Science and Technology: ISRO Telemetry, Tracking and Command Network

Get top class preparation for CTET-Hindi/Paper-1 right from your home: get questions, notes, tests, video lectures and more- for all subjects of CTET-Hindi/Paper-1.

इसरो दूरमिति अनुवर्तन और आदेश संचार जाल (इस्ट्रैक) (ISRO Telemetry, Tracking and Command Network (ISTRAC) )

  • इस्ट्रैक इसरो के प्रमुख प्रमोचक रॉकेट एवं अंतरिक्षयान मिशनों को अंतरिक्षयान टी. टी. सी. तथा मिशन नियंत्रण सेवाएँ प्रदान करता है। इसमें सभी प्रचालनात्मक सुदूर संवेदन तथा वैज्ञानिक उपग्रहों के मिशन प्रचालन आयोजित करना, प्रमोचक रॉकेट उत्थापन से लेकर उपग्रह के कक्षा में अंत: क्षेपण तक टी. टी. सी. सेवा प्रदान करना और अंतरिक्ष में इसकी प्राथमिक कक्षा का अनुमान लगाना तथा हार्डवेयर एवं साफ्टवेयर के विकासात्मक क्रियाकलापों का आयोजन जो कि टी. टी. सी. एवं मिशन प्रचालन सेवाएँ आबध्य रूप्ज्ञ से प्रदान करने हेतु इस्ट्रैक की क्षमता को बढ़ाते हैं, शामिल हैं।
  • इस्ट्रैक को इसरों के मानव अंतरिक्ष उड़ान तथा गहन अंतरिक्ष मिशन के लिए अंतरिक्ष प्रचालन सहायता प्रदान करने, प्रमोचक रॉकेट अनुवर्तन तथा मौसमविज्ञानीय उपयोग हेतु राडार प्रणाली के विकास कार्य शुरू करने, भारतीय प्रादेशिक नौवहनात्मक उपग्रह प्रणाली के लिए भू खंड की स्थापना एवं प्रचालनात्मक बनाने, खोज एवं बचाव तथा आपदा प्रबंधन सेवा प्रदान करने और दूरचिकित्सा, वी. आर. सी. एवं दूर-शिक्षा जैसी अंतरिक्ष आधारित समाज-उपयोगी सेवाएँ प्रदान करने का आदेश प्राप्त है।

मुख्य नियंत्रण सुविधा (एम. सी. एफ) (Master Control Facility (MCF) )

कर्नाटक में हासन और मध्यप्रदेश में भोपाल स्थित एम. सी. एफ इसरो के सभी भू-स्थिर उपग्रहों का मानीटरन एवं नियंत्रण करता है। एम. सी. एफ. उपग्रहों का प्रारंभिक कक्षा संवर्धन कक्षीय नीतभार की जाँचे और उपग्रहों की समूची कलावधि के दौरान कक्षीय प्रचालन से संबंधित कार्यों का आयोजित करती है। एम. सी. एफ. के क्रियाकलापों में निरंतर अनुवर्तन, दूरमिति तथा आदेश (टी. टी. एवं सी.) प्रचालन शामिल हैं, जिनमें किसी आकस्मिकता के मामले में ग्रहण प्रबंधन केन्द्र रखरखाव युक्तियाँ और पुन: प्राप्ति जैसे विशेष कार्य भी शामिल हैं। एम. सी. एफ उपग्रह नीतभारों की प्रभावशाली उपयोगिता के लिए और विशेष प्रचालनों के दौरान सेवा में बाधाओं को कम करने हेतु प्रयोक्ता एजेंसियों के साथ अन्योन्यक्रिया करती हैं

इसरो जड़त्वीय प्रणाली यूनिट (आई. आई. एस. यू) (ISRO Inertial System Unit (IISU) )

तिरूवन्तपुरम स्थित आई. आई. एस. यू जड़त्वीय प्रणालियों तथा प्रवर्धकों एवं परिमाण, गुणवत्ता तथा समय के संबंध में विभिन्न प्रमोचक रॉकेटों एवं अंतरिक्ष परियोजनाओं की मांग पूरा करने के क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास कार्य आयोजित करती है। इस यूनिट में समूचे भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए डिज़ाइन बनाने, उसे तैयार कर विकसित करके अर्ह बनाकर प्रदान करने की पूर्ण क्षमता है। जडत्वीय संवदेकों, प्रणालियों, प्रवर्धकों तथा यंत्रावलियों की प्रौद्योगिकी को कई बार उन्नत किया है ताकि दीर्घकालावधि, बेहतर निष्पादन व विश्वसनीयता प्रदान की जा सके।

