Science and Technology: Teaching Learning Aids and Smart Board

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दैनिक जीवन में विज्ञान (Science in Daily Life)

शिक्षा और स्वास्थ्य (Education and Health)

शिक्षण ज्ञान सहायता (Teaching Learning Aids)

वे सहायता कारक जो छात्रों को सीखने में योगदान करते हैं शिक्षण ज्ञान सहायता कहलाते हैं। इस माध्यम से छात्र किन्हीं विषयों के बारे में शीघ्र और बेहतर समझ विकसित कर लेते है। ये कारक शिक्षकों के लिए उपयोगी होते हैं ताकि वे छात्रों को जटिल जानकारियाँ भी सुलभता से उपलब्ध करा सकें। शिक्षण ज्ञान सहायता में कैसेट्‌स (Cassettes) सीडी प्लेयर, वीडियो रिकॉर्डर, विजुअल उपकरण (Visual Equipments) आदि को रखा जा सकता है। सामान्यत: , हाइटबोर्ड, चॉक बोर्ड, चार्ट, मानचित्र, फ्लैश कार्ड, कैलेन्डर का इस्तेमाल शिक्षण ज्ञान सहायता के रूप में किया जाता है।

स्मार्ट बोर्ड (Smart Board)

  • ‘स्मार्ट बोर्ड’ इनटरैक्टिव हार्ड बोर्ड, कंप्यूटर, प्राजेक्टर और हाइटबोर्डिंग सॉफ्टवेयर से युक्त होते हें। ये सभी घटक बतार या यूएसबी या श्रृंखलाबद्ध केबल से जुड़े होते हैं। स्मार्ट बोर्ड उजीटल वीजन टच तकनीक (Digital Vision Touch Technology) का उपयोग करता है। इस तकनीक में डिजीटल कैमरा और प्रोपरायटरी सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल होता है जिससे बोर्ड स्क्रीन के संपर्क में आए अंगुली या कलम का आभास कर पाता है। स्मार्ट बोर्ड में एक्टिव डिजीटाइजर का उपयोग डिजीटल स्याही से कुछ लिखा जाता है।
  • नोट: डिजिटल स्याही Digital Ink: यह एक ऐसी प्रौद्योगिकी है जिसके तहत इलेक्टॉनिक रूप से हैण्डराइटिंग Handwriting और ड्राइंग Drawing की जाती है और जिसे कम्प्यूटर मॉनीटर पर दर्शाया जा सकता है। वस्तुत: डिजीटल स्याही व्यवस्था एक विशिष्ट डिजीटल कलम या स्टाइलस Stylus का उपयोग करता है। यह डिजीटल कागज पर लिखी गई सामग्री को इलेक्ट्रॉनिक रूप में रिकॉर्ड करता है। प्रसंगवश ‘स्टाइलस’ कलम के आकार का एक प्लास्टिक उपकरण होता है। इसकी सहायता से टच स्क्रीन पर लिखा जा सकता है।

स्मार्ट क्लासरूम (Smart Classroom)

एक ऐसी कक्षा जो कम्प्यूटर और ऑडियो-विजुअल उपकरणों से युक्त होती है और जहाँ शिक्षक व्यापक संचार माध्यमों से शिक्षण कार्य करता है। उसे स्मार्ट क्लासरूम की संज्ञा दी जाती है। अब समार्ट क्लासरूम में ब्लैकबोर्ड और चॉक के स्थान पर कम्प्यूटर एवं प्रोजेकिटंग तकनीकों का उपयोग किया जाता है।

स्मार्ट क्लासरूम में स्मार्ट से अभिप्राय निम्नलिखित से लगाया जा सकता है- शोइंग (Showing) , मैनेजेबल (Manageable) , ऐसेसेबल (Accessible) , रियल टाइम इंटरैकिटव (Real Time Interactive) और टेस्टिंग (Testing)

