Science and Technology: Community Information Centre and Cloud Computing

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इंटरनेट से संबंधित विभिन्न अवधारणाएँ तथा तकनीकें और उनके अनुप्रयोग (Various Concepts and Techniques of Internet and Its Applications)

समुदाय सूचना केन्द्र (CIC- Community Information Centre)

सूचना प्रौद्योगिकी विभाग दव्ारा पूर्वोत्तर राज्यों के 487 विकास खंडो में समुदाय सूचना केन्द्र स्थापित किए गए हैं। इनका उद्देश्य पूर्वोत्तर राज्यों के लोगों का सामाजिक और आर्थिक विकास करना और ब्लॉक स्तर पर विकास प्रक्रिया में लोगों की भागीदारी बढ़ाना है। इन केन्द्रों की सहायता से गरीबी, निरक्षरता, स्वास्थ्य, ऊर्जा, शिक्षा तथा जल आदि से संबंधित समस्याओं का समाधान किया जा रहा है।

मूर का नियम (Moore ′ Law)

  • इन्टेल (Intel) के सह-संस्थापक (Co-founder) गॉर्डन मूर दव्ारा 1965 में एक पूर्वानुमान संबंधी नियम प्रस्तुत किया गया जिसके अनुसार प्रत्येक समेकित (Integrated) सर्किट पर ट्रांजिस्टरों की संख्या हर दो वर्ष में दोगुनी हो जाती है। यह नियम आज तक कायम बना हुआ है।
  • चूँकि अब इलेक्ट्रॉनिक सर्किट अपने लघुकरण की सीमा तक पहुँच चुके हैं अत: कम्प्यूटरों की तीव्रता आजकल एक जटिल तथा दबावकारी समस्या बन गई है। वर्तमान में इलेक्ट्रॉनिक सर्किटों की सबसे बड़ी समस्या यह है कि जिस तीव्रगति से इंटरनेट की तीव्र बुद्धि ने ब्रॉड बैंडविड्‌थ की माँग में वृद्धि की हैं उसे इलेक्ट्रॉनिक सर्किट पूरा नहीं कर सकते। इसलिए कई वैज्ञानिक यह मानते हैं कि इस समस्या के निदान के लिए टेराबाइट गतियों की आवश्यकता है।

क्लाउड कम्प्यूटिंग (Cloud Computing)

  • क्लाउड कम्प्यूटिंग मूलत: पाँचवीं पीढ़ी (Fifth Generation) की एक अभिकलन प्रणाली (Computing System) है जिसमें कम्प्यूटर उपयोगकर्ता अथवा उपभोक्ता को इंटरनेट की मदद से सभी सॉफ्टवेयर और ऑपरेटिंग सुविधाएँ डाउनलोड किए बिना ही तीव्रतम, सहज तथा सस्ती दरों पर अपने कम्प्यूटर पर उपलब्ध हो सकेंगी।
  • दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि अब कम्प्यूटर उपयोगकर्ताओं को इस व्यवस्था दव्ारा न केवल सर्विस बल्कि अनुप्रयोगों (Applications) की सुविधाएँ सहजतम तरीके से अपने कम्प्यूटरों पर प्राप्त हो सकेंगी। क्लाउड कम्प्यूटिंग में ग्राहक (Client) , सेवा (Service) , अनुप्रयोग (Application) , प्लेटफॉर्म (Platform) , संग्रहण (Storage) तथा अवसरंचना (Infrastructure) आदि अवयव शामिल हैं जिन्हें इसी प्राथमिकता क्रम में रखा जाता है।

ओपन सोर्स तकनीक (Open-Source Technology)

वस्तुत: एक ऐसी तकनीक जिसके दव्ारा सभी व्यक्तियों को वस्तुओं अथवा सेवाओं के अंतिम उत्पादों को नि: शुल्क उपलब्ध कराया जाए, ओपन सोर्स तकनीक कहलाती है। यानी ऐसे सेवा प्रदाता स्रोत (Source) का कोड सभी के लिए खुला होता है। परिणामस्वरूप कोई भी व्यक्ति उसे और अधिक विकासपरक एवं सहज बनाने के लिए संशोधित और संवर्द्धित कर सकता है। ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर भी एक ऐसी ही कम्प्यूटर युक्ति है जिसमें लाइसेंस के माध्यम से उपयोगकर्ताओं को एक सोर्सकोर्ड उपलब्ध कराया जाता है। साथ ही विकासपरक सोच वाले प्रयोगकर्ताओं को उसे संशोधित एवं संवर्द्धित करने की अनुमति भी दी जाती है।