विद्युत-प्रकाशिकी प्रणाली प्रयोगशाला (लियोस) (Laboratory for Electro-Optic Systems (LEOS) )

लियोस पीण्या औद्योगिक एस्टेट, बेंगलूर में स्थित है, जहाँ 1975 मेंप्रथम भारतीय उपग्रह आर्यभट्‌ट का संविरचन किया गया था। लियोस उपग्रह तथा प्रमोचक रॉकेट के लिए विद्युत-प्रकाशिकी संवेदकों तथा कैमरा प्रकाशिकी के डिज़ाइन, विकास एवं उत्पादन के लिए जिम्मेदार है। संवेदक, प्रणाली में तारा अनुवर्तक, भू संवेदक, सूर्य संवेदक, चुंबकत्व संवेदक, तापमान संवेदकों तथा संसाधन इलेक्ट्रॉनिकी शामिल है। प्रकाशिकी प्रणाली में सुदूर संवेदन कैमरा, रेडियोमापी, तारा संवेदक प्रकाशिकी स्यंदक, विकोडित्र, प्रकाशिकी मास्क तथा प्रकाशिक संचकन हेतु प्रकाशिकी शामिल है। लियोस के प्रौद्योगिकी विकास कार्यक्रमों में चालू एवं भावी उपग्रहों हेतु लघुकृत संवेदकों का विकास, उच्च विभेदनवाली कैमरा प्रकाशिकी, प्रकाशिक संचकन तथा एम. ई. एम. एस. युक्तियों का विकास शामिल है।

भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (पी. आर. एल) (Physical Research Laboratory (PRL) )

अहमदाबाद स्थित पी. आर. एल. मुख्यत: विभाग से सहायता प्राप्त स्वायत्त संस्थान है। यह खगोल शास्त्र और खगोल भौतिकी, अंतरिक्ष और वायुमंडलीय विज्ञानों भू विज्ञान, ग्रहीय विज्ञान एवं खोज तथा सैद्धांतिक भौतिकी के क्षेत्रों में मूल अनुसंधान में कार्यरत एक अग्रणी संस्था है। इसके क्रियाकलाप इन सभी क्षेत्रों में अनुसंधान के विस्तृत स्पेक्ट्रम का आवरण करते हैं। पी. आर. एल. दव्ारा प्रचालित दो मुख्य सुविधाएँ, अवरक्त दूरबीन तथा एक सौर वैधाशाला क्रमश: माउंट आबू तथा उदयपुर में स्थित हैं। पी. एल. एल. का मानव संसाधन विकास घटक बड़ा ही सुदृढ़ है जिसमें विद्यालयों, महाविद्यालयों, विश्वविद्यालयों के छात्रों तथा महाविद्यालय के अध्यापकों के लिए पी. एच. डी. (Ph. D) कार्यक्रम तथा विशिष्टोकृत कार्यक्रम शामिल हैं। इसे उदयपुर सौर वैधशाला (यू. एस. ओ.) का प्रबंधन कार्य भी सौंपा गया है।

राष्ट्रीय वायुमंडलीय अनुसंधान प्रयोगशाला (एन. ए. आर. एल) (National Atmospheric Research Laboratory (NARL) )

तिरूपति के निकट गादंकी स्थित एन. ए. आर. एल अंतरिक्ष विभाग दव्ारा सहायता प्राप्त एक स्वायत सोसाइटी है। यह मध्यमंडल, समतामंडल, क्षोभमंडल राडार, लिडार, निम्न वायुमंडलीय पवन प्रोफाइलर, डिस्ड्रीमीटर, प्रकाशिकी वर्षा मापी और स्वचालित मौसम केन्द्र जैसी सुविधाओं और संबद्ध सुविधाओं के लिये वायुमंडलीय अनुसंधान आयोजित करने वाला केन्द्र है। एन. ए. आर. एल. , राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों के लिए वायुमंडलीय अनुसंधान करने हेतु उपलब्ध है। उच्च गुणवत्ता वाले जलवायु आँकड़े तैयार करने की दिशा में एन. ए. आर. एल दव्ारा भारतीय जलवायु वैधशाला नेटवर्क (आई. सी. ओ. एन.) के भाग के रूप में जलवायु वेधशाला की स्थापना कर एक साधारण शुरूआत की गई है। यह वेधशाला, एयरोसेल, अनुरेख गैसों, विकीर्णन, मेघ तथा अन्य जलवायु संबंधी प्राचलों के सतत्‌ मानीटरन हेतु विविध अत्याधुनिकतम उपकरणों के साथ सुज्जित है।