  • शोइंग का अर्थ है- पाठ्‌य सामग्री सुलभता से दृष्टिगत हो ताकि सीखने में कोई अवरोध न हो।
  • मैनेजेबल का अर्थ है- क्लासरूम में उपकरण, भौतिकी वातावरण, वैद्युत सुरक्षा और नेटवर्क प्रबंधन इत्यादि को सुलभ बनाया जा सके।
  • ऐसेसेबल का अर्थ है- स्मार्ट क्लासरूम मे संसाधनों ओर उपकरणों की उपलब्धता हो सके अर्थात टैबलेट, स्मार्टफोन, कम्प्यूटर आदि की उपलब्धता हो।
  • रियल टाईम इन्टरैक्टिव का अर्थ है- शिक्षण संपर्क और मानव कम्प्यूटर संपर्क को प्रभावी बनाना। इसके तहत विद्यार्थियों की कठिनाईयों को समझना और उन्हें दिशा निर्देशित करना महत्वपूर्ण होता है।
  • टेस्टिंग का अर्थ है- स्मार्ट क्लासरूप में विद्यमान भौतिक वातावरण और शिक्षण व्यवहार का आकलन करना। उल्लेखनीय है कि भौतिक वातावरण के अंतर्गत वायु तापमान, प्रकाश, ध्वनि, रंग, गंध इत्यादि जैसे कारक निहित होते हैं। ये शिक्षक और छात्रों के भौतिक मानसिक गतिविधियों को प्रभावित करते हैं। विविध सेंसरों के इस्तेमाल से इन कारकों का अध्ययन किया जाता है।

नाभिकीय चुंबकीय अनुनाद (Nuclear Magnetic Resonance: NMR)

यह एक ऐसी भौतिक परिघटना है जिसमें चुंबकीय क्षेत्र में ‘नाभिक’ विद्युत चुंबकीय विकिरण का अवशोषण और पुनउत्सर्जन (Re-emition) करते हैं। यह क्रिया एक विशिष्ट अनुनाद आवृत्ति पर संपन्न होती है। यह आवृत्ति चुंबकीय क्षेत्र की शक्ति और परमाणुओं के समस्थानिकों के चुंबकीय गुणों पर निर्भर करती है। सरल अर्थ में एक स्थैतिक चुंबकीय क्षेत्र में रखे हुए कुछ पदार्थों के नाभिक पर एक दूसरा प्रत्यावर्ती चुंबकीय क्षेत्र भी आरोपित किया जाए तो नाभिकीय चुंबकीय अनुनाद की घटना होती है।

एनएमआर स्पेक्ट्रोस्कोपी (MMR Spectroscopy)

आण्विक संरचना की प्रकृति और विशेषता की जाँच इस तकनीक की सहायता से होती है। इस तकनीक से किसी विलयन के अणुओं की त्रि-विमीय संरचना से संबंद्ध विस्तृत सूचना प्राप्त की जाती है।

  • अनुप्रयोग-MNR का उपयोग MRI (Magnetic Resonance Imaging) के लिए शोध कार्य में किया जाता है। केमिकल शीफ्ट NMR माइक्रोस्कोपी या इन वीवी मैग्नेटिक रेजोनेन्स स्पेक्ट्रोस्कोपी तकनीकों की सहायता से सजीव ऊतकों की जैव रासायनिक सूचनाओं को प्राप्त किया जा सकता है। ये अध्ययन इस कारण संभव हो पाते हैं कि परमाणु नाभिक कक्षा में चक्कर लगाने वाले इलेक्ट्रॉनों से घिरे होते हैं। ये आवेशित इलेक्ट्रॉन छोटे स्तर पर ही चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करते हैं जो कि बाह्य चुंबकीय क्षेत्र के साथ जुड़ सकते हैं या फिर उससे पृथक हो सकते हैं।
  • NMR का उपयोग जैविक तरल से मेटाबोलिक फिंगर प्रिंट (Metabolic Finger Print) उत्पन्न करने के लिए भी किया जाता है ताकि रोग अवस्थाओं से संबद्ध सूचना प्राप्त की जा सके।
  • नवीन यौगिकों की पहचान करने के लिए भी NMR का उपयोग किया जाता है। NMR का एक अन्य उपयोग पेट्रोलियम⟋प्राकृतिक गैस उत्खनन एवं खोज के लिए पेट्रोलियम उद्योग में आँकड़े अर्जित करने के लिए किया जाता है। चट्‌टान एवं अवसादी परत में बोर होल (Bore Hole) बनाकर उसमें NMR युक्त उपकरण डाला जाता है। इन बोर होल्स के NMR विश्लेषण का उपयोग चट्‌टान की संरध्रता मापने, जल⟋तेल⟋गैस की पहचान करने में किया जाता है।