सिम्प्यूटर (Simputer)

  • भारतीय विज्ञान संस्थान (Indian Institute of Science) बेंगलौर दव्ारा विकसित मानव हथेली के आकार वाले इस पर्सनल कम्प्यूटर का विकास ग्रामीण इलाकों तक कम्प्यूटर सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से किया गया। इस छोटे कम्प्यूटर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि जहाँ एक ओर वर्तमान पॉमटॉप की तुलना में कई गुना ज्यादा मैमोरी और अन्य क्षमताओं से युक्त भी हैं। इसके अतिरिक्त बहुभाषी सुविधा उपलब्ध होने के कारण यह अंग्रेजी, हिन्दी के साथ-साथ तमिल और कन्नड में सामग्री को प्रस्तुत करने के साथ ही पढ़ सकता है। टचस्क्रीन की सुविधा के कारण इसमें कुंजीपटल की भी आवश्यकता नहीं होती है।
  • आम आदमी के उपयोग को ध्यान में रखकर बनाए जाने के कारण सिम्प्यूटर का पेटेंट भी नहीं कराया गया है। यह लघु उपकरण जहाँ ग्रामीण क्षेत्रों का सूक्ष्म बैंकिंग माध्यम बन सकेगा, वहीं इसकी सहायता से सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों के व्यक्ति, किसान, मछुआरे, विद्यार्थी, दुकानदार और मरीज अपनी-अपनी आवश्यकतानुसार सूचनाएँ भी प्राप्त कर सकते हैं।

टू-बैक तथा साइबर चेक (Two-Back and Cyber Check)

  • सी-डैक (Centre for Development of Advanced Computing) दव्ारा विकसित इन सॉफ्टवेयर यंत्रों के माध्यम से जहाँ एक ओर विभिन्न प्रकार के साइबर अपराधों की सुगमतापूर्वक जाँच की जा सकेगी, वहीं दूसरी ओर कम्प्यूटर संबंधित अपराधों की छानबीन तथा उनका विश्लेषण भी सामान्य अपराधों की तरह ही करना संभव होगा। ये यंत्र जाँचकर्ता की पहचान मिटाने के लिए बिना किसी हेराफेरी की संभावना वाला तरीका उपलब्ध करायेंगे। उपरोक्त दोनों यंत्रों में साइबर चेक जहाँ अपराध से संबंधित सबूतों को जुटाने का कार्य करेगा, वहीं टू-बैक अपराध की जाँच से संबंधित कार्यो का संपादन करेगा।
  • साइबर अपराधों के नियंत्रण के उद्देश्य से भारत सरकार दव्ारा सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 एवं सूचना प्रौद्योगकी (संशोधन) अधिनियम, 2008 पारित किये गये।

भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS- Geographic Information System)

  • भौगोलिक सूचना प्रणाली एक ऐसी तकनीक है जिसके दव्ारा विभिन्न स्रोतों से प्राप्त सूचनाओं के मध्य अंतसंबंध स्थापित करने के साथ-साथ विभिन्न वस्तुओं के मध्य भी स्थानिक संबंध स्थापित किए जा सकते हैं। इसके माध्यम से सभी घटकों की अक्षांशीय, देशांतरीय तथा उच्चावचीय अवस्थिति (Location) की जानकारी भी प्राप्त की जाती है और इसके लिए जी. आई. एस. प्रणाली में कोड अथवा हाईवे मील मार्कर्स (Highway Mile Markers) की सहायता ली जाती है। साथ ही नये घटकों की जानकारी प्राप्त करने के लिए इस प्रणाली में चित्रित सूचनाओं का उपयोग किया जाता हैं। चूँकि जी. आई. एस. प्रणाली अंकीय सूचनाओं को परिवर्तित करने में पूर्णत: सक्षम है अत: इसके माध्यम से उपग्रहों से प्राप्त किये गये अंकीय चित्रों के विश्लेषण के साथ-साथ वनस्पतियों एवं कई अन्य घटकों का मानचित्रीकरण भी किया जा सकता है। इस प्रणाली में भिन्न-भिन्न मानचित्रों के लिए भिन्न-भिन्न तकनीकें प्रयोग में लाई जाती हैं अत: प्राप्त सूचनाओं के अंकीय रूप में न होने पर कई अन्य तकनीकों का उपयोग किया जाता है।
  • भौगोलिक सूचना प्रणाली में मानचित्रों का निर्माण कम्प्यूटरों दव्ारा प्राप्त विभिन्न सूचनाओं तथा चित्रों का प्रसंस्करण करके किया जाता है। इस प्रणाली का सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य आर्थिक, सांस्कृतिक तथा भौतिक महत्व वाले विभिन्न घटकों तथा क्षेत्रों का भौगोलिक तथा स्थानिक मानकों के आधार पर अध्ययन करना है, इसके लिए मानचित्रों में विभिन्न रंगों वाली रेखाओं का प्रयोग किया जाता है। भौगोलिक सूचना प्रणाली में प्रयुक्त मानचित्रों का निर्माण कम्प्यूटरों के साथ-साथ कई अन्य इलेक्ट्रॉनिक तकनीकों दव्ारा भी किया जा सकता है।

