Science and Technology: Integrated Child Development Scheme

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स्वास्थ्य (Health)

स्वास्थ्य नीतियाँ एवं कार्यक्रम (Policies and Programmes on Health)

एकीकृत बाल विकास योजना (Integrated Child Development Scheme)

  • इस योजना का प्रारंभ 2 अक्टूबर 1975 को किया गया। यह योजना बाल विकास के प्रयोजन से विश्व की सबसे बड़ी एवं विशिष्ट योजनाओं में से एक है। इस योजना के माध्यम से संपूर्ण बाल विकास पर बल दिया गया है। अर्थात इसके दव्ारा एक ओर जहाँ बच्चों को पर्याप्त पोषण उपलब्ध कराया जाता है, वहीं दूसरी ओर उन्हें प्राथमिक शिक्षा दिए जाने को भी प्राथमिकता मिली है। इस योजना में कुपोषण, बाल मृत्यु दर शिक्षा की घटती दर जैसे कारकों पर ध्यान देते हुए समर्थ उपाय अपनाने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं।
  • ICDS एक केन्द्र प्रायोजित योजना हैं यह योजना राज्य सरकारों/संघ शासित क्षेत्रों दव्ारा प्रशासित होती है।
  • वर्ष 2009 - 10 से भारत सरकार ने ICDS को किए जाने वाले वित्तयन में बदलाव लाया हैं उत्तर-पूर्व राज्यों को पूरक पोषण हेतु प्रदान किए जाने वाले वित्तयन में केन्द्र-राज्य अनुपात 90: 10 कर दिया गया है जो पहले 50: 50 था। शेष राज्यों के मद्देनजर यह अनुपात 50: 50 ही बना रहेगा।

योजना के उद्देश्यों को निम्न प्रकार एकबद्ध किया जा सकता है-

  • 0 - 6 आयु वर्ग के बच्चों को पोषण प्रदान करना।
  • बच्चों के मनोवैज्ञानिक, शारीरिक और सामाजिक विकास पर ध्यान देना।
  • कुपोषण और विद्यालय न आने की दर को कम करना।
  • बाल विकास के मद्देनजर संबंद्ध नीतियों और विभागों के मध्य समन्वय स्थापित करना।
  • बच्चों के समुचित स्वास्थ्य और स्वास्थ्य शिक्षा के लिए मातृ क्षमता का विकास करना।
  • बच्चों की नियमित स्वास्थ्य जाँच।
  • 6 वर्ष से कम उम्र के बच्चों और गर्भवती तथा दूध पिलाने वाली माताओं में प्रतिरक्षा तंत्र विकसित करने को महत्व देना।

इस योजना के बेहतर कार्यान्वयन के लिए स्थानीय स्तर पर आंगनवाड़ी केन्द्र स्थापित किये जाते हैं। ये केन्द्र मुख्यत: ग्रामीण स्तर पर इस योजना के उद्देश्यों की पूर्ति का कार्य करते हैं। आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के कार्य का मुख्य घटक पोषण, स्वास्थ्य और शिक्षा (Nutrition, Health and Education: NHED) पर ध्यान देना है।

राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (National Rural Health Mission: NRHM)

  • देश के दूर-दराज के ग्रामीण क्षेत्रों में निर्धनतम परिवारों को सुलभ, वहनीय और उत्तरदायी गुणवत्तायुक्त स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करने के लिए 12 अप्रैल, 2005 को केन्द्र सरकार ने यह मिशन प्रारंभ किया।
  • इस मिशन का उद्देश्य जल, सफाई, शिक्षा, पोषण, सामाजिक और लैंगिक समानता जैसे स्वास्थ्य निर्धारकों पर साथ-साथ कार्रवाई करना है। इस मिशन के जरिए सभी स्तरों पर ग्राम से जिला तक एक कार्यात्मक स्वास्थ्य प्रणाली विकसित की गई है।
  • मिशन में सामुदायिक भागीदारी में वृद्धि किया गया है। इसके लिए पंचायती राज संस्थाओं, आशा कार्यकर्ता (ASHA: Accredited Self Help Activities) के कार्यों को केन्द्रित किया गया है। साथ ही गैर सरकारी संगठनों की बढ़ोतरी पर भी ध्यान दिया गया है।
  • मिशन में अनुकूल वित्त पोषण को भी महत्व मिला है। इसके लिए प्रत्येक ग्राम स्वास्थ्य एवं स्वच्छता समिति उप-केन्द्र प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, जिला अस्पताल सहित सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र को निधियाँ प्रदान की जाती हैं।

