्च प्रदीप्ति (High Irradiance) : जब प्रकाश को संकुचित त्रिविमीय पट्‌टी में संकेन्द्रित किया जाता है, तो इसमें प्रति इकाई क्षेत्र में उच्च प्रदीप्ति रहती है। ऊर्जा की यह मात्रा दो प्रकाश किरण पुंजों दव्ारा वाहित होती है। इस प्रकार, प्रकाश पुंज को एक छोटे से स्थान पर भी फोकस किया जा सकता है।

लेजर के प्रकार (Types of Laser)

यद्यपि प्रत्येक लेजर की आधारभूत आवश्यकताएं समान होती हैं, तथापि कई प्रकार के लेजर उपलब्ध हैं। इनमें सामान्य रूप से निम्नलिखित गुण पाये जाते हैं:

  • लेजर क्रिया के समर्थन के लिए ऊर्जा स्तरों के उपयुक्त समुच्चय के साथ सक्रिय माध्यम होता है।
  • एक पंपिंग ऊर्जा के स्रोत की आवश्यकता संख्या व्युतक्रमण एवं प्रकाशीय अनुनादी प्रकोष्ठ की स्थापना तथा प्रकाशीय पुनर्निवेशन एवं लेजर प्रणाली की अनुरक्षा हेतु है।

लेजरों को उनकी सक्रियता एवं लेजिंग माध्यम के आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता है। इस आधार पर ठोस, गैस तथा अर्द्धचालक लेजर का निर्माण किया गया है-

ठोस लेजर (Solid Laser)

  • इन लेजरों में रवेदार कुचालक ठोस छड़ या पट्‌टी का प्रयोग किया जाता है, जो उनके लेजिंग या सक्रिय माध्यम के रूप में कुछ अशुद्धता से लेपित रहता है। इसलिए इन लेजरों को कभी-कभी लेपित पृथक्कारी लेजर (Doped Insulator Laser) भी कहा जाता है। यह नाम अर्द्धचालक लेजरों के साथ होने वाले भ्रम से बचने के लिए सुझाया गया है। किस्ट्रलीय संजालिका परपोषी पदार्थ के रूप में कार्य करती है फिर भी यह संपूर्ण ऊर्जा संरचना के लिए भी उत्तरदायी है।
  • दो सामान्यत: प्रयुक्त होने वाली ठोस लेजरें रूबी लेजर Ruby Laser तथा हैं। ND-YAG Neodymium-Yettrium-Aluminium, Garmate लेजर प्रणाली की प्रभावोत्पादकता को ध्यान में रखते हुए आधुनिक समय में रूबी लेजर को ND-YAG से प्रतिस्थापित किया गया है। रूबी लेजर लगभग क्रोमियम आयनों के लगभग 0.05 प्रतिशत भार से लेपित संशलिष्ट नीलम अथवा अल्युमिनियम आक्साईड Al 2o3 का प्रयोग करता है। रूबी क्रिस्टल कण, जेनॉन से भरी हुई फ्लैश ट्‌यूब को इस प्रकार रखा जाता है कि वे पंपिग प्रकोष्ठ में, जो परिमार्जित होता है, एक दूसरे के सामानान्तर रहें। जैसे ही प्रणाली कार्य प्रारंभ करती है रूबी कण क्रिस्टल नीले-हरे प्रकाश की किरणों को अवशोषित करता है तथा क्रोमियम आयनों को उद्दीप्त करता हुआ 694.3mim की तरंग दैर्ध्य पर लेजर ऊर्जा का उत्सर्जन करता है। दूसरी ओर, जैसा कि पहले कहा गया कि यह रूबी लेजर को लगभग प्रस्थापित कर चुका है और वर्तमान में प्रयुक्त होने वाला सामान्य ठोस लेजर यही है। यह लेजर y2 Al3 O12अथवा YAG 0.7: भारत वाले Neodymium आयनों (ND3 +) से लेपित होता है। लेजर उत्सर्जन 1.064 mm (अवरक्त) पर होता है।