चिकित्सा शिक्षा में सुधार (Improved Medical Education – Social Issues)

Get unlimited access to the best preparation resource for CTET-Hindi/Paper-1 : get questions, notes, tests, video lectures and more- for all subjects of CTET-Hindi/Paper-1.

सुख़ियों में क्यों?

हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने मेडिकल (चिकित्सा संबंधी) महाविद्यालय की सभी सीटों में प्रवेश के लिए राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा में रैंक (श्रेणी) प्राप्त करना अनिवार्य बना दिया है।

पृष्ठभूमि

• राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा स्नातक और स्नातकोत्तर चिकित्सा में प्रवेश के लिए एक प्रवेश परीक्षा प्रणाली है।

• देश के 412 मेडिकल महाविद्यालयों में प्रवेश के लिए करीब 35 प्रवेश परीक्षायें होती हैं।

• 2009 में दायर याचिका के आधार पर, सर्वोच्च न्यायालय ने एकल राष्ट्रीय परीक्षा के आयोजन की संभावना की जांच का निर्देश दिया था।

• 2016 में, सर्वोच्च न्यायालय ने चालू वर्ष के लिए दो चरणों में आयोजित होने वाली राष्ट्रीय परीक्षा की अनुमति दी।

• राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा की मुख्य आलोचना यह हो रही है कि गैर सीबीएसई पाठयक्रम और गैर-अंग्रेजी माध्यम वाले विद्यालय के छात्र सीमित समय की वजह से इसकी तैयारी नहीं कर पायेंगे और यह उनके प्राप्तांकों को प्रभावित करेगा।

आवश्यक सुधार

• राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा महत्वपूर्ण है क्योंकि;

• एक ही तारीख को एक से ज्यादा परीक्षायें आयोजित होती है।

• प्रवेश मेें व्यापक भ्रष्टाचार होता है, जिसमें मेरिट (गुण) की अनदेखी होती है।

• विज्ञान विषयों में ज्ञान के खराब मानक भारत में उच्च विद्यालय शिक्षा प्रणाली के खराब मानकों को प्रतिबिंबित करते हैं।

• चिकित्सा का पेशे लोगों के जीवन से संबंधित है, इसलिए जरूरी है कि मानक उच्च कोटि के रहें

• यह परीक्षा राज्य सरकारों को शिक्षा के स्तर में सुधार करने के लिए मजबूर करेगी, विशेष रूप से विज्ञान शिक्षा के क्षेत्र मेंं।

कॉमन (साधारण) एग्जिट (प्रस्थान) परीक्षा का प्रस्ताव

• केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय एनईईटी-पीजी को कॉमन एग्जिट परीक्षा के रूप में अधिसूचित करने पर विचार कर रहा है। इस वजह से एमबीबीएस छात्रों को मेडिसिन की प्रैक्टिस (चिकित्सा संबंधी अभ्यास) प्रारंभ करने से पहले कई विश्वविद्यालय स्तर की परीक्षाओं की जगह केवल एक ही परीक्षा देनी होगी।

• यह ये सुनिश्चित करने के लिए होगा कि चिकित्सक में निर्धारित मानकों के अनुसार बुनियादी कौशल और क्षमतायें हैं या नहीं, भले ही वह किसी भी संस्था का छात्र रहा हो।

• यह परीक्षा प्रैक्टिस (अभ्यास) के लिए मेडिकल (चिकित्सा संबंधी) कांउसिल (परिषद) ऑफ (के) इंडिया (भारत) का लाइसेंस (अनुमति) चाहने वाले लोगों के लिए या विदेश जाने की इच्छा रखने वालों के लिए अनिवार्य बन जाएगी।

• यह प्रवेश परीक्षा “फर्जी” मेडिकल (चिकित्सा संबंधी) महाविद्यालय को गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए मजबूर कर देगी।

• इसके बाद संसद दव्ारा भारतीय चिकित्सा परषिद अधिनियम में संशोधन की आवश्यकता हो सकती है।

भारतीय चिकित्सा परिषद में सुधार

• कई समितियों ने भारतीय चिकित्सा परिषद के गिरते मानक और बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार की ओर इशारा किया है।

• पाठयक्रम, गुणवत्ता आश्वासन, नैतिक आचरण, तर्कसंगत उपचार और रोगी की देखभाल से जुड़े सुधारों के लिए ज्यादा कुछ नहीं करने के लिए भी भारतीय चिकित्सा परिषद को कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ता है।

• भारतीय चिकित्सा परिषद को स्वास्थ्य के लिए राष्ट्रीय मानव संसाधान आयोग में बदलने को संसद में एक बिल लाया गया था, वो भी अभी तक पारित नहीं हुआ है।