सूचना प्रौद्योगिकी विजन (Information Technology Vision)

इसके अंतर्गत भारत सरकार के रेल मंत्रालय दव्ारा दो सूचना प्रौद्योगिकी विजन योजनाएँ तैयार की गई हैं:

  • सूचना प्रौद्योगिकी विजन 2012
  • सूचना प्रौद्योगिकी विजन 2025

जहाँ ‘सूचना प्रौद्योगिकी विजन 2012’ के अंतर्गत सामान्य प्लेटफार्मो पर प्रौद्योगिकी अनुप्रयोगों के माध्यम से रेलवे कार्य प्रणाली में पारदर्शिता तथा यात्रियों के लिए बेहतर सुविधाओं की व्यवस्था सुनिश्चित करने को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुये परिचालन कुशलता में सुधार और उच्चतम स्तर पर बहुविभागीय (Multidepartment) इनोवेंशन प्रमोशन समूह की स्थापना का प्रावधान किया गया है, वहीं ‘सूचना प्रौद्योगिकी विजन 2025’ के माध्यम से आगामी सत्रह वर्षों के लिए बाजार के अनुरूप नीतिपरक उपायों तथा कार्यवाही योजनाओं को यात्रियों को केन्द्र में रखकर तैयार किया जाएगा।

अंकीय हस्ताक्षर/डिजिटल हस्ताक्षर (Digital Signature)

डिजिटल हस्ताक्षर एक ऐसी विधि है, जिसके अंतर्गत हस्ताक्षर का डाटा एनक्रिप्शन (Encryption) करने के उपरांत हस्ताक्षर की एल्गोरिथिम के साथ एक हैश (Hash) लगाकर डिजिटल हस्ताक्षर को संदेश के साथ जोड़ दिया जाता है। इससे होता यह है कि संदेश को गैर-आधिकारिक व्यक्ति दव्ारा खोलने की दशा में उसके साथ संलग्न हैश आउटपुट संदेश को परिवर्तित कर देता है, जबकि जो व्यक्ति उक्त संदेश का अधिकृत प्राप्तकर्ता (Receiver) है, उसके पास मूल हस्ताक्षर कर्ता की व्यक्तिगत कुंजी (Private Key) होती है, जिसके दव्ारा संदेश के साथ संलग्न हैश को डिक्रिप्ट करके संदेश प्राप्त किया जाता है। साथ ही डिजिटल हस्ताक्षर की नकल न हो पाने की विश्वसनीयता के कारण इसके माध्यम से ई-कैश के तहत लेन-देन की प्रक्रिया भी सुरक्षित हो जाती है।

पी-कॉमर्स (P- Commerce)

तेजी से बढ़ रही उपभोक्ता उत्पादों की बिक्री को सुविधाजनक बनाने में सहायक पी-कॉमर्स अर्थात्‌ पाईपलाइन कॉमर्स वस्तुत: एक ऑनलाइन सेवा प्रदाता इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद है, जो केबल (टी. वी. केबल) या सैटेलाइट के माध्यम से इंटरनेट का संपर्क इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों से स्थापित करता है। इसकी सहायता से टी. वी. दर्शक पसंदीदा टी. वी. कार्यक्रम देखते हुए किसी चीज का ऑर्डर भी कर सकते हैं, जिसके लिए टीवी सेटो पर सेट टॉप बॉक्स लगाया जाता है।