स्वास्थ्य संबंधित समसामयिक मुद्दे (Current Health Issues)

सुपर बग (Superbug)

  • वैसे सूक्ष्मजीव जो प्रतिजैविक रोधी होते हैं प्राय: सुपरबग कहे जाते हैं। ये अनेक दवाओं के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर लेते हैं। ‘नई दिल्ली सुपरबग’ अभी भी एक चिंता का विषय बना हुआ है। उल्लेखनीय है कि जून 2011 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने स्पष्ट किया था कि यह विश्व में उपलब्ध सभी प्रतिजैविकों के प्रति प्रतिरोधक प्रकृति दर्शाता है।
  • वस्तुत: नई दिल्ली मेटालो बीटा लैक्टामेज (NDM-I) नामक जीवाणु की सुपरबग की संज्ञा दी गयी है।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस जीवाणु के संक्रमण के मद्देनजर, वैश्विक संक्रमण रोकथाम नेटवर्क प्रारंभ किया। ब्रिटेन में रोगियों की जीन में ऐसे जीवाणु पाए जाने और उनका स्रोत भारत को माने जाने के बाद यह दवारोधी जीन विवादों में रहा। अप्रैल 2011 में एक पत्रिका में प्रकाशित किया गया है कि ये जीन दिल्ली में नल के पानी गड्‌ढ़ों आदि में पाए गए हैं। ये जीन ऐसे सूक्ष्मजीव बनाते हैं जो प्रतिजैविकरोधी होते हैं।
  • NDM-I कुछ जीवाणुओं को सुपरबग के रूप में रूपांतरित कर देते हैंं
  • ये टाइगसाइक्लिन (Tigecycline) और कॉलीस्टिन (Colistin) के अतिरिक्त सभी प्रतिजैविकों के प्रति रोधक क्षमता वाले होते हैं।

चिकित्सा शिक्षा (Medical Education)

  • चिकित्सा क्षेत्र में प्रैक्टिसनर बनने के लिए आरंभिक स्तर पर प्रशिक्षण प्राप्त करना, चिकित्सक बनने के बाद अतिरिक्त प्रशिक्षण प्राप्त करना या चिकित्सक सहायक बनने के लिए प्रशिक्षण प्राप्त करने से संबंधित शिक्षा को ‘चिकित्सा शिक्षा’ कहा जाता है। चिकित्सा शिक्षा को प्रभावी बनाने के लिए संसदीय अधिनियम दव्ारा भारत चिकित्सा परिषद और भारतीय दंत चिकित्सा परिषद की स्थापना की गयी थी।
  • भारतीय चिकित्सा परिषद ने देश में विद्यमान स्वास्थ्य समस्याआंे के आलोक में ‘विजन 2015’ प्रारूप तैयार किया है। इस प्रारूप के तहत निम्नलिखित सुधारों को रेखांकित किया गया है- चिकित्सकों की संख्या में वृद्धि करना, चिकित्सा शिक्षा पाठ्‌यक्रम में सुधार, प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल और परिवार स्तर पर दवा उपलब्धता को महत्व देना, तकनीकी विकास दव्ारा चिकित्सा संस्थानों को क्षमतापूर्ण बनाना। मात्र विज्ञान आधारित पाठ्‌यक्रम के स्थान पर कौशल और योग्यता आधारित पाठ्‌यक्रम को महत्व दिया गया है। इस विजन में विश्वस्तरीय चिकित्सक बनाना एक प्रमुख लक्ष्य रखा गया। इस दिशा में ध्यान दिया जा रहा है कि देश के सभी भागों में चिकित्सा संस्थानों में एकरूपता लाने के लिए नए चिकित्सीय महाविद्यालय स्थापित किए जाए और अधिकाधिक तकनीकी विकास किया जाए।