उत्तर-पूर्वी अंतरिक्ष उपयोग केन्द्र (एन. ई. -सैक) (North Eastern-Space Applications Centre (NE-SAC) )

शिल्लांग स्थित उत्तर-पूर्वी-सैक अंतरिक्ष विभाग तथा उत्तर-पूर्वी परिषद का संयुक्त उद्यम है विकास के लिए अंतरिक्ष विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी का उपयोग करने में उत्तर-पूर्वी क्षेत्र को सहायता प्रदान करता है। इस केन्द्र को, उत्तर-पूर्वी राज्यों को अपने विकास के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी निवेश अपनाने में सहायता करने हेतु उच्च प्रौद्योगिकी अवसरंचना का विकास करने का आदेश प्राप्त है। फिलहाल, उत्तर-पूर्वी-सैक अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी निवेशों-सुदूर संवेदन, उपग्रह संचार और अंतरिक्ष विज्ञान का उपयोग करने वाली विनिर्दिष्ट परियोजनाओं का कार्य करते हुए विकासात्मक सहायता प्रदान कर रहा है।

सेमी-कंडक्टर प्रयोगशाला (एस. सी. एल) (Semi-Conductor Laboratory (SCL) )

सेमी-कंडक्टर काम्प्लेक्स लिमिटेड, चंडीगढ़, संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एम. सी. आई. टी) के अंतर्गत एक सार्वजनिक उद्यम का प्रशासनिक नियंत्रण मार्च 2005 से अंतरिक्ष विभाग को हस्तांतरण किया गया। अंतरिक्ष विभाग ने नवंबर 2005, में एस. सी. एल की एक अनुसंधान एवं विकास सोसाइटी के रूप में पुन: संरचना की। एस. सी. एल को अत्यंत बड़े पैमाने की समेकन (वी. एल. एस. आई) युक्तियों के डिज़ाइन और विकास तथा दूर संचार व अंतरिक्ष क्षेत्र की प्रणालियों के विकास कार्य की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी संस्थान (आई. आई. एस. टी.) (Indian Institute of Space Science and Technology (IIST) )

आई. आई. एस. टी. एशिया का प्रथम अंतरिक्ष विश्वविद्यालय है जिसे भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम की आवश्यकताओं को पूरा करने हेतु अंतरिक्ष विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी में उच्च गुणवत्तावाली शिक्षा प्रदान करने के लक्ष्य के साथ 2007 के दौरान तिरुवनन्तपुरम में स्थापित किया गया है। यह संस्थान, वैमानिकी तथा वांतरिक्ष इंजीनियरिंग में विशेष अध्ययन के साथ अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में स्नातक उपाधि तथा अंतरिक्ष संबंधी विषयों पर विशेष जोर देते हुए अनुपयुक्त विज्ञान में समेकित स्नातकोतर उपाधि प्रदान करता है।

एन्ट्रिक्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड (Antrix Corporation Limited)

बेंगलूर स्थित एन्ट्रिक्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड अंतरिक्ष विभाग के तहत विपणन एजेंसी है जिसे अंतरिक्ष विभाग तथा भारतीय अंतरिक्ष उद्योगों के संसाधनों के लिये अभिगम प्राप्त है। एन्ट्रिक्स उपग्रहों के लिये उप्रणालियों और घटकों का विपणन करती है, प्रयोक्ता के विनिर्देशनों के अनुरूप उपग्रहों के निर्माण के लिये ठेके प्राप्त होती करती है, प्रमोचन सेवाएँ और अनुर्वतन सुविधाएँ प्रदान करती है और मानवशक्ति तथा साफ्टवेयर विकास हेतु प्रशिक्षण आयोजित करती है।