राष्ट्रीय आंदोलन के प्रति ब्रिटेन की प्रतिक्रिया (Britannic Rreaction to the National Movement) Part 2 for NET, IAS, State-SET (KSET, WBSET, MPSET, etc.), GATE, CUET, Olympiads etc.

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कांग्रेस के प्रति सरकारी नीति में इस बदलाव के कई कारण थे- ~NET, IAS, State-SET (KSET, WBSET, MPSET, etc.), GATE, CUET, Olympiads etc.: राष्ट्रीय आंदोलन के प्रति ब्रिटेन की प्रतिक्रिया (Britannic Rreaction to the National Movement) Part 2

  • कांग्रेस भारतीय राष्ट्रवाद के विचारों तथा आकांक्षाओं को एक स्पष्ट एवं संगठनात्मक रूप देने लगी थी।
  • कांग्रेस दव्ारा भारत में शीध्र ही प्रजातंत्रात्मक शासन तथा संसदीय प्रणाली के लागू किए जाने की मांग से अंग्रेज शासक घबरा उठे।
  • ये कांग्रेस की बढ़ती हुई लोकप्रियता से परेशान थे। उन्हें लगने लगा था कि अगर कांग्रेस इसी तरह लोकप्रिय होती रही तो उन्हें शीघ्र ही भारत छोड़ना पड़ेगा।
  • कुछ आर्थिक आलोचकों ने भारत की समस्याओं के लिए अंग्रेजों को उत्तरदायी ठहराया। इससे जनता में अंग्रेजों के प्रति रोष बढ़ रहा था।

सरकार दव्ारा कांग्रेस के प्रति इस प्रकार के कठोर रूख के चलते सरकारी संरक्षण तथा प्रश्रय से कांग्रेस को हाथ धोना पड़ा। 20 वीं सदी के आरंभ में लार्ड कर्जन ने भी कांग्रेस के प्रति कठोर रूख अपनाया। उसने इच्छा व्यक्त की कि हम कांग्रेस को मृत होते देखना चाहते हैं।

1907 ई. में कांग्रेस में फूट पड़ गई और कांग्रेस गरमपंथी और नरमपंथी दल में बंट गया। अंग्रेज इससे काफी प्रसन्न हुए। अब उन्होंने नरमपंथियों को अपने पक्ष में मिलाने का प्रयास किया। 1909 में एक अधिनियम पारित हुआ, जिसका अभिप्राय नरमपंथियों को अपने पक्ष में करना था। इसमें मुसलमानों के लिए सांप्रदायिक निर्वाचन की व्यवस्था की गई थी। इसका उद्देश्य कांग्रेस के जनांदोलन को कमजोर करना था। इस काल में भाषण और प्रेस की स्वतंत्रता पर भी रोक लगाई गई।

प्रथम विश्वयुद्ध काल में इस नीति में थोड़ी ढील दी गई। कारण कि अंग्रेज इस काल में भारतीयों का समर्थन प्राप्त करना चाहते थे। 1920 में गांधी जी के नेतृत्व में जनांदोलन का दौर आरंभ हुआ। इसके कारण अंग्रेजों की नीति फिर कठोर हो गई। असहयोग के दौरान भारी संख्या में कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया। मुसलमानों को भी भड़काया गया, जिसके कारण सांप्रदायिक दंगे हुए। गांधी आदि नेता गिरफ्तार किए गए।

1930 में सविनय अवज्ञा और 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान भी मुसलमानों ने कांग्रेस का साथ नहीं दिया। मुसलमानों के तुष्टीकरण को इस सीमा तक बढ़ावा दिया गया कि अंत में इसी आधार पर भारत का विभाजन हुआ।

कांग्रेस के प्रति ब्रिटिश सरकार की नीति ब्रिटेन की राजनीतिक परिस्थितियों से भी प्रभावित थी। ब्रिटिश राजनीतिक जीवन उदार और अनुदार दल में बंटा हुआ था। अनुदार दल वाले भारतीयों को स्वशासन के लिए सर्वथा अयोग्य समझते थे। इसलिए वे कांग्रेस जैसी संस्था को कोई महत्व नहीं देते थे। भारतीय मुसलमान अनुदार वर्ग के समर्थक थे। दोनों ही कांग्रेस को हिन्दुओं का संगठन मानते थे। जबकि उदार दल के नेता कांग्रेस समर्थक थे। कई उदारवादियों ने कांग्रेस की अध्यक्षता की इनमें जार्ज यूल, वेंडरबर्न आदि प्रमुख थे। स्वतंत्रता प्राप्ति के समय उदारवादी नेता एमरी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

इस प्रकार कांग्रेस के प्रति ब्रिटिश सरकार की नीति भारतीय स्थिति के साथ-साथ ब्रिटेन की राजनीतिक स्थिति से भी प्रभावित थी।

प्रमुख विचार ~NET, IAS, State-SET (KSET, WBSET, MPSET, etc.), GATE, CUET, Olympiads etc.: राष्ट्रीय आंदोलन के प्रति ब्रिटेन की प्रतिक्रिया (Britannic Rreaction to the National Movement) Part 2

  • कांग्रेस का महल भरभरा रहा है और भारत में रहते हुए मेरी मुख्य महत्वाकांक्षा यह है कि मैं शांति के साथ इसे मरने में सहयोग दे सकूं।

-लार्ड कर्जन